सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जज सूर्यकांत ने एक वकील को फटकार लगाई, जब उसने किसी मामले की उसी दिन सुनवाई (इमरजेंसी लिस्टिंग) की मांग की। जस्टिस सूर्यकांत ने सख्त लहजे में कहा कि वे तब तक किसी मामले को उसी दिन सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं करेंगे, “जब तक किसी को फांसी न होने वाली हो।
“उन्होंने आगे कहा, “आप लोग जजों की हालत नहीं समझते। क्या आपको पता है हम कितने घंटे सोते हैं?” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जब तक किसी की आजादी दांव पर न हो, तब तक उसी दिन सुनवाई की मांग नहीं करनी चाहिए। इस टिप्पणी से उन्होंने वकीलों को यह संदेश दिया कि वे केवल बेहद जरूरी मामलों में ही इस तरह की मांग करें।