जौंन परजा रिहिन हें तौंने मन आज राजा बने बइठे हें. जेकर घर मं भूरी भांग नइ रिहिस हे तौंन मन कइसे लखपति, करोड़पति अउ अरबपति बन गे हें, जनता के मगज मं नइ बइठत हे. फेर ये बात सही हे. जौंन देश-परदेश के पूरा दौरा नइ कर सकत रिहिन हें तौन देश-विदेश के दौरा करत हें. कोन जनी का अइसे जादू, कोन मन कर दे हें के ये राजा मन के पांख जाम गे हें. चिरई बरोबर फुर-फुर उड़ावत रहिथे. अउ अपन मन के बात सुनावत रहिथे.
अरे राजा मन सुजानिक हें अउ हमर मन असन जनता भकला हें. ओमन जौंन काहत हें तौन ला कान टेड़के सुनथन. सुनबो नइते कहां जाबों, सुनना हमर भाग म बदे हे. राजा के बात सुनना जनता के धरम हे. नइ सुनबे ते जाबे कहां? राजा जौंन करथे, सब सही करथे. भगवान बरोबर होथे. पहिले के परजा मन तो राजा मन के आरती उतारय, पांव पखारय अउ भेंट के रूप मं जेकर से जतका बन जाए तौंन देवय. आज सब नियम-कायदा बदलगे. आज तो राजा मन परजा मन के खातिर सब कुछ करे बर तइयार हे. इही पायके तो कोनो राजा मन परजा ला मन के बात बताय खातिर बियाकुल हे तब दूसरा राजा घलो अपन परजा से गोठ-बात करे खातिर छटपटावत हें.
pकोनो जुग म अइसन राजा होय हें जौंन परजा ले रूबरू होय खातिर अइसन उदीम निकाले होहीं. ओमन तो अपन राज के बिस्तार करे खातिर कमजोर राजा मन ऊपर चढ़ई कर देवय, मार-काट, खून-खराबा, छीना-झपटी, लूटपाट का-का नइ करे हें. ओ राजा मन के इतिहास पढ़बे तो मन किच ले लागथे, हिरदे कांप जथे. कतेक छानिस हे भगवान हा, आज के परजा मन ऊपर जौंन ओमन ला दुखी, परेशान होवत नइ देख सकत हें. गरीबी, भूखमरी अउ बीमारी ले बचाय खातिर करोड़ों के योजना बनाय हें. अकाल ले निपटे खातिर चतुर सेनापति अपन, पहिली जनता के सुरक्षा करे खातिर अधिकारी मन ला सचेत करत हे.
अइसन दयालु राजा मिलना तो मुलुक मं दुरलभ हे, जौंन अपन परजा ला जौंने काहत हे, कोनो परकार के दुख-तकलीफ होही तेला खुल के बताहौं. मैं ओ सबके दुख-दूर करिहौं, सबके अंदर के दुख दूर करे बर तइयार हौं. सुरता आवत हे कि अइसन राजा तो एक घौं त्रेताजुग मं होय रिहिस हे. जौंन परजा के बीच मं केहे रिहिस हे-
जौंन अनीति कछु करिहौ भाई.
बरजहू मोहि सब भय बिसराई..
अपन राजा के एक बात ओकर परजा ला अच्छा नइ लगिस. ओ बात के जेकर धोबी हा अपन परानी संग करत रिहिस हे. ये बात राजा तक पहुंचिस. फेर का होइस, राजा अपन रानी ला महल ले निकाल दिस. ओ रानी गरभ मं रिहिस, अपन राजा के मन अउ बात के आदर करत हाथ-पांव धरके तुरतुरिया (महासमुंद जिला छत्तीसगढ़) मं आगे.
ओ राजा बर परजा के सुख सबले बढ़के रिहिस हे, तभे ओ अपन रानी ला रनिवास ले निकाल दिस. आज वइसन राजा कहां मिलथे, सब सुवारथी होगे हे. अपन घर ल भरे मं लगे हें, परिवार के भोभस भरथे. फेर आज कलियुग के राजा मन जइसन रेडियो, टीवी मं गोठियावत हें काहत हे, तौंन ला सुन के अइसे लगिथे जइसे उसर जमीन मं घला फसल लहलहाय ले धर लिही. सबके आंसू पोंछे के, पेट पोसे के जौंन बात ओमन करथे तौंन तो आगू के गोठ बात मं अउ पता चलही. फेर इहां तो आज सब मन से दुखी हे, का अमीर लेबे, अउ का गरीब, का कर्मचारी लेबे, का अधिकारी, सब दुखी हे. का देस लेबे, का परदेस, सबो कोती करलेस हे. छत्तीसगढ़ कोनो आरुग नइहे. बस्तरिहा मन के आंसू, कोन पोंछ सकत हे. उहां तो शैतान मन बिराजे हे. कतको घर उजरगे, परिवार उजरगे, उहां के मनखे तना-बना होगे. ओकर मन के आंसू जौंन दिन में पोंछा जही, तौंन दिन ये राजा मन के जय-जय हो जही. भगवान करय इहां के राजा मन ला ओकर मन के दुख हरे अउ आंसू पोंछे बर सद्बुद्धि मिलय, बल मिलय.
छत्तीसगढ़ मं कोनो अकबर के कमी हे, न बीरबल के. एकर पहिली जउन अकबर रिहिस तेकर दरबार मं घला नौ रतन रिहिन हे, सब एक ले बढ़के एक, फेर परजा ला तो रतन मन ले कांही नइ मिलिस, उलटाके ओकर राजा ह भोसागे. करनी अइसे करिस के दुधो गय, अउ दुहना घला फूटगे. कामधेनु (सत्ता) छटारा मार दिस. चारों कोना चित्त होगे. अभी के जौंन अकबर हे तउन हा बीन बजावत हे, सपेरा सही, अउ नागिन (सत्ता) ओकर आगू-आगू मं मटका-मटका के नाचत हे. बीरबल ओला बीच-बीच मं सावधान करत रहिथे, अउ कहिथे- देखके, धीर लगाके बीन बजा. कालिया नाग तोर पीछू परे हे. रेडियो अउ टीवी मं सबो जनता देखत हे, सुनत हे ये अकबर के संदेश, गीत अउ नृत्य ला.
(परमानंद वर्मा वरिष्ठ पत्रकार हैं, आलेख में लिखे विचार उनके निजी हैं.)
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