नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) से बचाव के लिए सोशल डिस्टेंसिंग पर जोर दिया जा रहा है, लेकिन एक सुरक्षित दूरी क्या है? हाल ही में हुए एक अध्ययन ने इस सवाल का विस्तार से जवाब खोजने का प्रयास किया है. इस अध्ययन में संभावित वायुगतिकीय (एयरोडायनामिक) प्रभावों को ध्यान में रखकर यह पता लगाया गया है कि तेज चलने, दौड़ने और साइकिलिंग करने के दौरान एक-दूसरे से कितनी दूरी रखी जाए. ताकि कोरोना संक्रमण से बचा जा सके. बेल्जियम और डच शोधकर्ताओं ने अपने विस्तृत अध्ययन में इस बात पर गौर किया है कि जब कोई व्यक्ति 1.5 मीटर या उससे अधिक की दूरी बनाते हुए दूसरे व्यक्ति के पास से गुजरता है, तो क्या ड्रॉपलेट (छींक आदि के दौरान निकलने वालीं पानी की बूंदें) दूसरे व्यक्ति में ट्रांसफर हो सकती हैं?
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पहले हुए शोध में यह बात सामने आई है कि COVID-19 का प्रसार अक्सर पानी की छोटी बूंदों के रूप में लार के माध्यम से प्रभावी रूप से हो सकता है. जब कोई व्यक्ति छींकता, खांसता है या यहां तक कि सांस छोड़ता है, तो वह छोटी बूंदों का उत्सर्जन करता है– इतनी छोटी कि उन्हें अक्सर आंखों से देख पाना मुश्किल होता है और जो वायरस की वाहक होती हैं. इन बूंदों के संपर्क में आने वाला व्यक्ति सांस के साथ इन्हें अपने शरीर के अंदर ले जाकर या फिर अपने संक्रमित हाथों से चेहरे को छूकर कोरोना की चपेट में आ सकता है. यही वजह है कि कोरोना से बचने के लिए दुनिया भर में 1.5 मीटर की सोशल डिस्टेंस अपनाने पर जोर दिया जा रहा है. इसे महत्वपूर्ण और प्रभावी माना जाता है, क्योंकि इसके पीछे सोच यह है कि ड्रॉपलेट 1.5 मीटर की दूरी तय करने से पहले जमीन पर गिर जाती हैं या वाष्पित हो जाती हैं और आप संक्रमण की दायरे में आने से बच जाते हैं.
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अधिकांश देशों में दो व्यक्तियों के बीच 1-2 मीटर के सोशल डिस्टेंस पर जोर दिया जा रहा है. हालांकि, यह उन दो व्यक्तियों के लिए है, जो स्थिर खड़े हैं. कहने का मतलब है कि यह निर्धारित करते समय इस बात पर ध्यान नहीं दिया गया है कि टहलते, बाइक चलाते या फिर दौड़ते समय संक्रमण से बचने के लिए 1-2 मीटर की दूरी पर्याप्त होगी? वायुगतिकीय प्रभाव के चलते आगे बढ़ने वाला व्यक्ति यदि खांसता यह छींकता है, तो पीछे चलने वाले व्यक्ति के संक्रमित होने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है, भले ही वह 1-2 मीटर की दूरी क्यों न बनाया हो.
कायम रहता है खतरा
जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, अक्सर यह माना जाता है कि ज्यादातर पानी की बूंदें 1.5 मीटर की दूरी तय करने से पहले जमीन पर गिरती हैं या वाष्पित हो जाती हैं, इसलिए विभिन्न देशों की सरकारों द्वारा COVID-19 से बचाव के लिए 1.5 मीटर सामाजिक दूरी रखने के लिए कहा जा रहा है. हालांकि, सूक्ष्म बूंदों में बहुत कम जड़ता होती है और जब दो लोग एक दूसरे के आसपास के क्षेत्र में टहलते या दौड़ते हैं, यहां तक कि 1.5 मीटर की दूरी पर भी, तो एयरफ्लो पैटर्न और लोगों की गति के कारण, ये सूक्ष्म बूंदें एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में ट्रांसफर हो सकती हैं. लिहाजा शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष निकाला कि आगे और पीछे चल रहे व्यक्तियों के बीच दूरी घटने से जोखिम बढ़ता जाता है. इसलिए जितना संभव हो ज्यादा दूरी बनाये रखें और इसका सबसे अच्छा तरीका यह है कि आगे चलते वाले व्यक्ति के स्लिपस्ट्रीम से खुद को बाहर रखने का प्रयास करें.
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इतनी दूरी है जरूरी
शोध के परिणामों के अनुसार, यह सलाह दी जाती है कि टहलते समय कम से कम 5 मीटर की दूरी बनाएं, ताकि ड्रॉपलेट के आप तक पहुंचने की आशंका को खत्म किया जा सके. इसी तरह दौड़ते या धीमी गति से साइकिलिंग करते समय यह दूरी 10 मीटर होनी चाहिए. यदि तेज गति से साइकिलिंग कर रहे हैं, तो दो लोगों के बीच का दायरा अधिक होना चाहिए. यानी उन्हें कम से कम 20 मीटर की दूरी बनाये रखनी होगी तभी संक्रमण को एक से दूसरे में फैलने से रोका जा सकता है. साथ ही शोधकर्ताओं ने यह भी सलाह दी है कि किसी व्यक्ति के पास से गुजरते हुए दूसरी लेन का इस्तेमाल करें, यह संक्रमण के जोखिम को कम करता है.
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दोनों में अंतर
जब आप एक-दूसरे के आसपास खड़े होते हैं, तो स्थिति अलग होती है, ऐसे में निर्धारित 1.5 मीटर की दूरी काम कर सकती है. लेकिन टहलते या दौड़ते वक्त ऐसा नहीं होता. क्योंकि आपके आगे चल रहा व्यक्ति यदि खांसता या छींकता है तो उससे निकलने वाले ड्रॉपलेट हवा के प्रवाह के चलते काफी दूर तक पीछे आते हैं और पीछे चलने वाले व्यक्ति को अपनी चपेट में ले सकते हैं. हवा के बहाव गति भी इसमें अहम भूमिका निभाती है. इसलिए यदि आप टहलने या दौड़ने निकले हैं, तो खुद को संक्रमण से बचाने के लिए 1.5 मीटर से ज्यादा दूरी का पालन करें.