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Saturday, December 13, 2025
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what is gratitude journal: Gratitude Journal: हर बेहतर इंसान में होती है यह 1 खूबी, जीता है अच्छी जिंदगी – what is the gratitude journal tips for a healthy and happy life in hindi

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चाहे कोई कितना ही अमीर हो या कितना ही साधारण, तकलीफें तो हर किसी के जीव में होती हैं। फिर अच्छा जीवन किसे कहते हैं? और कैसे जिया जाता है ये अच्छा जीवन? अच्छे जीवन से जुड़े हमारे मन में उठनेवाले ऐसे कई सवालों के जबाव यहां दे रही हैं क्लिनिकल सायकाइट्रिस्ट नम्रता उपाध्याय

पहले समझें क्या है ग्रेटिट्यूट जनरल

ग्रैटिट्यूट जर्नल एक थॉट डायरी की तरह होता है। इसमें भगवान, प्रकृति और खुद से जुड़े हर व्यक्ति के प्रति उन चीजों के लिए आभार जताना होता है, जिनकी वजह से हमें खुशी या सुख मिला हो। इसे हम डायरी की तरह हर दिन लिख भी सकते हैं। या फिर केवल व्यवहार में भी अप्लाई कर सकते हैं।

अच्छी चीजों पर जाने लगता है ध्यान

-यह एक बहुत अच्छा इमोशन है, जो हमें नकारात्मकता से सकारात्मकता की तरफ ले जाता है। इससे हम अपने जीवन की कई तरह की नकारात्मकता हटाने के लिए उपयोग कर सकते हैं।

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ग्रेटिट्यूट जर्नल का असर

-हमें फोकस करना होता है कि हमारे साथ आज के वक्त में जो भी अच्छा हो रहा है, उस पर ध्यान दें और उसके लिए धन्यवाद व्यक्त करें।

-इसके लिए हमें सबसे पहले खुद पर और अपनी वर्तमान जिंदगी पर नजर डालनी होती है कि हमारे जीवन में नकारात्मक चीजें कौन-सी हैं। इस प्रक्रिया को मनोविज्ञान की भाषा में सेल्फ-इंट्रोसेप्शन (Self-introspection)यानी आत्मनिरीक्षण कहते हैं।

ऐसे करते हैं शुरुआत

जब हमें हमारी नकारात्मक चीजें पता चल जाएं तो हमें उन्हें हटाने का प्रयास करना होता है। इसके लिए जरूरी है कि हम अपना ध्यान नकारात्मक चीजों से हटाकर सकारात्मक भावों की तरफ मोड़ें। इसकी शुरुआत हम ग्रैटिट्यूट जर्नल के साथ कर सकते हैं। यानी हर अच्छी चीज के लिए कृतज्ञता व्यक्त करने से।

भावनात्मक बदलाव

-जैसे ही हम यह ग्रैटिट्यूट जर्नल फॉलो करना शुरू करते हैं तो हमारा तनाव, चिंता, चिड़चिड़ापन, गुस्सा आना जैसी भावनाएं कम होने लगती हैं।

-इससे हमारे हमारा मन शांत और प्रसन्न रहता है। इससे हमारा कॉन्फिडेंस लेवल और सेल्फ स्टीम बढ़ जाती है। इससे हमारे अंदर नेगेटिविटी से लड़ने के लिए कोपिंग स्किल्स बढ़ जाती हैं और नकारात्मक विचार हम पर जल्दी से हावी नहीं हो पाते।

बदला लेने की भावना कम होती है

कोपिंग स्किल्स बढ़ने से व्यक्ति के अंदर इंपेथी का स्तर बढ़ जाता है। यानी वह दूसरे के दुख और दर्द को अपने दुख-तकलीफ की तरह महसूस कर पाता है। इससे उनमें पुरानी घटनाओं के कारण हुई परेशानी या नुकसान का बदला लेने की इच्छा कम हो जाती है और व्यक्ति का स्वभाव शांत और सोच सकारात्मक बनती है।

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क्या होती है हैपी लाइफ

रिश्ते को बैलंस करने में मददगार है ग्रैटिट्यूट जर्नल

-आभार व्यक्त करने की आदत व्यक्ति के अंदर कोपिंग स्किल्स बढ़ाती है, जिससे उसमें इंपेथी लेवल डिवेलप होता है और व्यक्ति की समझ का स्तर बढ़ जाता है। ये सभी बातें बेहतर तरीके से जीवन जीने और अपने रिश्तों को इंजॉय करने में सहायक होती हैं।

-इसलिए इसकी शुरुआत करने के लिए हमें किसी अच्छे वक्त का इंतजार नहीं करना चाहिए… बल्कि तुरंत अपने जीवन में इसे ढाल लेना चाहिए। इससे तकलीफ भरे वक्त से बाहर निकलने में आसानी होगी।

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घर से करें शुरुआत

-ग्रैटिट्यूट जर्नल की शुरुआत के लिए आपको कुछ अलग या नया क्रिएट करने की जरूरत नहीं है। बल्कि अपनी फैमिली और मेड को उनके काम और सहायता के लिए थैंक्यू बोलें। अगर आप शुरुआत में ऐसा करने में झिझक महसूस कर रहे हैं तो आप बोलने से पहले उनके प्रति खुद को थैंकफुल यानी कृतज्ञ महसूस करना शुरू करें।

-ऐसा करने से आपके अपने अंदर सकारात्मकता की वृद्धि होगी। आपका व्यवहार और नजरिया दोनों ही पहले से कहीं अधिक विस्तृत और संभावनाओं से भरे होंगे।

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