Tuesday, April 16, 2024
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what is the cause of bruising for no reason: बिना चोट के ही बार-बार पड़ जाते हैं नील के निशान, कहीं बॉडी में ये गड़बड़ी तो नहीं?

क्या आपके शरीर पर भी नील के निशान हैं। अगर हां, तो जरूरी नहीं कि यह किसी चोट के कारण हो, बिना किसी चोट के भी शरीर पर नील पड़ जाता है। कई बार तो ऐसा होता है कि अभी आपने देखा तो पैरों या शरीर में कोई निशान नहीं दिखता, लेकिन आज देखा तो नीला सा निशान दिखाई दे रहा है, जो बहुत ही भद्दा दिखता है।

वैसे युवा लोगों के मुकाबले बुजुर्ग लोगों को नील पड़ने का खतरा ज्यादा होता है। अगर बार-बार ऐसा हो रहा है, तो इसे नजरअंदाज करना ठीक नहीं है। इसके पीछे के कारणों को जानना बेहद जरूरी है, जिनकी वजह से आपके शरीर पर नील के निशान पड़ रहे हैं। तो आइए जानते हैं शरीर पर नील के निशान पड़ने के संभावित कारण क्या हैं।

​शरीर पर नील के निशान क्यों पड़ते हैं

नील आमतौर पर टिशू की चोट का परिणाम होते हैं, जिससे त्वचा का रंग खराब हो जाता है। यह तब बनता है जब चोट के बाद त्वचा के नीचे ब्लीडिंग होती है और धमनियों व ब्लड वेसेल्स को नुकसान पहुंचता है। चोट का रंग काला और नीला से लेकर भूरा या बैंगनी कुछ भी हो सकता है। कई बार नील पड़ने से कोई खास फर्क नहीं पड़ता, लेकिन जिन लोगों की त्वचा नाजुक होती है, उन्हें इसे दबाने पर हल्का दर्द महसूस हो सकता है।

​नील पड़ने के कारण

हीमोफोलिया-

चोट लगने के सामान्य कारणों में से एक है ब्लीडिंग डिसऑर्डर । यह एक ऐसी स्थिति है, जो तब बनती है जब किसी व्यक्ति का खून बिल्कुल नहीं जमता या बहुत धीरे-धीरे जमता है। ब्लीडिंग डिसऑर्डर जैसे हीमोफोलिया रोग चोट लगने की मुख्य वजहों में से एक है। यह एक ऐसा अनुवांशिक रोग है, जिसमें जब शरीर से खून निकलता है , तो वह जल्दी जमता नहीं है।

इससे कोई दुघर्टना होने के कारण व्यक्ति का खून बहना नहीं रूकता और उसकी मौत तक हो जाती है। बता दें कि यह बीमारी खून में थ्राम्बोप्लास्टिन नामक पदार्थ की कमी से होती है। इसमें खून जमाने की अच्छी क्षमता होती है। इसलिए बिना वजह नील पडऩा भी हीमोफोलिया के कारण हो सकता है।

​विटामिन-सी या विटामिन-के की कमी-

विटामिन सी की कमी से स्कर्वी जैसी बीमारी हो सकती है। जिसके चलते चोट लग जाती है। इसके अलावा विटामिन-के भी ब्लड के जमने में मदद करता है और ब्लीडिंग रोकता है (1)। बता दें कि ये पोषक तत्व चोट लगने की किसी भी घटना को रोकने के लिए बहुत जरूरी है। विटामिन के की कमी से शरीर पर नील के निशान बहुत आसानी से पड़ सकते हैं।

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​कैंसर-

ब्लड और बोन मेरो से जुड़े कैंसर , जिन्हें ल्यूकेमिया कहा जाता है इसके कारण शरीर में जगह-जगह नील पड़ सकते हैं। (2) ल्यूकेमिया से पीडि़त लोगों को नील पड़ने की संभावना सबसे ज्यादा होती है, क्योंकि उनके शरीर में ब्लड वेसेल्स से खून बहने को रोकने के लिए पर्याप्त प्लेट्लेट्स नहीं बन पातीं।

ऐसा कीमोथैरेपी के कारण होता है। दअसल, कीमोथरैपी होने पर प्लेट्लेट्स बहुत नीचे आ जाते हैं। हालांकि, ल्यूकेमिया से होने वाला घाव किसी अन्य कारण से होने वाले घाव से थोड़ा अलग होता है। लेकिन ये शरीर के किसी भी हिस्से में दिखाई दे सकता है।

​ज्यादा शराब का सेवन करना –

ज्यादा शराब पीना भी नील पड़ने की एक वजह होता है । जब व्यक्ति में लिवर से जुड़ी बीमारियां होती हैं, तो यह लिवर से प्राटीन के उत्पादन को सीमित कर देती हैं, जो खून के जमने के लिए बहुत जरूरी है। इससे ब्लीडिंग रूकती नहीं है, बल्कि बार-बार और आसानी से चोट लगने की संभावना भी बढ़ जाती है।

​खून पतला करने वाली दवाएं-

खून पतला करने वाली दवाओं के लगातार सेवन से नील के दाग दिखाई देने लगते हैं। खासतौर से एस्पिरिन जैसे खून पतला करने वाली दवाओं के कारण ब्लीडिंग बहुत ज्यादा होती है। (4) इसलिए जब तक बहुत ज्यादा जरूरत न हो, तो ब्लड थिनर लेने से बचें, वरना ब्लीडिंग और चोट लगने का खतरा बढ़ सकता है।

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तो अगर आपको भी बार-बार शरीर पर नील के निशान दिखाई देते हैं, तो यहां बताए गए कारणों पर नजर डालें और खतरनाक समस्या से राहत के लिए इन कारणों से बचने की कोशिश करें।

अंग्रेजी में इस स्‍टोरी को पढ़ने के लिए यहां क्‍लिक करें


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