न्यूज 18 से चर्चा करते बलराज सिंह.
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बीजापुर (Bijapur) में हुए नक्सली हमले के दौरान सरदार बलराज सिंह ने पगड़ी उतार कर मानवता की एक ऐसी मिशाल पेश की जिससे पूरा सीख पंथ सहित पूरी इंसानियत गौरवानवित महसूस कर रहा है.
एक तरफ माओवादियों के गोलियों की बौछार. दूसरी तरफ उनसे लोहा लेते हमारे जावांज वीर सिपाही. एक तरफ 22-22 शहादत का गमगीन मंजर. दूसरी तरफ सरदार बलराज की इंसानित. जी हां 3 अप्रैल को छत्तीसगढ़ के बीजापुर में हुए नक्सली हमरे के दौरान की यह एक ऐसी कहानी है, जिसे देखकर आप भी कह उठेंगे. वाह बलराज वाह. आप चाह कर भी अपने आपको यह कहने से नहीं रोक पाएंगे कि इंसानित से बढ़कर कोई धर्म, कोई मजहब और कोई पंथ नहीं होता. जिसका नायाब उदाहरण सरदार बलराज सिंह ने पेश किया.
ऐसे बचाई जान
दरअसर कोरबा कमांडो सिपाही बलराज सिंह ने नक्सलियों से लोहा लेते समय देखा की उनसे साथी अधिकारी एसआई अभिषेक पाण्डे को नक्सलियों द्वारा यूबीएलजी (अंडर बैरल ग्रेनेड लॉचंर) से दागी गई गोली उनके पैर के आर-पार हो गई है और फस्टएड की टीम डीआरजी के जवानों का उपचार कर रही है. बलराज सिंह ने एसआई पाण्डे के मदद के लिए कई बार आवाज लगाई, मगर कोई मदद के लिए नहीं पहुंचा. तेज रफ्तार से बहते खून के साथ ही अभिषेक पाण्डे दर्द से कराह रहे हैं और मदद की गुहार लगा रहे थे. साथी अधिकारी की जान बचाने के लिए जब सरदार बलराज को कुछ नहीं मिला तो बलराज सिंह ने अपनी पग उतार दी. उतार कर पहले उसे प्रणाम किया. फिर उस कपड़े से अभिषेक के जख्म पर बांध दिया, जिससे अभिषेक का ना केवल खून बहना बंद हुआ. बल्कि दर्द से भी राहत मिली. इसी दौरान सरदार खुद भी घालय हो गए.


