ललितपुर। जनपद में जाखलौन, धौर्रा और बालाबेहट क्षेत्र इमारती पत्थर के कारोबार से प्रसिद्ध है। यहां का पत्थर पूरे बुंदेलखंड समेत हरियाणा तक जाता था। लेकिन, बीते वर्षों में कारोबार में गिरावट आ गई है। इसका कारण महावीर वन्य जीव विहार के कारण 72 में से 64 खदानों से खनन बंद होना है। इससे क्षेत्र के 18 हजार लोगों का रोजगार छिन गया है। अब कारोबार केवल साढ़े बारह प्रतिशत ही बचा है।
पत्थर के कारोबार में जिला बुंदेलखंड में प्रथम स्थान पर है। यहां के पत्थर की अन्य जिलों में काफी मांग रही है। यहां पर शुरुआत में 72 से अधिक खदानों से पत्थर खनन का कार्य किया जाता था। पत्थर अधिक होने से कारोबार का क्षेत्र व्यापक हो गया था। यहां का पत्थर जनपद जालौन व जिले के समीपवर्ती सीमाओं से सटे मध्य प्रदेश में भी जाता था।
सबसे अधिक पत्थर की खदानें धौर्रा, देवगढ़ और बालाबेहट क्षेत्रों में है। लेकिन, बीते वर्षों में राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने महावीर वन्य जीव विहार के दस किलोमीटर की परिधि में आने वाली लगभग 64 खदानों पर प्रतिबंध लगा दिया था, तब से क्षेत्र में खनन प्रभावित बना हुआ है। इसकी जांच में राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने महावीर वन्य जीव विहार से खनन की सीमा को कम करते हुए एक किलोमीटर का दायरा कर दिया है। एक किलोमीटर की परिधि तय होने के बाद क्षेत्र की 64 खदानों में से 33 खदानों से प्रतिबंध हट गया है, लेकिन इन खदान संचालकों को अनापत्ति प्रमाण पत्र लाने की अनिवार्यता रख दी।
तब से अब तक कोई भी खदान संचालक अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं ला सका है। हालांकि, इसमें कुछ खदान संचालकों की एनओसी की प्रक्रिया चल रही है। महावीर वन्य जीव विहार से एक किलोमीटर की परिधि में आने वाली खदानों पर राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण से रोक लग जाने के कारण 31 खदानें पूरी तहर से बंद हो गईं है। यहां क्षेत्र के लोगों केे सामने बेरोजगार का संकट बना हुआ है। स्थिति यह है कि शुरुआत में जहां 72 खदानों से खनन कार्य चलता था, जो अब घटकर केवल आठ खदानों तक ही सीमित रह गया है। इससे जिले में केवल साढ़े 12 फीसदी पत्थर का कारोबार ही चल रहा है।
18 हजार लोग हुए बेरोजगार
पत्थर की खदानों के संचालन होने से इस क्षेत्रों में लगभग 18 हजार लोगों को रोजगार के अवसर मिले थे। लेकिन, राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण द्वारा रोक लगने से इमारती पत्थर की खदानों से खनन कार्य पूरी तरह से बंद हो गया और क्षेत्र के अधिकांश लोग बेराजगार हो गए। स्थिति यह है कि वर्तमान में अधिकांश गांवों के सहरिया बस्ती में केवल बुजुर्ग लोग ही घरों पर रह रहे हैं। शेष लोग मजदूरी नहीं मिलने के चलते पलायन कर गए। कुछ लोगों के सामने बेरोजगारी के चलते आर्थिक संकट आ गया है। लोगों को परिवार का पालन पोषण करना मुश्किल हो गया है।
इन गांव के लोग हुए बेरोजगार
तहसील पाली अंतर्गत ग्राम कनपुरा, हरदारी, मादौन, कपासी, अमऊखेड़ा, जहाजपुर, गडौली, रमपुरा, कुचदौं व जाखलौन क्षेत्र के लोग भी बेरोजगार हो गए हैं।
खदानों से खनन कार्य बंद होने से बेरोजगारी बढ़ गई है। रोजगार नहीं मिलने से आर्थिक संकट बना हुआ है। परिवार का भरण पोषण करना मुश्किल हो रहा है।
– अनिल कुमार
खदानों के संचालन से क्षेत्र में रोजगार की सुविधाएं हो गईं थी। लोगों को अपने गांव में ही रोजगार मिल गया था। खदान बंद होने से मजदूरी के लाले पड़ गए हैं।
– ऊदल सिंह कुशवाहा
क्षेत्र में अभी तक लोगों को रोजगार की सुविधाएं मुहैया नहीं हो सकी है। खदानों से मिला रोजगार भी बंद होने से काम प्रभावित हो गया। अब मजदूरी भी नहीं मिल पा रही है।
– खलक सिंह
क्षेत्र में बढ़ती बेरोजगारी से अधिकांश गांवों के सामने आर्थिक संकट है। लोग रोजगार की आस में पलायन कर गए हैं।
– बृजेंद्र विश्वकर्मा
जाखलौन और देवगढ़ क्षेत्र में खदानों के बंद होने से लगभग 18 हजार लोग बेरोजगार हो गए हैं। अधिकांश ग्रामों के लोग रोजगार के लिए पलायन कर गए हैं।
– रामेश्वर मिश्रा, पूर्व प्रधान
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दस किलोमीटर से परिधि हटाकर एक किलोमीटर कर दी गई है। इससे 33 खदानों से प्रतिबंध हट गया है। खदान संचालक द्वारा एनओसी लाते ही खदानों से इमारती पत्थर का खनन कार्य शुरू कराया जाएगा।
– नवीनकुमार दास
क्षेत्रीय/जिला खान अधिकारी