Tuesday, January 21, 2025
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एमपी में यूरिया पर रारः कमलनाथ ने फोड़ा केंद्र सरकार पर ठीकरा, बोले-फिर भी संकट से निपटने के प्रयास जारी


भोपाल। प्रदेश में यूरिया की किल्लत को लेकर किसानों के बीच झगढ़े की नौबत आने के बाद अब इसे लेकर सियासत तेज हो गई है। मुख्यमंत्री कमल नाथ द्वारा कल इस मामले में केंद्र सरकार पर ठीकरा फोड़ने के साथ अब बयानबाजी की बरसात होने लगी है। सीएम के बयान को आधार बना कर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सवाल किया है कि प्रदेश ने 29 में से 28 सांसद भाजपा के चुन कर भेजे हैं। ये सांसद यूरिया की कमी पर चुप क्यों हैं? केंद्र सरकार से वे अधिक यूरिया की मांग क्यों नहीं करते?

इससे पहले मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा है कि रबी मौसम के लिए यूरिया की मांग को देखते हुए हमने केन्द्र सरकार से 18 लाख मीट्रिक टन यूरिया की मांग की थी, परंतु केन्द्र सरकार द्वारा यूरिया के कोटे में कमी कर दी गयी। एक साथ मांग आने तथा केन्द्र सरकार द्वारा हमारे यूरिया के कोटे में कमी कर देने के कारण वितरण में जरूर कुछ स्थानों पर किसान भाइयों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा है लेकिन हम लगातार यूरिया की पर्याप्त आपूर्ति को लेकर प्रयासरत हैं। केंद्र सरकार से प्रदेश का यूरिया का कोटा बढ़ाने को लेकर निरंतर हमारे प्रयास जारी है। भाजपा यदि सच्ची किसान हितैषी है तो उसे इस मुद्दे पर राजनीति करने की बजाय अपनी केंद्र सरकार पर दबाव डालकर प्रदेश की मांग अनुसार यूरिया की आपूर्ति सुनिश्चित करवाना चाहिए।

रजनीश ने पूछे दस सवाल
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने दिग्विजय सिंह के ट्वीट के जवाब में उनसे दस सवाल पूछ कर प्रदेश की कांग्रेस सरकार को ही यूरिया संकट पर कठघरे में खड़ा किया है। उन्होंने दिग्विजय सिंह से कहा है कि आप भी सांसद हैं। आप बताइए या पूछिए मुख्यमंत्री से कि
1- समय से पहले रबी की फसल की बोवनी का आकलन क्यों नहीं किया गया?
2- इस आकलन के आधार पर यूरिया की जरूरत क्यों नहीं समझी?
3- जरूरत के अनुसार समय से पहले केंद्र से मांग क्यों नहीं की?
4- यूरिया के परिवहन, भण्डारण और वितरण का उचित प्रबंध क्यों नहीं किया गया?
5- भाजपा सरकार किसानों की मांग के पहले यूरिया ग्राउंड जीरो पर उपलब्ध कराती थी पर कांग्रेस सरकार ने क्यों नहीं किया?
6- रबी के फसल के बारे सरकार की तैयारियों को लेकर कुल कितनी बैठकें हुईं?
7- उपलब्ध यूरिया का वितरण न्यायसंगत/तर्कसंगत क्यों नहीं किया गया? चीन्ह-चीन्ह कर दे…कहावत को चरितार्थ क्यों किया गया?
8- कुप्रबंधन/कुशासन के कारण कितने जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की गई?
9- केंद्र सरकार से कब-कब पत्राचार किया गया? कब किया जाना चाहिए था?
10- ये संकट कांग्रेस की सरकार में ही क्यों आते हैं? क्या इससे सिद्ध नहीं होता कि बंटाधार रिटर्न।


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