भोपाल। नर्मदा, शिप्रा और मंदाकनी नदी न्यास के अध्यक्ष कम्प्यूटर बाबा रेत उत्खनन को लेकर अपने हठ योग के बाद अब कैबिनेट मंत्री का दर्जा पाने के लिए मचल गए हैं। सरकार द्वारा मठ- मंदिर सलाहकार समिति के अध्यक्ष सुबुद्धानंद को कैबिनेट मंत्री दर्जा मिलने के बाद अब वे भी इससे कम पर राजी नहीं हैं। बाबा की जिद को देखते हुए अध्यात्म विभाग ने मुख्यमंत्री को उन्हें कैबिनेट मंत्री दर्जा देने का प्रस्ताव भेज दिया है।
मार्च माह में नर्मदा, शिप्रा और मंदाकनी नदी न्यास की जिम्मेदारी मिलने के बाद मंत्रालय में पदभार संभालने वाले कम्प्यूटर बाबा अभी तक नर्मदा किनारे हुए पौधरोपण और रेत उत्खनन पर अपना ध्यान केद्रित किए हुए थे। बीच-बीच में बाबा सरकार को अपनी जरूरतें भी बता रहे थे, लेकिन उनकी प्राथमिकता में अभी तक कैबिनेट मंत्री का पद नहीं आया था। राज्य सरकार द्वारा हाल ही में स्वामी सुबुद्धानंद को कैबिनेट मंत्री दर्जा दिए जाने के बाद बाबा को भी अब यही रसूख चाहिए। इसके लिए कम्प्यूटर बाबा मंगलवार को मंत्रालय में चक्कर काटते दिखे। सूत्रों के अनुसार बाबा कल अध्यात्म विभाग के मंत्री पी.सी. शर्मा से भी मिले और उन्हें अपनी पीड़ा बताई। बाबा को इस बार कैबिनेट मंत्री के कम दर्जा मंजूर नहीं है। उनका तर्क है कि सरकार ने सुबुद्धानंद महाराज को कैबिनेट मंत्री बनाया है, तो उन्हें भी उनके समकक्ष ओहदा दिया जाए। राज्यमंत्री का दर्जा तो वे पहले ही संभाल चुके हैं। बाबा के आग्रह पर उन्हें कैबिनेट मंत्री दर्जा देने संबंधी प्रस्ताव अध्यात्म विभाग ने मुख्यमंत्री को भेज दिया है। अब मुख्यमंत्री कमल नाथ को निर्णय करना है कि उन्हें कौन सा दर्जा दिया जाए और कब दिया जाए। बता दें कि शिवराज सरकार के दौरान उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा और उस पद की सुख-सुविधाएं मिली थीं। बाबा इसके बावजूद शिवराज के खिलाफ हो गए और उन्होंने विधानसभा तथा लोकसभा चुनाव में खुलकर कांग्रेस के पक्ष में काम किया था। इसका लाभ भी उन्हें हुआ और नर्मदा न्यास अध्यक्ष पद से नवाजे गए।