- ट्रंप बोले- सुलेमानी ने दहशतगर्दों को दी थी ट्रेनिंग, कराया था गृहयुद्ध
- ईरान को आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका का देना चाहिए साथ- ट्रंप
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरानी कमांडर जनरल कासिम सुलेमानी को दुनिया का सबसे बड़ा आतंकवादी बताया है. उन्होंने कहा कि सुलेमानी अमेरिकियों के लिए खतरा बन चुका था. वह अमेरिकियों की हत्या भी कर चुका था. वह अमेरिकियों पर फिर से हमले की साजिश रच रहा था. हमने उसको ढेर कर दिया और अमेरिकियों पर हमला करने से रोक दिया. सुलेमानी को बहुत पहले ही मार दिया जाना चाहिए था.
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि सुलेमानी ने आतंकी संगठन हिज्बोल्लाह समेत दहशतगर्दों को ट्रेनिंग दी थी और इलाके में गृहयुद्ध करवाया था. उसने अमेरिकी दूतावास पर भी हमले करवाया था. वह अमेरिकियों के लिए खतरा बन हुआ था. उसके हाथ खून से रंगे थे. इस दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने यह भी कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में ईरान को अमेरिका का साथ देना चाहिए, लेकिन वह आतंकवाद का प्रयोजक बन गया है.
ट्रंप ने कहा कि अमेरिका 10 हजार आतंकियों को ढेर कर चुका है. हमने तीन महीने पहले अबु बक्र अल-बगदादी को मार गिराया था. सुलेमानी की मौत के बाद गहराए तनाव के बीच अमेरिका राष्ट्रपति ट्रंप ने साफ कहा कि अमेरिका को मिडिल ईस्ट के तेल की जरूरत नहीं है. ऊर्जा के क्षेत्र में अमेरिका आत्मनिर्भर है. इस दौरान ट्रंप ने ईरानी मिसाइल हमले में 80 अमेरिकी सैनिकों के मारे जाने की बात को भी सिरे से खारिज कर दिया.
इससे पहले ईरानी मीडिया ने दावा किया कि ईरान के इस मिसाइल हमले में करीब 80 अमेरिकी सैनिकों की मौत हुई. ईरानी मीडिया ने इन अमेरिकी सैनिकों को सैनिक नहीं बल्कि अमेरिकी आतंकी बताते हुए संबोधित किया, क्योंकि ईरानी संसद ने अमेरिका की सेनाओं को आतंकी घोषित कर दिया है. ईरान स्टेट टीवी ने रेवॉल्यूशनरी गार्ड्स के हवाले से दावा किया कि हमले में अमेरिकी हथियारों और हेलिकॉप्टरों को भी भारी नुकसान पहुंचा है और ईरान के निशाने पर अभी 100 अमेरिकी ठिकाने और हैं. अगर अमेरिका ने पलटवार करने की कोशिश की, तो वह इन ठिकानों पर भी हमला करेगा.
ईरान ने मिसाइल हमले से पहले कासिम सुलेमानी की मौत के बाद सबसे पहले ईरानी संसद ने अमेरिकी सेना को आतंकवादी और पेंटागन को आतंकवादी संगठन घोषित करार दिया. ये ईरान के पलटवार का पहला चरण था. इसके बाद दूसरे चरण के तहत 8 जनवरी की आधी रात को ईरानी सेना ने इराक में मौजूद अमेरिका के दो सैन्य ठिकानों पर मिसाइल से हमला किया. अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर ये हमला सुलेमानी की मौत के बदले के तौर पर देखा जा रहा है.