
सालों से लोग शासन-प्रशासन से मांग कर रहे हैं.
उमरगांव के फरियाद की उम्र बढ़ती ही जा रही है.. इधर मांग पूरी होना तो दूर आज ये लोग मजदूरी कर के जीवन यापन करने को मजबूर हैं.
धमतरी जिले के नगरी तहसील का उमर गांव, शायद ये छत्तीसगढ़ का इकलौता गांव होगा जहां एक साथ 45 स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हुए जिन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया और जेल गए. सेनानी के वंशज घुरउ राम बताते हैं कि यहां आजादी के ऐसे भी दीवाने हुए जिन्होंने 1947 में आजादी की खबर पाते ही जंगल में तिरंगा फहरा दिया था. तब अंग्रेजों ने इन्हें तिरंगा फहराने की सजा के तौर पर बेंत से मारा था, लेकिन वो बेंत खाकर भी वंदे मातरम का नारा लगाते रहे.
मामूली मांगें जो 62 साल से अधूरी अब सेनानियों के वंशज चाहते हैं कि गांव के स्कूल का नाम, अस्पताल का नाम उन पूर्वजों के नाम पर रखा जाए जिन्होंने देश के लिए बलिदान दिया. दूसरी मांग ये कि इस गांव को गौरव ग्राम घोषित किया जाए. तीसरी मांग इस गांव में सेनानियों के नाम का स्मारक बनाया जाए. चौथी मांग एक स्वागत द्वार बनाया जाए. ये छोटी-छोटी मांग आज से नहीं बल्कि बीते 62 साल से की जा रही है, लेकिन विधाय, सांसद से लेकर मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री तक मौखिक और दस्तावेजी तौर पर बात रखी जा चुकी है. लेकिन आज तक शासन-प्रशासन के काम में जूं तक नहीं रेंगी. सेनानियों के वंशज नीलांबर सिंह, घुराउ राम, और राजकुमार तंज कसते है. सवाल उठाते है कि मजह पांच साल में कैसे मंत्रियों के एअर कंडिशन बंगले बन जाते हैं और सेनानियों के बच्चे गरीबी के गर्त से बाहर नहीं निकल पाते. एक तीखा तंज ये भी कि बासी चटनी खाने वालों को जब लजीज पकवान मिलने लगता है तब वो अपनों को भूल जाते हैं.

लोग मजदूरी करने को मजबूर हैं.
आर्थिक रूप से बेहद कमजोर है सेनानियों के वंशज
जिनकी बदौलत लोग आज आजाद भारत में विधायक सांसद और मंत्री बने. लाल बत्ती में वीआईपी दर्जे में रहते है. उनके आग अपनी छोटी सी मांग के लिए नाक रगड़ते-रगड़ते इन्हें हर बार आश्वासन और फिर धोखा ही मिला है. इन्हें अब अपमान की इतनी आदत सी पड़ गई है कि ये लोग उसमें भी हास्य का पुट निकाल लेते है. आज गांव के 45 सेनानियों का परिवार बुरे हाल में है. जीने के लिए छोटी-मोटी खेती है या फिर रोजी मजदूरी का रास्ता है. सारे गांव के लोग चाहते हैं कि इन परिवारों का सरकार ध्यान रखे.

अब सेनानियों के वंशज चाहते हैं कि गांव के स्कूल का नाम सेनानियों के नाम पर हो.
सत्ताधारी पार्टी का बहाना, प्रशासन का आश्वासन
देश में 60 साल तक राज करने वाली कांग्रेस फिर सत्ता में है लेकिन धमतरी जिला कांग्रेस के अध्यक्ष शरद लोहाना का कहना है कि अभी सत्ता में आए सवा साल ही हुए हैं लेकिन हमारे पास 5 साल है. उमरगांव की सभी मांगें पूरी की जाएंगी. इधर धमतरी कलेक्टर रजत बंसल ने बतायाा कि उमरगांव का मामला अभी संज्ञान में आया है. अगर नेता और जिला प्रशासन की मानें तो बीते 62 साल में जो मांगे रखी गई वो कचरे के डब्बे में डाल दी गई. अब सवाल फिर से वही है कि क्या सेनानियों के सम्मान की खातिर कब तक, कितनी पीढ़ियों को संघर्ष करना पड़ेगा.
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First published: May 23, 2020, 12:15 PM IST