- कोरोना से इलाज के लिए पारंपरिक पद्धति कितनी कारगर
- टास्क फोर्स रिसर्च संस्थानों के साथ मिलकर करेगी काम
कोरोना वायरस से बचाव के लिए इलाज की खोज जारी है. पीएम मोदी ने AYUSH मंत्रालय के तहत एक टास्क फोर्स का गठन किया है, जो आयुर्वेद के जरिए COVID-19 का इलाज ढूंढने का काम करेगा. आयुर्वेद और पारंपरिक दवाइयों के जरिए इस खतरनाक बीमारी पर काबू पाने की दिशा में ICMR ( भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद) जैसे संस्थान रिसर्च कर रहे हैं. टास्क फोर्स इनके साथ मिलकर रिसर्च को तेजी से आगे बढ़ाने का काम करेंगे.
केंद्रीय मंत्री श्रीपद येसो नाइक ने इस बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा, ‘प्रधानमंत्री मोदी ने एक टास्क फोर्स गठित किया है. जो आयुर्वेद और पारंपरिक दवाइयों के मेडिकल फॉर्मूले को COVID-19 के खिलाफ वैज्ञानिक तरीके से प्रयोग करने की दिशा में काम करेगा. ये टास्क फोर्स ICMR जैसे संस्थान के साथ मिलकर काम करेगा. जिससे आयुर्वेदिक पद्धति से कोरोना जैसी खतरनाक बीमारी का इलाज संभव हो सके.’
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा, ‘हमें अब तक 2000 प्रस्ताव मिले हैं, इनमें से कई सुझावों की वैज्ञानिक वैधता चेक करने के बाद उसे ICMR और अन्य रिसर्च संस्थानों को भेजे जाएंगे.’
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बता दें, अमेरिकी वैज्ञानिकों ने उस टारगेट को खोज लिया है, जहां कोरोना वायरस की एंटीवायरस वैक्सीन असर करेगी. यानी यह कोरोना के इलाज में यह एक बड़ी सफलता है. इसकी मदद से दवाई ठीक आपके शरीर में उसी जगह पर वायरस पर हमला करेगी, जहां से वह चिपका होगा. ये खोज की है अमेरिका के कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने. सबसे पहले यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस कोविड-19 की संरचना और प्रकृति का मिलान सार्स (SARS) और मर्स (MERS) की संरचना और प्रकृति से किया.
वैज्ञानिकों का फोकस था कोरोना वायरस की बाहरी कंटीली परत पर. यानी स्पाइक प्रोटीन पर, जो आपके शरीर की कोशिकाओं से जाकर चिपक जाता है. फिर कोशिकाओं को संक्रमित कर और वायरस पैदा करता है. वैज्ञानिक यह जानकर हैरान रह गए कि कोरोना वायरस कोविड-19 यानी सार्स-सीओवी2 की संरचना 2002 में फैली सार्स महामारी के वायरस से 93 प्रतिशत मिलती है. यानी कोविड-19 के जीनोम सिक्वेंस सार्स वायरस के जीनोम सिक्वेंस से मिलते जुलते हैं.
कॉर्नेल यूनिवर्सिटी की सुजैन डेनियल प्रयोगशाला में कोरोना वायरस की बाहरी परत यानी कंटीले प्रोटीन पर गहन अध्ययन चल रहा है. यहां गैरी व्हिटकर की टीम ये देख रही है कि इंफ्लूएंजा का वायरस और कोरोना वायरस शरीर की कोशिकाओं में कैसे घुसता है. वायरस का आपके शरीर में मौजूद कोशिकाओं से चिपकना एक बड़ी लंबी चरणबद्ध प्रक्रिया है.
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इसमें वायरस सबसे पहले यह देखता है कि उसने सही कोशिका का चुनाव किया है कि नहीं. इसके लिए वायरस को कोशिका के आसपास मौजूद रसायन बताते हैं कि यह कोशिका सही टारगेट है या नहीं. यही बात सबसे पहले कोरोना वायरस की बाहरी परत को पता चलती है. यही कंटीली परत फिर टारगेट कोशिका की सतह से जाकर चिपक जाती है.
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इसके बाद कंटीली परत जिसे फ्यूजन पेप्टाइड कहते हैं, वह कोशिका को तोड़ना शुरू करती है, इसके लिए वह सबसे पहले आपके शरीर की टारगेट कोशिका की बाहरी परत में छेद करना शुरू करती है. इसके बाद इसी कोशिका में अपना जीनोम सिक्वेंस भेजकर नए वायरस की उत्पत्ति शुरू कर देती है.