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Walnut Growing Tips: अखरोट का पौधा लगाने के बाद यह एक साल में तेजी से बढ़ता है और सिर्फ दो से तीन साल में फल देने लगता है. यही इसकी सबसे बड़ी खासियत है, जिसकी वजह से यह बागवानी प्रेमियों के बीच तेजी से आकर्षण का केंद्र बन रहा है.
रायपुर. छत्तीसगढ़ में बागवानी की नई दिशा के रूप में अखरोट की खेती किसानों और बागवानी प्रेमियों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही है. रायपुर के गार्डनिंग एक्सपर्ट राजेश ध्रुव ने लोकल 18 से कहा कि अखरोट को गमले की बजाय सीधे जमीन में लगाना ज्यादा लाभदायक होता है. पौधे की बेहतर ग्रोथ और जल्दी फल मिलने के लिए इसकी देखभाल वैज्ञानिक तरीके से करनी जरूरी है. अखरोट का पौधा लगाने के लिए पहले जमीन में एक से डेढ़ फीट का गड्ढा खोदना चाहिए. इस गड्ढे में सबसे पहले वर्मी कम्पोस्ट या गोबर खाद डालनी चाहिए ताकि पौधे की शुरुआती वृद्धि मजबूत हो सके. इसके बाद पौधे को रोपकर मिट्टी से ढक देना चाहिए. अगर कोई व्यक्ति इसे गमले में लगाना चाहता है, तो उसके लिए 18 से 20 इंच का बड़ा गमला होना जरूरी है क्योंकि छोटे गमले में पौधे की ग्रोथ बाधित हो सकती है.
समय-समय पर छिड़काव जरूरी
उन्होंने आगे कहा कि वहीं कीट और रोगों से बचाव के लिए समय-समय पर छिड़काव करना जरूरी है. उनका मानना है कि पौधे पर कीड़े दिखें या न दिखें, फिर भी हर 15 से 30 दिनों के अंतराल पर हमला, सोनाटा और साफ पाउडर का छिड़काव करना चाहिए. इससे पौधे की पत्तियां हरी-भरी और चमकदार बनी रहती हैं. यही कारण है कि लोग अब इसे सजावटी पौधे और आर्थिक फसल दोनों रूपों में अपनाने लगे हैं.
बता दें कि अखरोट का पौधा बाजार में करीब 250 रुपये में मिल जाता है. छत्तीसगढ़ में पिछले दो से तीन साल से नर्सरी के माध्यम से अखरोट के पौधे बेचे और लगाए जा रहे हैं. इससे यहां के बागवानों के लिए एक नया विकल्प तैयार हुआ है, जो आने वाले समय में अच्छी आमदनी का जरिया बन सकता है.
राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.
राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.
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