Wednesday, July 2, 2025
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जवान की मां का हो गया था निधन, ट्रक, मालगाड़ी और नाव से 1100 किलोमीटर की यात्रा कर इस तरह पहुंचे गांव – Jawan posted in Chhattisgarh travels 1100 km after mother death nodbk | mirzapur – News in Hindi

जवान की मां का हो गया था निधन, ट्रक, मालगाड़ी और नाव से 1100 किलोमीटर की यात्रा कर इस तरह पहुंचे गांव

उन्होंने वहां लगभग दो घंटे तक इंतजार किया और बाद में एक मिनी ट्रक ने उन्हें रायपुर से लगभग दो सौ किलोमीटर पहले कोंडागांव तक पहुंचाया. (सांकेतिक फोटो)

छत्‍तीसगढ़ सशस्‍त्र बल में तैनात मिर्जापुर के जवान संतोष यादव की मां का ि‍निधन हो गया था. Lockdown की वजह से गांव पहुंचने में उन्‍हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ा.

रायपुर. छत्तीसगढ़ में तैनात सशस्त्र बल का एक जवान मां की मृत्यु के बाद मालगाड़ी, ट्रक, नाव सहित पैदल करीब 1,100 किलोमीटर की यात्रा कर अपने घर पहुंचा. वर्ष 2009 में छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल में भर्ती हुए जवान संतोष यादव (30 वर्ष) बीजापुर जिले के धुर नक्सल प्रभावित धनौरा शिविर (Dhanaura Camp) में तैनात हैं. वह उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के सीकर गांव के रहने वाले हैं. संतोष छत्तीसगढ़ में कई नक्सल विरोधी अभियान में शामिल हो चुके हैं. यादव बताते हैं कि 4 अप्रैल को वह अपने शिविर में थे. इस दौरान पिता ने फोन कर मां की तबीयत बिगड़ने की सूचना दी.

संतोष ने बताया कि इसके अगले दिन मां को वाराणसी के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया और शाम को उनकी मृत्यु की खबर मिली. संतोष यादव ने बताया, ‘मैं मां की मौत के बाद गांव पहुंचना चाहता था, क्योंकि छोटा भाई और एक विवाहित बहन दोनों मुंबई में रहते हैं. लॉकडाउन के बीच उनका गांव पहुंचना संभव नहीं था. मैं अपने पिता को ऐसी स्थिति में अकेला नहीं छोड़ सकता था. कमांडिंग ऑफिसर ने उसे छुट्टी तो दे दी लेकिन लॉकडाउन के कारण परिवहन की सुविधा नहीं थी.’

7 अप्रैल को गांव के लिए हुए थे रवाना
यादव ने कहा, वह बहुत लंबे समय तक इंतजार नहीं कर सके और कमांडेंट से मंजूरी पत्र मिलने के बाद 7 अप्रैल की सुबह अपने गांव सीकर के लिए रवाना हो गए. उन्होंने बताया कि वह सबसे पहले राजधानी रायपुर पहुंचना चाहते थे, जिससे आगे की यात्रा के लिए कुछ व्यवस्था हो सके. यादव के मुताबिक, सबसे पहले उनके एक साथी ने उन्हें बीजापुर तक पहुंचाया. बाद में उन्होंने जगदलपुर पहुंचने के लिए धान से भरे ट्रक पर लिफ्ट ली. सुरक्षा बल के एक जवान के लिए नक्सल प्रभावित क्षेत्र में यह यात्रा आसान नहीं थी. लगभग दो घंटे तक इंतजार किया
संतोष ने वहां लगभग दो घंटे तक इंतजार किया और बाद में एक मिनी ट्रक ने उन्हें रायपुर से लगभग 200 किलोमीटर पहले कोंडागांव तक पहुंचाया. यादव बताते हैं कि कोंडागांव में उन्हें पुलिस कर्मियों ने रोक लिया, तब उन्होंने अपनी स्थिति बताई. सौभाग्य से उनके एक परिचित अधिकारी ने दवाइयों वाले एक वाहन से रायपुर तक पहुंचने में मदद की. वह कहते हैं कि इसके बाद रायपुर से अपने गांव के निकटतम रेलवे स्टेशन चुनार तक का सफर आठ माल गाड़ियों से की. इसके बाद वह पांच किलोमीटर पैदल चलकर गंगा नदी तक पहुंचे और नाव से गंगा नदी पार कर 10 अप्रैल को अपने गांव पहुंचे.

संतोश ने बताया कि इस यात्रा के दौरान उन्हें कई स्थानों पर लॉकडाउन के कारण पुलिस और रेलवे के अधिकारियों कर्मचारियों ने रोका, लेकिन वह किसी तरह आगे बढ़ते रहे. यादव ने बताया कि उन्होंने इस यात्रा के लिए रेल मार्ग का चुनाव इसलिए किया, क्योंकि उनके गांव के लगभग 78 लोग रेलवे में काम कर रहे हैं. उन्हें इस बात की जानकारी थी कि वह उनके लिए मददगार हो सकते हैं.

मां की मृत्यु के बाद पिता के पास पहुंच सके
यादव चुनौतियों का सामना करने के बाद किसी तरह अपनी मां की मृत्यु के बाद पिता के पास पहुंच सके. हालांकि, परेशानियों के बावजूद वह लॉकडाउन का समर्थन करते हैं क्योंकि यह देश के लोगों की सुरक्षा के लिए जरूरी है. साथ ही वह प्रार्थना करते हैं कि किसी को भी इस दौरान ऐसी स्थिति का सामना न करना पड़े.

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First published: April 13, 2020, 9:12 AM IST




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