- अमेरिका, चीन समेत कई देशों में प्लाज्मा थेरेपी से इलाज
- साल 2002 में SARS के खात्मे के लिए भी हुआ इस्तेमाल
- दिल्ली में कोरोना के 4 मरीजों पर प्लाज्मा थेरेपी का ट्रायल
दुनियाभर में विकराल रूप धारण करते जा रहे कोरोना वायरस को रोकने के लिए दुनिया के कई देशों में वैक्सीन की खोज की जा रही है. इसके लिए परीक्षण भी शुरू किया जा चुका है. लेकिन कामयाबी कब तक मिलेगी, यह किसी को नहीं पता. हालांकि इस बीच कोरोना के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी कारगर मानी जा रही है. प्लाज्मा थेरेपी कोरोना से पहले भी कई बार संकट के मौके पर अपना सटीक काम कर चुकी है.
कोरोना वायरस के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल सिर्फ दिल्ली में ही नहीं हो रहा है, बल्कि दुनिया के कई अन्य देशों में भी इस थेरेपी का इस्तेमाल किया जा रहा है. भारत के अलावा अमेरिका, स्पेन, दक्षिण कोरिया, इटली, टर्की और चीन समेत कई देशों में इसका इस्तेमाल हो रहा है.
चीन में कोरोना वायरस का मामला सामने आने पर प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल शुरू किया गया था. चीन में जहां कोरोना का मामला बढ़ा, वहां पर भी प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल किया गया. वहां भी रिजल्ट सकारात्मक रिजल्ट आए.
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2002 में SARS पर इस्तेमाल
प्लाज्मा थेरेपी को पहले भी कई गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए प्रयोग में लाया गया. वायरस से संबंधित कई गंभीर बीमारियों का इस थेरेपी से इलाज किया जा चुका है. प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल 2002 में किया गया. 2002 में सार्स (SARS, Severe Acute Respiratory Syndrome) कहते हैं, नाम के वायरस ने कई देशों में तबाही मचा रखी थी. इस वायरस के खात्मे के लिए प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल किया गया.
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सार्स के बाद 2009 में खतरनाक एच1एन1 इंफेक्शन को रोकने के लिए प्लाज्मा थेरेपी से इलाज किया गया था, जिसमें काफी हद तक कामयाबी भी मिली.
इसी तरह 2014 में इबोला जैसे खतरनाक वायरस को रोकने के लिए भी प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल किया गया. तब विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी इबोला को रोकने के लिए प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल करने की अनुमति दी थी.
5 साल पहले 2015 में मर्स (Middle East respiratory syndrome) के इलाज में भी प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल किया गया.
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एमिटी यूनिवर्सिटी के इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी एंड इम्यूनोलॉजी में एडवाइजर प्रोफेसर डॉक्टर नारायण ऋषि का कहना है कि कोरोना वायरस सार्स या SARS (Severe Acute Respiratory Syndrome) जिसे SARS coronavirus (SARS-CoV) कहते हैं और मार्स को Middle East respiratory syndrome coronavirus (MERS-CoV) भी कहते हैं, इसी परिवार का हिस्सा है.
दिल्ली में शुरुआती ट्रायल कामयाब
इससे पहले कोरोना वायरस से जूझ रही दिल्ली के लिए अच्छी खबर है कि पहले स्टेज में प्लाज्मा थेरेपी कारगर साबित हुई है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज शुक्रवार को कहा कि कोरोना के 4 मरीजों को मंगलवार को प्लाज्मा दिया गया था. इनमें से 2 को जल्द छुट्टी मिल सकती है. बाकी 2 मरीजों की सेहत में सुधार हो रहा है. उम्मीद है कि ये लोग जल्द ही ठीक हो जाएंगे.
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मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि प्लाज्मा थेरेपी के इस्तेमाल की अनुमति केंद्र सरकार से मिली थी. केंद्र ने एलएनजेपी के सीरियस मरीजों के ऊपर ही प्लाज्मा थेरेपी ट्राई करने के लिए कहा था और नतीजों की डिटेल मांगी थी. अगर नतीजे ठीक आए तो वो बाकी परमिशन देगी. अगले दो-तीन दिन और हम ट्रायल करेंगे.
सीएम केजरीवाल ने कहा कि एक बार जब ट्रायल पूरा हो जाएगा, उसके बाद हम पूरी दिल्ली के सीरियस कोरोना मरीजों को प्लाज्मा थेरेपी देने के लिए केंद्र से परमिशन मांगेंगे. शुरुआती नतीजों से उत्साहित केजरीवाल ने तो कोरोना से ठीक हुए लोगों से प्लाज्मा दान करने की अपील की. एक शख्स के प्लाज्मा से 2 मरीजों का इलाज किया जा सकता है.