China announces live fire missile drill in Yellow Sea: ताइवान ने चीन पर आरोप लगाया है कि वह इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में जानबूझकर तनाव बढ़ा रहा है और पड़ोसी देशों को डराने की कोशिश कर रहा है. यह मामला तब गरमाया जब चीन ने अचानक येलो सी में लाइव-फायर मिसाइल अभ्यास करने का ऐलान कर दिया और चीन की मैरीटाइम सेफ्टी एडमिनिस्ट्रेशन ने इसके लिए एक नेविगेशन अलर्ट जारी किया. इस अलर्ट में कहा गया कि पीपल्स लिबरेशन आर्मी येलो सी के मध्य हिस्से में मंगलवार से गुरुवार तक असली मिसाइलों के साथ युद्धाभ्यास करेगी.
जापान के साथ तनाव बढ़ा रहा चीन
ताइपे टाइम्स की रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की गई है. इस घोषणा के कुछ ही घंटे बाद ताइवान के राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा कि चीन जानबूझकर माहौल गर्म कर रहा है और जापान के साथ अनावश्यक तनाव पैदा कर रहा है ताकि राजनीतिक लाभ उठाया जा सके.
चीन ने न केवल मिसाइल परीक्षण का ऐलान किया, बल्कि जापान में रहने वाले चीनी नागरिकों के लिए यात्रा चेतावनी भी जारी कर दी. इस चेतावनी में दावा किया गया कि जापान में चीनी नागरिकों के साथ अपराध बढ़ने का खतरा है. लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे अलग नजरिए से देखा जा रहा है.
किस बात से भड़क गया है चीन?
विशेषज्ञों का कहना है कि यह चेतावनी वास्तव में जापान के प्रधानमंत्री साने ताकाइची की टिप्पणियों का जवाब है. ताकाइची ने संसद में कहा था कि अगर चीन ताइवान की नाकेबंदी करता है, तो यह जापान के लिए ‘अस्तित्व पर खतरे की स्थिति’ मानी जाएगी. ऐसी स्थिति में जापान अपनी आत्मरक्षा प्रणालियां सक्रिय कर सकता है. यह बयान चीन को बेहद नागवार गुजरा.
बयान के बाद चीन की ओर से बेहद आक्रामक प्रतिक्रिया सामने आई. ओसाका में तैनात चीन के काउंसल जनरल शुए जियान, ने ऑनलाइन लिखा कि अगर जापान ने दखलअंदाजी की तो उसका ‘गंदा गला काट दिया जाएगा.’ इस टिप्पणी की भाषा इतनी हिंसक थी कि बाद में वह पोस्ट हटा दी गई, लेकिन तब तक यह बयान ‘गैंगरेस्टर-स्टाइल’ धमकी जैसा माना जाने लगा और दुनिया भर में आलोचना का कारण बन गया.
‘हाइब्रिड धमकियों’ का सहारा ले रहा ड्रैगन
ताइवान के राष्ट्रपति कार्यालय की प्रवक्ता करेन कुओ ने चीन के इस पूरे रवैये की आलोचना करते हुए कहा कि चीन अब सिर्फ सैन्य ताकत नहीं दिखा रहा, बल्कि ‘हाइब्रिड धमकियों’ का सहारा ले रहा है. यानी कभी डराने वाले बयान, कभी आर्थिक दबाव और कभी पड़ोसी देशों के चारों ओर सैन्य गतिविधियां बढ़ाकर तनाव पैदा करना.
उन्होंने कहा कि चीन ऐसा व्यवहार कर रहा है, जैसे वह एक जिम्मेदार देश नहीं बल्कि एक अस्थिरता फैलाने वाला खिलाड़ी हो. उनकी अपील थी कि बीजिंग क्षेत्र में तनाव बढ़ाने की इस आदत को छोड़े और बड़े देश की तरह व्यवहार करे.
दबाव बनाने की कोशिश करता है चीन- ताइवान
ताइवान के नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के सेक्रेटरी-जनरल जोसेफ वू ने भी चीन के तेवरों की निंदा की. उन्होंने कहा कि चीन आलोचना का जवाब तर्क से या संवाद से देने के बजाय अपमानजनक भाषा और सैन्य धमकियों का इस्तेमाल करता है.
वू ने याद दिलाया कि ताइवान खुद कई सालों से चीन की इसी तरह की धमकियों का सामना करता आ रहा. कभी फाइटर जेट भेजकर, कभी मिसाइल परीक्षण करके, कभी आर्थिक दबाव बनाकर चीन इसी तरह दबाव बना रहा है. इसलिए चीन का यह रवैया ताइवान के लिए नया नहीं है, लेकिन अब यही तरीका जापान समेत अन्य देशों के सामने भी दिखने लगा है.
दूसरों मुल्कों पर धौंसपट्टी दिखा रहा ड्रैगन
विदेश मामलों से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चीन कई देशों के साथ इसी आक्रामक और डराने वाली रणनीति का इस्तेमाल करता है. उनके अनुसार जापान इस सूची में सिर्फ एक और देश है. उन्होंने कहा कि जापान की सुरक्षा नीति में जो बदलाव आ रहे हैं, वह सिर्फ एक नेता के बयान की वजह से नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय हालात की समझ पर आधारित हैं. उन्होंने चेतावनी दी कि चीन की बढ़ती आक्रामकता और उसकी अतिरंजित प्रतिक्रियाएं इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में गलतफहमियों और अनावश्यक तनाव को जन्म दे सकती हैं, जिसका असर पूरे क्षेत्र की सुरक्षा पर पड़ेगा.
कुल मिलाकर यह पूरा मामला बताता है कि चीन अब अपनी कूटनीति में नरमी या बातचीत की जगह ताकत और दबाव की रणनीति को प्राथमिकता दे रहा है. मिसाइल परीक्षण, धमकी भरे बयान और यात्रा चेतावनियों की आड़ में वह पड़ोसी देशों को कमजोर दिखाने और अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने की कोशिश करता है. लेकिन अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की राय है कि ये कदम उल्टा असर डाल रहे हैं. इससे चीन की छवि एक सहयोगी शक्ति की बजाय एक टकराव पैदा करने वाले देश के रूप में उभर रही है. यही बात ताइवान और जापान बार-बार दुनिया के सामने बता रहे हैं.
(एजेंसी ANI)
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