- प्याज की खपत में 50 फीसदी तक की कमी आई
- कोरोना वायरस के चलते प्याज की सप्लाई रुकी
प्याज की गिरती कीमतों को लेकर बिहार के प्याज किसान बेहद परेशान हैं. एक तरफ लॉकडाउन की वजह से प्याज की सप्लाई नहीं हो पा रही है, तो दूसरी तरफ कोरोना के डर से प्याज की खपत कम हो गई है क्योंकि लोगो ने नॉनवेज खाना कम कर दिया है. एक अनुमान के मुताबिक, प्याज की खपत में 50 फीसदी तक की कमी आई है.
बिहार में प्याज के किसानों ने खेत में ही प्याज की फसल छोड़ दी है क्योंकि इन प्याजों की कीमत से मजदूरी भी नहीं दी जा सकती. किसान अपने प्याज की उपज को फेंक रहे हैं या फिर उसे औने-पौने दामों में बेचकर नुकसान उठा रहे हैं. नालंदा के किसान धीरेंद्र सिंह ने बताया कि प्याज की कीमत इतनी कम है कि इसे खेतों से निकाल कर घर ले जाने का खर्च ज्यादा लग रहा है. इसलिए इसे खेत में ही छोड़ रहे हैं.
लागत निकालना भी मुश्किल
किसानों के मुताबिक 1 एकड़ में प्याज उत्पादन की लागत 30 से 35 हजार रुपये है, लेकिन अभी के हालात में लागत तो दूर घर से और पैसे लगाने पड़ रहे हैं. इसे बाजार तक पहुंचाने में लागत 9 या 10 रुपये प्रति किलो है लेकिन दाम मिल रहे हैं 4 से 5 रुपये प्रति किलो. इस बार प्याज की पैदावार बिहार में अच्छी हुई है लेकिन आखिर में हुई ओला वृष्टि से फसल को क्षति पहुंची है. इस स्थिति में इसे ज्यादा दिन रखा भी नही जा सकता. इसकी वजह से किसान कम कीमत पर भी प्याज बेचने को मजबूर हैं.
बांग्लादेश निर्यात बंद
पटना बाजार समिति में प्याज के थोक विक्रेता मनोज भी मानते हैं कि लॉकडाउन की वजह से प्याज की खपत नहीं हो पा रही है. इसकी वजह से किसानों को कीमत नहीं मिल पा रही है. पटना की बाजार समिति में भारी मात्रा में प्याज मौजूद हैं लेकिन खपत नहीं है. रोज ट्रक के ट्रक यहां प्याज पहुंच रहा है लेकिन खपत में 50 फीसदी कमी की वजह से प्याज में तेजी नहीं आ रही है. बांग्लादेश में प्याज का निर्यात बंद है इसलिए भी किसानों की मुश्किल बढ़ गई है. बिहार के प्याज की सबसे बड़ी मंडी बांग्लादेश है जहां लॉकडाउन की वजह से प्याज नहीं जा पा रहा है. नालंदा के किसान मंटू कुमार का कहना है कि प्याज का उत्पादन लागत 9 से 10 रुपये है और अभी 3 से 4 रुपये में भी कोई खरीदार नहीं मिल रहा है. जब प्याज की कीमत बढ़ती है तो सब हल्ला करते हैं और आज प्याज के किसान के बारे में कोई नहीं बोल रहा है.
बिहार में 57 लाख हेक्टेयर खेत में प्याज की खेती होती है और इनमें 13 लाख टन प्याज का उत्पादन होता है. मूलतः नालंदा और पटना के किसान प्याज उत्पादक हैं. बिहार के प्याज को उच्च कोटि का माना जाता है. इन प्याजों की ज्यादातर खपत बंगाल, असम के साथ-साथ बांग्लादेश में होती है. बांग्लादेश में बिहार के प्याज की बहुत मांग है लेकिन लॉकडाउन की वजह से बिहार का प्याज न बांग्लादेश जा पा रहा है और न नेपाल. सबसे बड़ी बात यह है कि इन प्याजों को स्टोर करने के लिए पर्याप्त आधुनिक साधन किसानों के पास नहीं हैं.
क्या है कृषि मंत्री की राय
बिहार के कृषि मंत्री प्रेम कुमार ये जरूर कहते हैं कि सरकार इनके भंडारण की क्षमता बढ़ाने के प्रयास में लगी है. कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने कहा कि मई महीने में प्याज की ज्यादा पैदावार और मांग की कमी के कारण दामों में भारी गिरावट आई है.
कृषि मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने बताया कि लॉकडाउन के कारण होटल, रेस्टोरेंट सहित जहां प्याज की खपत होती थी, वहां उसकी मांग कम है. वहीं दूसरे राज्यों तक ट्रांसपोर्ट नहीं हो पा रहा है. कृषि मंत्री ने कहा कि उन्होंने उद्यान निदेशालय के पदाधिकारी और किसानों के संपर्क में रहकर व्यापारियों से समन्वय स्थापित करने का निर्देश दिया है ताकि किसानों की फसलों की ब्रिकी कराई जा सके. बिहार सरकार प्याज भंडारण के लिए गोदाम के निर्माण के लिए 50 प्रतिशत अनुदान दे रही है.