जवान की रिहाई के बाद उसे एंबुलेंस से लाया गया. इस दौरान सुरक्षा की पूरी व्यवस्था रखी गई.
इससे पहले नक्सलियों ने जवान राकेश्वर सिंह को रिहा करने से मना कर दिया था और सरकार के नामित मध्यस्त से ही वार्ता की बात कही थी.
गौरतलब है कि बीजापुर के तर्रेम थाना क्षेत्र में बीते 3 अप्रैल को सुरक्षा बल और नक्सलियों के बीच भीषण मुठभेड़ हुई थी. इसमें सुरक्षा बल के 22 जवान शहीद हो 31 घायल हो गए थे. मुठभेड़ के बाद से ही सीआरपीएफ के राकेश्वर सिंह मनहास लापता थे. नक्सलियों ने 5 अप्रैल को एक प्रेस नोट जारी कर दावा किया था कि लापता जवान उनके कब्जे में है. इसके बाद उन्होंने बीते बुधवार को जवान की एक तस्वीर भी जारी की. जवान को छुड़ाने के लिए सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी नक्सलियों ने मिलने गईं थीं, लेकिन उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा था.
नक्सलियों ने इससे पहले जो पत्र जारी किया था उसमें उन्होंने जवान के सुरक्षित होने की बात कही थी और साथ ही जवान की एक तस्वीर भी जारी की थी. इसमें जवान एक झोपड़ी में बैठा नजर आ रहा था. हालांकि इस तस्वीर में उसके साथ या आसपास कोई और नहीं दिखा था. ऐसे में इस बात की भी आशंका थी कि नक्सलियों ने कोई पुरानी तस्वीर जारी की है. जिसके बाद जवान के परिजनों ने वीडियो या कोई ऑडियो क्लिप जारी करने की अपील भी की थी.
#WATCH “Today is the happiest day of my life. I always remained hopeful of his return,” says Meenu, the wife of CRPF jawan Rakeshwar Singh Manhas, on the release of her husband by Naxals in Chhattisgarh
Manhas was kidnapped by Naxals during the Bijapur attack on April 3 pic.twitter.com/SqeQGRKGAb— ANI (@ANI) April 8, 2021
परिजन ने जताई खुशी
जवान की रिहाई पर उनकी पत्नी मीनू ने कहा कि ये उनके जीवन का सबसे सुखद पल है. उन्होंने कहा कि उन्हें यकीन था कि वे वापस लौटेंगे. इसके साथ ही अन्य परिजन ने भी सभी का शुक्रिया किया और उनकी वापसी पर खुशी जताई.
इनपुटः मुकेश चंद्राकर