नई दिल्ली: कोरोना वायरस संक्रमण के दौर में अमेरिका और रूस के बीच मेडिकल उपकरणों की खरीद फरोख्त का मामला कुछ विवादास्पद होता नजर आ रहा है. दरअसल रूस ने यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका को कोरोना वायरस संक्रमण से लड़ने के लिए मेडिकल उपकरण भिजवाए हैं लेकिन इसके चलते दोनों देशों में कंफ्यूजन की स्थिति पैदा हो गई है. यहां तक कि रूस की आलोचना तक होने लगी है.
रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा कि जिन चीजों की सप्लाई की गई है, उनकी आधी कीमत वह चुकाएंगे जबकि आधी अमेरिका को चुकानी होगी. रूस का सैन्य विमान मेडिकल उपकरण की खेप लेकर बुधवार को अमेरिा पहुंचा था. इसमें कोरोना वायरस के इलाज के दौरान इस्तेमाल होने वाला वेंटिलेटर जैसा सामान भी था.
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की फोन पर हुई बातचीत के बाद रूस की ओर से यह खेप भेजी गई थी. इस बारे में स्टेट डिपार्टमेंट के प्रवक्ता मॉर्गन ओर्टागुस ने कहा था कि दोनों देशों ने जरूरत पड़ने पर अक्सर ही एक दूसरे की मानवीय आधार पर मदद की है और यह भविष्य में भी जारी रहेगा. उन्होंने कहा था कि कोरोना वायरस ‘कॉमन एनिमी’ है और इससे लड़ने के लिए हम सबको मिलकर काम करना होगा. हालांकि इसी विभाग के अधिकारी अमेरिका की रूस से मेडिकल उपकरणों की खरीद को लेकर कुछ हैरान से भी नजर आए.
व्लादिमीर पुतिन के आलोचकों ने कहा कि यह सब पब्लिसिटी स्टंट है. इंटरनेट पर इस कदम का विरोध भी किया गया. सफाई में रूसी स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि रूस के पास पर्याप्त संख्या में वेंटिलेटर हैं और मई के आखिर तक 8 हजार अतिरिक्त वेंटिलेटर को मुहैया करवा दिए जाएंगे.


