Thursday, March 28, 2024
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वैक्सीन की बर्बादीः टीकाकरण में उपस्थित नहीं हुए स्वास्थ्य कर्मी, खराब हो गए 300 डोज

एक ओर आम जनमानस कोरोना वैक्सीन लगवाने के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। वहीं, यूपी के ललितपुर जिले में कुछ ऐसे भी कर्मी सामने आए हैं, जिन्होंने कोरोना वैक्सीन नहीं लगवाई है। ऐसे में छह फीसदी कोविड डोज उपयोग में नहीं लाई जा सकी है। लगभग 300 डोज खराब हो गए। उधर, सीएमओ इसे सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा बता रहे हैं। सीएमओ के अनुसार 200 डोज और खराब हो सकते हैं। 

कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव को लेकर लोगों ने करीब आठ माह वैक्सीन आने का इंतजार किया। वैक्सीन के आते ही लोगों में खुशी का माहौल रहा। कई लोगों ने ढोल नगाड़ों के साथ वैक्सीन का स्वागत किया था। वैक्सीन के आने से लोगों को महामारी से बचाव की उम्मीद जगी है। उधर, यह वैक्सीन स्वास्थ्य विभाग ने कड़ी सुरक्षा में रखवाई गई। इस दौरान वैक्सीन खराब न हो, इसके लिए अलग से आइएलआर मंगवाए गए। कोल्ड चेन कक्ष में वैक्सीन रखवाई गई। इसकी सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे के साथ ही पुलिस बल भी तैनात किया गया। इसे तय तापमान में रखने की व्यवस्था की गई। इसमें लाखों खर्च हुए। 

लेकिन वैक्सीन की सुरक्षा की तैयारियां धरी की धरी तब रह गईं, जब टीकाकरण के दौरान कई स्वास्थ्यकर्मी नहीं आए। 4300 लाभार्थियों के सापेक्ष 3121 स्वास्थ्यकर्मियों ने ही टीकाकरण कराया। टीकाकरण के प्रति लाभार्थियों की उदासीनता के चलते 1179 स्वास्थ्य कर्मी टीकाकरण में उपस्थित नहीं हुए। इस तरह अब तक 300 वैक्सीन के डोज खराब हो चुके हैं। आपदा के दौर में भी विभागीय कर्मचारियों लापरवाही थमने का नाम नहीं ले रही है। जबकि आम लोग वैक्सीन के डोज लगने का इंतजार कर रहे हैं। वहीं वैक्सीन के लाभार्थी उदासीन बने हुए हैं। मामले में विभागीय अधिकारी गोलमोल जवाब देते नजर आ रहे हैं।  

कई बार वैक्सीन खुलने के बाद तय कर्मचारी नहीं आए
एक वैक्सीन में दस डोज निकलते हैं। एक वैक्सीन खुलने पर दस कर्मचारियों का टीकाकरण किया जाना अनिवार्य है। वैक्सीनेशन के दौरान कई बार वैक्सीन खुलने के बाद तय कर्मचारी नहीं आए। इससे दवा खराब हो गई। इसके साथ ही कई बार तो एक ही डोज लगा और लाभार्थी न होने से नौ डोज खराब हो गए हैं। 

दस प्रतिशत डोज होते हैं वेस्टेज फैक्टर
वैक्सीन के दौरान कुल डोज 10 प्रतिशत टीकाकरण के दौरान वेस्टेज फैक्टर में आ आता है। इसे खराब होना नहीं कहा जा सकता है। –डॉ. डीके गर्ग, मुख्य चिकित्सा अधिकारी

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