Saturday, April 20, 2024
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50 days of Farmers Protest, Farmers not celebrated Lohri, burn copy of New Farm laws, Suspense on 9th round meeting with Centre – किसान आंदोलन का 50वां दिन, लोहड़ी पर कृषि कानूनों की प्रतियां जलाईं, 9वें दौर की वार्ता पर सस्पेंस- 10 अहम बातें

किसान आंदोलन का 50वां दिन, लोहड़ी पर कृषि कानूनों की प्रतियां जलाईं, 9वें दौर की वार्ता पर सस्पेंस- 10 अहम बातें

दिल्ली-हरियाणा सीमा पर कतार में लकड़ियां एकत्र कर जलाई गईं और उसके चारों तरफ घूमते हुए किसानों ने नए कृषि कानूनों की प्रतियां जलाईं.

नई दिल्ली:
तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों के विरोध-प्रदर्शन का आज 50वां दिन है. इस बीच किसानों ने लोहड़ी नहीं मनाई. दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने बुधवार को लोहड़ी के मौके पर प्रदर्शन स्थलों पर नए कृषि कानूनों की प्रतियां जलाईं.. वसंत की शुरुआत में पंजाब, हरियाणा समेत उत्तर भारत के कई राज्यों में लोहड़ी का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन लोग लकड़ियां इकट्ठा करके जलाते हैं और सुख एवं समृद्धि की कामना करते हैं लेकिन इस बार पंजाब-हरियाणा के कई हिस्सों में लोहड़ी नहीं मनाई गई. 15 जनवरी को किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच नौवें दौर की वार्ता प्रस्तावित है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा कमेटी गठन करने और उसके विरोध के बीच इस वार्ता पर सस्पेंस बना हुआ है.

मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :

  1. किसान नेता आज सिंधु बॉर्डर पर मीटिंग करने वाले हैं. इसमें किसान आंदोलन को तेज करने को लेकर रणनीति बनाने वाले हैं.  इसके साथ ही गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में ट्रैक्टर परेड को लेकर भी सरगर्मियां तेज हो गई हैं.

  2. इस बीच, किसानों ने लोहड़ी नहीं मनाई. दिल्ली-हरियाणा सीमा पर कतार में लकड़ियां एकत्र कर जलाई गईं और उसके चारों तरफ घूमते हुए किसानों ने नए कृषि कानूनों की प्रतियां जलाईं. इस दौरान प्रदर्शनकारी किसानों ने नारे लगाए, गीत गाए और अपने आंदोलन की जीत की प्रार्थना की.

  3. संयुक्त किसान मोर्चा के परमजीत सिंह ने कहा कि अकेले सिंघू बॉर्डर पर ही कृषि कानूनों की एक लाख प्रतियां जलाई गईं. हरियाणा के करनाल जिले से आए 65 वर्षीय गुरप्रीत सिंह संधू ने कहा, ”उत्सव इंतजार कर सकते हैं. केंद्र की ओर से जिस दिन इन काले कानूनों को वापस लेने की हमारी मांग को मान लिया जाएगा, हम उसी दिन सभी त्योहारों को मनाएंगे.”

  4. 15 जनवरी को केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच होने वाली बैठक पर फिलहाल असमंजस की स्थिति बनी हुई है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सरकार में इस बात पर मंथन चल रहा है कि प्रस्तावित बैठक करवाई जाए या नहीं. किसान आंदोलन खत्म कराने के लिए 8 जनवरी को सरकार और किसानों के बीच आठवें दौर की मीटिंग में ये तय हुआ था कि अगली दौर की बातचीत 15 जनवरी को होगी लेकिन इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने मामले में कमिटी बनाने का आदेश देकर सरकार के लिए असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है.

  5. नौवें दौर की वार्ता से पहले सरकार कानूनी राय ले रही है. बुधवार को केंद्र सरकार के अफसरों और वरिष्ठ वकीलों के बीच इस पर चर्चा हुई है. वकीलों की सलाह और सभी कानूनी पहलुओं पर विचार के बाद ही सरकार अब मामले में अंतिम फैसला लेगी.

  6. कृषि राज्य मंत्री पुरषोत्तम रूपाला ने कहा कि प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के साथ सरकार वार्ता जारी रखने के पक्ष में है क्योंकि केंद्र का मानना है कि वार्ता के जरिए ही कोई समाधान निकल सकता है. उल्लेखनीय है कि सरकार और तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के एक समूह के साथ आठ दौर की वार्ता संकट का समाधान कर पाने में अब तक नाकाम रही है.

  7. उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को तीनों कानूनों के क्रियान्वयन पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी और गतिरोध खत्म करने के लिए चार सदस्यों की एक समिति गठित की है लेकिन प्रदर्शनकारी किसान संगठनों ने कहा है कि वे समिति के समक्ष उपस्थित नहीं होंगे क्योंकि उनका मानना है कि यह (समिति) ‘‘सरकार समर्थक” है. हालांकि, उन्होंने (किसान संगठनों ने) 15 जनवरी को होने वाली नौवें दौर की बैठक में शामिल होने की इच्छा प्रदर्शित की है, लेकिन उन्होंने जोर देते हुए कहा कि वे इन कानूनों को पूरी तरह से रद्द किये जाने से कुछ भी कम स्वीकार नहीं करेंगे.

  8. मंगलवार को कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा था कि सरकार बैठक में शामिल होने को इच्छुक है और यह फैसला करना किसान संगठनों पर निर्भर करता है कि वे क्या चाहते हैं. नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए हजारों की संख्या में किसान दिल्ली की सीमाओं पर पिछले साल 26 नवंबर से प्रदर्शन कर रहे हैं.

  9. हजारों किसान केन्द्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ 26 नवम्बर, 2020 से दिल्ली की सीमाओं पर डटे हैं. पिछले साल सितम्बर में अमल में आए तीनों कानूनों को केन्द्र सरकार ने कृषि क्षेत्र में बड़े सुधारों के तौर पर पेश किया है. उसका कहना है कि इन कानूनों के आने से बिचौलियों की भूमिका खत्म हो जाएगी और किसान अपनी उपज देश में कहीं भी बेच सकेंगे.

  10. दूसरी तरफ, प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों का कहना है कि इन कानूनों से एमएसपी का सुरक्षा कवच और मंडियां भी खत्म हो जाएंगी तथा खेती बड़े कॉरपोरेट समूहों के हाथ में चली जाएगी.


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