नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा अपने आधिकारिक ईमेल पत्राचार के लिए अमेरिकी टेक दिग्गज गूगल (Gmail) को छोड़कर भारतीय कंपनी ZOHO Mail पर स्विच करने के फैसले ने सोशल मीडिया पर एक नई बहस छेड़ दी है। चर्चा है कि शाह का यह कदम कुछ दिन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाने की धमकी दिए जाने का अप्रत्यक्ष लेकिन तीखा जवाब हो सकता है।
विवाद और टाइमिंगट्रंप ने हाल ही में ट्वीट कर भारतीय वस्तुओं पर आयात शुल्क (टैरिफ) बढ़ाने का संकेत दिया था, जिससे दोनों देशों के व्यापारिक संबंध तनावपूर्ण हो गए थे। इसके तुरंत बाद, अमित शाह ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर घोषणा की कि भविष्य में सभी आधिकारिक पत्राचार (correspondence) के लिए वह अपने नए ZOHO Mail पते का उपयोग करेंगे।हालांकि, शाह ने इस स्विच को लेकर कोई राजनीतिक या व्यापारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन इसकी टाइमिंग को राजनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
भारतीय कंपनियों को मिल सकता है बड़ा बूस्टयह कदम ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियानों को बड़ा प्रोत्साहन देने वाला साबित हो सकता है। अगर केंद्र सरकार के मंत्री और महत्वपूर्ण व्यक्ति भारतीय कंपनियों के प्रोडक्ट्स का उपयोग करते हैं, तो यह जनता और अन्य सरकारी विभागों को भी भारतीय टेक्नोलॉजी अपनाने के लिए प्रेरित करेगा।विशेषज्ञों का मानना है कि यदि बड़ी संख्या में भारतीय उपयोगकर्ता और सरकारी विभाग ZOHO Mail जैसे भारतीय प्लेटफॉर्म पर स्विच करते हैं, तो इससे माइक्रोसॉफ्ट (Outlook) और गूगल (Gmail) जैसी अमेरिकी टेक कंपनियों को एक बड़ा वित्तीय और व्यावसायिक झटका लगना तय है।
यह अमेरिकी टैरिफ नीतियों के सामने भारत की तरफ से एक ‘डिजिटल रिटेलिएशन’ (Digital Retaliation) के रूप में देखा जा सकता है।सोशल मीडिया पर इस कदम की खूब तारीफ हो रही है, जहां इसे व्यापार युद्ध के बीच भारतीय डिजिटल संप्रभुता (Digital Sovereignty) की दिशा में एक मजबूत कदम बताया जा रहा है।