Sunday, June 29, 2025
HomestatesChhattisgarhChhattisgarh News In Hindi : 50% of 552 hectares of Rabi and...

Chhattisgarh News In Hindi : 50% of 552 hectares of Rabi and Vegetable crops have been dismantled, 2.48 crores to farmers. Loss of | 552 हेक्टेयर की रबी व सब्जी की 50% फसल चौपट, किसानों को 2.48 करोड़ रु. की नुकसान

  • फसल लगभग तैयार, खेतों से निकालने से पहले पानी ने तबाह कर दिया
  • बची फसल की क्वालिटी खराब होने की आशंका, किसानों को नहीं मिलेंगी वाजिब कीमत

Dainik Bhaskar

Feb 25, 2020, 01:42 AM IST

अंबिकापुर/रायपुर . प्रदेश के कुछ जिलों में सोमवार को तेज बारिश के साथ ओले भी गिरे। ऐसा एक साथ तीन चक्रवाती घेरा बनने के कारण हुआ। इधर, मौसम विभाग ने मंगलवार को भी हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना जताई है। रविवार को सरगुजा के उदयपुर व लखनपुर क्षेत्र में आंधी व बारिश के बीच हुई 15 मिनट की ओलावृष्टि ने किसानों की कमर तोड़ दी है। इसकी फसल पर ऐसी मार पड़ी है कि यह उजाड़ दिखने लगी। एक दिन में ही किसानों की मेहनत पर मौसम ने पानी फेर दिया है। इससे दोनों ब्लाॅक के करीब 17 गांवों में 552 हेक्टेयर (1380 एकड़)में लगी फसल चौपट हो गई। इससे किसानों को करीब 2.48 करोड़ का नुकसान हुआ है। 

कृषि विभाग के प्रारंभिक आंकलन में 50 फीसदी के नुकसान की बात सामने आई है, जबकि हकीकत में इससे कहीं ज्यादा क्षति हुई है। सरकारी नुकसान का ही आंकड़ा माने तो इससे करीब 2.48 करोड़ का नुकसान हुआ है। भास्कर ने सोमवार को प्रभावित इलाके पुटा, रामनगर, सानीबर्रा, सायर, कुमडेगा सहित लखनपुर अरगोती व अन्य गांवों का निरीक्षण किया तो नुकसान की डरावनी तस्वीर नजर आई। खेतों में लगी फसल का ऊपरी हिस्सा पूरी तरह नष्ट हो गया है और यह फसल खड़ी भी हुई तो पैदावार से लागत भी मुश्किल से ही निकल पाएगी। पुटा निवासी किसान राजेंद्र यादव ने बताया कि उन्होंने अपने जीवन में अब तक ऐसी ओलावृष्टि नहीं देखी।

 ग्राम पुटा निवासी राजेंद्र यादव ने बताया कि उसने करीब एक एकड़ में गेहूं व कुछ हिस्से में टमाटर लगाया था। गेहूं में बाली लगने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी लेकिन ओलावृष्टि से ऊपर का हिस्सा टूट गया है। टमाटर का पौधा भी टूट गया है। अब इसके संभलने की उम्मीद कम है।

भिलाई में फरवरी में पहली बार गिरे ओले

ट्विनसिटी में देर रात 1.5 मिमी के आकार के ओले गिरे। साथ ही तेज बौछारें भी पड़ीं। सुबह 9.30 बजे भी तेज बौछारें पड़ीं। बारिश के दौरान कुछ देर के लिए विभिन्न स्थानों पर बिजली आपूर्ति भी प्रभावित रही। बारिश और ओला वृष्टि के दौरान लोग आसपास के स्थानों पर आश्रय लेते हुए दिखे। बारिश बंद होने के बाद अपने गंतव्य की ओर निकले। सुबह घर से बाहर निकले लोग छतरी लेकर निकले। वहीं बच्चे ठंड में भी रैनकोट पहने हुए निकले।  आसमान में दिनभर बादलों का जमघट रहा। करीब 40 फीसदी बादल छाए रहे। इस दौरान हवा की औसत गति 6 किलोमीटर प्रतिघंटे रही। पानी गिरने से दिन का तापमान रविवार की तुलना में 2.4 डिग्री सेल्सियस कम रहा। सोमवार को अधिकतम तापमान 28.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। विभाग का अनुमान है कि मंगलवार तक इसी तरह की स्थिति बनी रहेगी।

महासमुंद में 34 लाख क्विंटल धान खुले में पड़ा, बारिश से भीगा

 मौसम में बदलाव की जानकारी होने के बाद भी प्रशासन खुले में रखे धान को भीगने से नहीं बचा पाया। हजारों क्विंटल धान चंद मिनटों की बारिश से भीग गया। सोमवार सुबह जिले में बारिश हुई। वहीं पिथौरा में झमाझम बारिश से क्षेत्र के खरीदी केंद्रों में रखा धान भीग गया। यही हाल बाकी खरीदी केंद्रों का है। जिसके कारण समितियों को परेशानी का सामना करना पड़ा है। इधर, समिति प्रशासन से जल्द उठाव की मांग कर रही है, लेकिन उठाव की रफ्तार धीमी है। समिति प्रभारियों को धान भीगने का डर आए दिन सता रहा है। इससे पहले हुई बारिश से कई क्विंटल धान भीगा था, जिसे पलटी किया गया। इससे समितियों को अतिरिक्त खर्च वहन करना पड़ा।

दरअसल, समितियों के 
कर्मचारी बारिश में ऊपर का धान भीगने से तो बचा लेते है, लेकिन नीचे के धान को भीगने से नहीं बचा पाते। अभी भी 127 केंद्रों में 34 लाख क्विंटल धान खुले में पड़ा है। इधर, डीएमओ संतोष पाठक का कहना है कि उठाव चल रहा है। समितियों से संग्रहण केंद्रों के लिए ट्रांसपोर्टर उठाव कर रहे हैं।

 
जानिए, समितियों की परेशानी

मोहंदी धान खरीदी केंद्र प्रभारी मनीष चंद्राकर एवं बेमचा समिति प्रभारी विरेन्द्र प्रसाद ने बताया कि उठाव के लिए कई बार पत्राचार किया गया लेकिन उठाव नहीं हो पा रहा है। इसके कारण चौकीदारों की संख्या बढ़ानी पड़ रही है, क्योंकि फड़ में धान अधिक है। 4 चाैकीदार लगे हुए हैं। जिसका भुगतान समिति करती है। इसी प्रकार अतिरिक्त व्यय कर भूषा खरीदना पड़ रहा है। अधिक मात्रा में पॉलीथिन की व्यवस्था करनी पड़ रही है। अतिरिक्त व्यय का भुगतान समिति द्वारा ही किया गया है।

बेमौसम बारिश से एक बार फिर धान खरीदी केंद्रों में रखे धान को सुरक्षित रखने की पोल खुलने लगी है। वहीं, धान खराब होने की स्थिति में इसकी भरपाई की जिम्मेदारी समिति प्रबंधकों की होती है, लेकिन समिति प्रबंधक और राइस मिलरों की सांठगांठ के चलते खरीदी के बाद भी एडजेस्टमेंट के चक्कर में धान संग्रहण केंद्र में समिति प्रबंधक नहीं भेजते हैं। रविवार दोपहर से बारिश होने के कारण खरीदी केंद्रों में करोड़ों के रखे धान की सुरक्षा की पोल खुलने लगी है। छोटी समितियों में जहां कम धान की खरीदी हुई। वहां भी धान भीग गया और जहां अधिक खरीदी हुई है। 

वहां अधिक धान भीगा है, लेकिन किसी भी समिति प्रबंधक ने विपणन विभाग के अधिकारी को सूचना नहीं दी है। वहीं डीओ जारी होने के बाद सोमवार को धान का उठाव शुरू हो गया। बता दें कि जिले में करीब सवा तीन लाख क्विंटल धान डीओ जारी नहीं होने से जाम रहा है। बारिश की संभावना को देखते हुए डीएमओ द्वारा संग्रहण केंद्र में धान सुरक्षित रखवाने के लिए कहने पर भी समिति प्रबंधकों ने जवाब नहीं दिया। बारिश में कई जगह धान में नुकसान हुआ है, लेकिन कोई रिपोर्टिंग नहीं की गई है। जबकि अधिकारी जिम्मेदारी से बचने में लगे हैं। इधर धान खरीदी केंद्रों में पर्याप्त तिरपाल की व्यवस्था नहीं होने की खबर है। वहीं बारिश से कितना धान बर्बाद हुआ। इसकी जानकारी नहीं दी गई है।  धान भीगने से अंकुरण का खतरा है कई जगह तो धान अंकुरित भी होने लगा है।  
 


Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

RECENT COMMENTS

casino online slot depo 10k bonus new member slot bet 100 slot jepang
slot depo 10k slot gacor slot depo 10k slot bet 100