भारत में लंबे समय से बांग्लादेशी घुसपैठियों को लेकर चिंता जाहिर की जा रही है तो इन घुसपैठियों को लेकर सरकार भी चिंतित है वही पश्चिम बंगाल के साथ देश के दूसरे राज्यो में भी बड़े पैमाने पर बंगलादेशी नागरिक रह रहे हैं। एमपी के दमोह में एक ऐसे ही बंगलादेशी घुसपैठिये को कोर्ट ने सात साल की सजा सुनाई है। इस बंग्लादेसी नागरिक ने भारत मे रहते हुए भारत की नागरिकता सम्बन्धी तमाम दस्तावेज फर्जी तरीके से बनवाये और आराम से रह रहा था लेकिन उसका पासपोर्ट बनवाना और फिर इस पासपोर्ट पर बंग्लादेश की यात्रा की कोशिश ने उसका राज खोला और फिर पुलिस ने उसके खिलाफ मामला दर्ज किया था।
दरअसल दमोह जिले के तेजगढ़ थाने के तहत आने वाले झलोन गाँव मे रहने वाली बंगाली डॉक्टर के घर पर विश्वजीत विश्वास नाम का शख्स कुछ सालों से रह रहा था, यहाँ पहले से बसे बंगाली ने उसे अपना भांजा बताया और वो भी गाँव में रह रहा था। कुछ सालों में ही विश्वजीत ने राशन कार्ड निवास और जाति प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेज तैयार करा लिये, इन तमाम दस्तावेजों को उसने फर्जी तरीके से बनवाया था और इन प्रमाण पत्रों के आधार पर उसने पासपोर्ट के लिए एप्लाई किया और उसका पासपोर्ट भी बन गया। साल 2018 में बने पासपोर्ट के बाद वो बांग्लादेश की यात्रा करने दिल्ली पहुंचा तो एयरपोर्ट पर जांच अधिकारियो को उसके दस्तावेजों को लेकर शक हुआ और ये शक सही निकला।
नागरिक उड्डयन विभाग और पासपोर्ट विभाग ने विश्वजीत को लेकर दमोह एसपी को पत्र लिखा और जांच के किये कहा। तत्कालीन दमोह एसपी ने सम्बंधित तेजगढ़ पुलिस थाने को जांच के आदेश दिए और जब जांच हुई तो पाया गया कि विश्वजीत बांग्लादेश का नागरिक है उसकी प्रायमरी एजुकेशन बांग्लादेश में ही हुई और 2016 में वो भारत आकर दमोह के झलोन गांव में बस गया। भारत मे रहने के लिए जिन मूल प्रमाण पत्रों की उसे जरूरत थी वो उसने यहाँ बनवा लिए। पुलिस ने जांच में पाया कि तमाम दस्तावेज फर्जी तरीके से बनवाये गए थे।
तेजगढ़ पुलिस ने जांच के बाद विश्वजीत पर आपराधिक मामला दर्ज किया और मामला दमोह कोर्ट में पहुंचा। इस मामले में कोर्ट में हुई सुनवाई के बाद अब फैसला आया तो बांग्लादेशी नागरिक को कोर्ट ने सात साल की सजा सुनाई है वही उंस पर जुर्माना भी लगाया गया है।बाईट- संदीप मिश्रा ( एडिशनल एसपी दमोह)बाईट- सूरज ताम्रकार ( अपर लोक अभियोजक जिला न्यायालय दमोह)