नीमच। बच्चों के बालिग होने के बाद माता-पिता को उनकी शादी की चिंता सताने लगती है। अच्छे रिश्ते ढूंढने और जल्द शादी की चाह में लोगो देवी देवताओं की मन्नतें भी करने लगते हैं। ऐसे में जिन कुँवारे युवक युवतियो की शादी नही हो रही है उन्हें यह खबर जरूर देखनी चाहिए। आज हम कुँवरो के देवता बिल्लम बावजी के दर्शन करवाने जा रहे है। यह कुँवारों के देवता नीमच जिले के जावद नगर की पुरानी धान मंडी स्थित गणेश मंदिर के समीप रंगपंचमी पर विराजित हुए हैं।
रंग पंचमी से लेकर रंग तेरस तक 9 दिन तक यही पर विराजित रहेंगे। बिल्लम बावजी को कुंवारों के देवता भी कहा जाता है। क्योंकि यहां आकर अर्जी लगाने वाले युवक युवतियों की बिल्लम बावजी शादी करवा देते हैं।नौ दिनों में यहां देश के कोने-कोने से युवक युवतिया अपनी शादी की अर्जी लगाने पहुंचते हैं। अर्जी लगने का कोई खास खर्च नही है केवल मन मे सच्ची श्रद्धा हो। शादी की अर्जी लगाने के लिए युवक युवती को अगरबत्ती के साथ नारियल और मीठे पान का भोग लगाना पड़ता है। जिस युवक युवती की शादी की अर्जी लगाई जाती है उसे ही चढ़ाया हुआ पान खाना होता है। माना जाता है कि यदि कोई सच्ची श्रद्धा से अर्जी लगता है तो उसका महज कुछ महीनों या साल में विवाह हो जाता है।
ऐसे हजारों उदाहरण है। जिनकी की शादीया बरसो से नही हो रही थी वह चंद दिनों में ही हो गई। एक और परंपरा यहाँ है जिसमें विवाह के पश्चात युवक युवति को अपने जीवनसाथी के साथ जाकर दोबारा दर्शन कर के लिए आना होता है। जिससे उनकी गृहस्थी की गाड़ी थी अच्छी तरह से चलती है। ऐसे कई जोड़े इन नौ दिनों में रोजाना आते हैं।बिल्लम बावजी के चलित प्रतिमा को प्रतिवर्ष गणेश मंदिर के बाहर विराजित करने की परंपरा करीब 50 वर्ष पूर्व कुछ लोगो ने शुरू की थी। बताया जाता है कि उस समय गणेश मंदिर स्थित कुएं की सफाई के दौरान यह प्रतिमा निकली थी।
इसके बाद से प्रतिवर्ष रंग पंचमी से रंग तेरस तक यह चलित प्रतिमा यहां विराजित करने की परंपरा शुरू की गई। वहीं रंग तेरस पर बिल्लम बावजी का जुलूस निकाला जाता है और उन्हें पुनः मंदिर में स्थापित कर दिया जाता है। इसके बाद अगली रंग पंचमी पर पुनः बाहर निकाल कर धूमधाम से मंदिर से बाहर विराजित किया जाता है। और नौ दिनों तक यहां कुंवारे युवक युवतियां आकर अपनी शादी की अर्जी लगाते हैं।
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