Monday, June 30, 2025
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Chhattisgarh News In Hindi : More than 200 registers, digital documents of birth-death records of more than seven and a half lakh people will now be made | 200 से ज्यादा रजिस्टर, साढ़े सात लाख से ज्यादा लोगों के जन्म-मृत्यु रिकार्ड के अब बनेंगे डिजिटल दस्तावेज

  • निगम के पास साढ़े सात लाख से ज्यादा लोगों रिकार्ड तो है, लेकिन कागज बुरी तरह से गल चुके हैं
  • निगम प्रशासन ने अब  इन सभी दस्तावेजों काे डिजिटल फार्म में बदलने का का निर्णय लिया है

Dainik Bhaskar

Feb 03, 2020, 03:18 AM IST

रायपुर . बीसवीं सदी में राजधानी में जन्म लेने वालों के सौ साल से पुराने दस्तावेजों को डिजिटल फॉर्म में बदला किया जाएगा। निगम के पास साढ़े सात लाख से ज्यादा लोगों रिकार्ड तो है, लेकिन कागज बुरी तरह से गल चुके हैं। कुछ रजिस्टर के कागज तो छूते ही टूटकर गिर रहे हैं। ऐसी दशा में उन रजिस्टर के पन्नों को पलटने से भी पूरा रिकार्ड नष्ट होने का खतरा है। निगम प्रशासन अब विशेषज्ञों की मदद से पुराने एक-एक रजिस्टर का रिकार्ड सुरक्षित करेगा। इसके लिए इन सभी दस्तावेजों काे डिजिटल फार्म में बदलने का का निर्णय लिया है।

निगम के आला अफसर भी मान रहे हैं कि जिस हालत में रजिस्टर हैं, उन्हें एक साल भी ऐसी स्थिति में रखना गलत होगा, जबकि ये शहर के लोगों के जन्म एवं मृत्यु से संबंधित बेहद महत्वपूर्ण दस्तावेज हैं। इस जरूरी दस्तावेज को संवारने के लिए निगम प्रशासन 1901 से लेकर 2003 के बीच जितने लोगों के रिकार्ड रजिस्टर में दर्ज किए गए हैं, उनका डिजिटल डेटा बेस तैयार करेगा। नई शहर सरकार के बजट में इसके लिए प्रावधान होगा। भास्कर को मेयर एजाज ढेबर ने बताया कि पूरे रिकॉर्ड की डिजिटल एंट्री कराकर एक डाटा बेस बनाया जाएगा, ताकि लोगों को जरूरत पड़ने पर दस्तावेज और जानकारियां मिलने में दिक्कत न हो।

इसके लिए निगम एक सॉफ्टवेयर भी बनाएगा, इसी में सारा डाटा मैनुअल एंट्री के जरिए सुरक्षित रखा जाएगा। अफसरों के अनुसार जो रजिस्टर अधूरे हैं या जिनकी एंट्रियां लगभग मिटती जा रही हैं, उनको सबसे पहले संजोया जाएगा। ऐसे दस्तावेज जो बुरी तरह जर्जर हो चुके हैं, इसके लिए भी पूरा वर्क प्लान बनाया जा रहा है। ताकि डिजिटल एंट्री के वक्त रजिस्टर को संभालने में किसी परेशानी का सामना न करना पड़े। 

पूरी एंट्री में एक साल लगेगा
अफसरों का कहना है लाखों लोगों से जुड़े जन्म-मृत्यु के रिकॉर्ड को डिजिटल डाटा में कनवर्ट में एक साल से अधिक समय लग सकता है। अफसरों के अनुसार पहले चरण में पुराने और अत्याधिक जर्जर रजिस्टरों को ठीक किया जाएगा। रजिस्टर की जानकारी को डिजिटल एंट्री में तब्दील करने के लिए एक्सपर्ट की सेवाएं ली जाएंगी। इसके लिए निजी संस्थाओं की सेवाएं भी ली जा सकती हैं, जो इस तरह की एंट्री में माहिर हैं। दो रुपए प्रति एंट्री के हिसाब से पूरा रिकार्ड अपडेट कराया जाएगा। ये भी परीक्षण किया जा रहा है कि अधूरे दस्तावेज किस तरह दोबारा जुटाए जा सकते हैं, इसकी संभावना भी तलाश की जाएगी।

1950 से 90 के दस्तावेजों की ज्यादा मांग
भास्कर में पुराने रिकार्ड की जर्जर स्थिति का सच उजागर होने के बाद निगम के अधिकारियों ने दस्तावेजों का परीक्षण किया, उनका भी मानना है कि रिकॉर्ड 6 महीने से ज्यादा सुरक्षित रह जाए तो काफी होगा। अभी 1950 से 1990 के दस्तावेजों के लिए सबसे ज्यादा आवेदन आ रहे हैं, इसलिए इन वर्षों से जुड़े दस्तावेजों को सबसे पहले पूरी तरह दुरुस्त किया जाएगा। फर्जी जन्म प्रमाण पत्र के मामले में जो साठ के दशक के रिकॉर्ड कोर्ट में है, उनको भी वापस लाने की कवायद की जाएगी। 

स्कैन करने में दिक्कत, करीब 1 करोड़ होंगे खर्च : सौ साल से भी ज्यादा पुराने जन्म मृत्यु पंजीकरण के रजिस्टर अलग-अलग आकार के हैं, चार दर्जन से ज्यादा रजिस्टर का आकार इतना बड़ा है कि उसे स्कैन मशीन में स्कैन ही नहीं किया जा सकता। स्कैनिंग करने में भी दस्तावेज के नष्ट होने की आशंका है क्योंकि इसके दौरान रजिस्टर के पन्ने फट सकते हैं। जोन दफ्तरों के पास जो रिकॉर्ड हो सकते हैं उन्हें भी मंगवाया जाएगा। पूरी प्रक्रिया में करीब एक करोड़ तक खर्च हो सकता है।

जन्म-मृत्यु पंजीकरण के सभी पुराने दस्तावेज का डिजिटल रिकॉर्ड बनाया जाएगा। ये काम प्राथमिकता में है, जल्द ही इसके लिए शुरूआत करेंगे। ताकि भविष्य में लोगों को किसी परेशानी का सामना न करना पड़े। एजाज ढेबर, मेयर, रायपुर ननि


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