जिस प्रकार तिल में तेल, दूध में घी, पुष्प में गंध और चकमक में आग विद्यमान होता है, उसी प्रकार आत्मा में परमात्मा रहते हैं। उक्त बातें समीपस्थ ग्राम भटभेरा में आयोजित दो दिवसीय सुखद सत्संग समारोह के समापन पर रविवार को राष्ट्रीय संत असंग देव ने कही। उन्होंने कहा कि जिस घर में अतिथि सत्कार और मां-बाप का आदर और संतों का आगमन नहीं होता, वह घर उजाड़ हो जाता है। ईमानदार, जिम्मेदार, अदम्य साहस, नैतिक आचरण वाले व्यक्ति का सम्मान सभी जगहों पर होता है।
संत श्री ने सत्संग को सबसे बड़ा धर्म और प|ी को सबसे बड़ा मित्र बताया। उन्होंने कहा कि हंसने की आदत सभी चिंताओं से मुक्त करता है। दूध संपूर्ण आहार है, जबकि दौड़ने से बड़ा कोई व्यायाम नहीं है। बच्चों को संस्कारवान बनाने के साथ बुद्धिमान चरित्रवान और गुणवान होने का आशीर्वाद प्रदान करें। शराब सेवन सहित नशापान का विरोध हुए उन्होंने कहा कि कि जब हम जन्म के समय व्यसन मुक्त होते हैं तो बाद में उसकी आदत क्यों डालें।
उन्होंने शराब पर पूंजी बर्बाद करने वालों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि पूर्वजों से प्राप्त संपत्ति नीचे आने वाली पीढ़ियों को देने के लिए होती है ना कि बर्बाद करने के लिए। बूढ़े मां-बाप को वृद्ध आश्रम में छोड़ घर में कुत्ते पालने वालों पर बरसते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें भोजन तो मिल जाएगा, परंतु प्यार की भूख कैसे शांत हो पाएगी।
सत्संग समारोह में रायपुर जिला पंचायत के नवनिर्वाचित उपाध्यक्ष टंकराम वर्मा, सिमगा जनपद सदस्य द्वय अनुपम अग्रवाल व उमा अनंत, सरपंच प्रतिनिधि रामकुमार साहू, समिति अध्यक्ष संतोष चंद्राकर, गोपी साहू, थानेश्वर बाघमार, रेमन अनंत, हिरमी से महेंद्र साहू, सेवाराम वर्मा, टाकेश्वर वैष्णव, पुष्पा सिन्हा, सरोज साहू, प्रेम नारायण सिन्हा, चैन कुमार सिन्हा सहित बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि शामिल थे।
कथा के प्रभाव से ही परीक्षित को मोक्ष मिला: पंडित अशोक
तिल्दा-नेवरा. टंडवा के दैहनपारा में भागवत कथा सुनते हुए लोग।
तिल्दा-नेवरा| समीपस्थ ग्राम टंडवा के दैहनपारा में चल रही सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा संपन्न हुई। पं. अशोक कृष्णा ने बताया कि श्रृंगी ऋषि के श्राप को पूरा करने के लिए तक्षक नामक सांप भेष बदलकर
राजा परीक्षित के पास पहुंचकर उन्हें डंस लेता है।
जहर के प्रभाव से राजा की मृत्यु हो जाती है, लेकिन भागवत कथा सुनने के प्रभाव से राजा परीक्षित को मोक्ष प्राप्त होता है। पिता की मृत्यु को देखकर राजा परीक्षित के पुत्र जन्मेजय क्रोधित होकर सर्प नष्ट के लिए आहुतियां यज्ञ में डलवाना शुरू कर देते हैं, जिसके प्रभाव से संसार के सभी सर्प यज्ञ कुंडों में भस्म होना शुरू हो जाते हैं। तब देवता सहित सभी ऋषि मुनि राजा जन्मेजय को समझाते हैं और उन्हें ऐसा करने से रोकते हैं।
आचार्य ने कहा कि कथा के श्रवण प्रवचन करने से जन्म जन्मांतर के पापों का नाश होता है और विष्णु लोक की प्राप्ति होती है।महाराज कहा कि संसार में मनुष्य को सदा अच्छे कर्म करना चाहिए, तभी उसका कल्याण संभव है। इस दौरान आयोजक समिति के विनय यादव, अनिल, यशवंत, रघु आनंद आदि मौजूद थे। उक्त जानकारी नितिन जायसवाल ने दी है।
पं. अशोक कृष्णा
असंग देव
सुहेला. भटभेरा में आयोजित दो दिवसीय सुखद सत्संग सुनती हुईं बड़ी संख्या में महिला श्रद्धालु।
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