नई दिल्ली: भारत और चीन की सेनाओं की मंगलवार को करीब 10 घंटे तक कोर कमांडर स्तर की बातचीत हुई जिसके केंद्र में पूर्वी लद्दाख के टकराव वाले क्षेत्रों से सैनिकों को पीछे करने के तौर-तरीकों को अंतिम रूप देना था. सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि बैठक के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने इलाके में चीन के नये दावे पर चिंता जताई है और पुरानी स्थिति बहाल करने और तत्काल चीनी सैनिकों को गलवान घाटी, पेंगोंग सो और अन्य इलाकों से वापस बुलाने की मांग की.
सूत्रों ने बताया कि वार्ता पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास चुशूल सेक्टर में भारत की तरफ हुई. बैठक सुबह 11 बजे शुरू हुई और रात नौ बजे तक चलती रही. वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने किया, जबकि चीनी पक्ष का नेतृत्व तिब्बत सैन्य जिले के मेजर जनरल लियु लिन ने किया.
सूत्रों ने बताया कि भारतीय पक्ष ने सीमा से जुड़े मुद्दों के समाधान के दोनों देशों के बीच हुए समझौतों के प्रावधानों का कड़ाई से पालन करने पर जोर दिया. उन्होंने बताया कि बातचीत के केंद्र में तनाव को कम करने के तौर-तरीकों को अंतिम रूप देना था. सूत्रों ने बताया कि विश्वास बहाली के उपायों पर भी चर्चा हुई.
बैठक में हुई बातचीत की औपचारिक जानकारी नहीं दी गई है. पांच मई को दोनों सेनाओं के बीच शुरू हुए तनाव के बाद कोर कमांडर स्तर की यह तीसरी वार्ता है.
पहले दो दौर की वार्ताओं में भारतीय पक्ष ने यथास्थिति की बहाली और गलवान घाटी, पैंगोंग सो और अन्य क्षेत्रों से हजारों चीनी सैनिकों की तत्काल वापसी पर जोर दिया था. पिछली बैठक में हर प्वाइंट से 2-3 किमी तक पीछे हटने पर विस्तार से चर्चा हुई थी लेकिन अभी तक दोनों ही देशों की सेनाओं की तैनाती जारी है. इसे देखते हुए भारत-चीन के बीच जारी तनाव लंबे समय तक चलने की संभावना जताई जा रही है. पहली दो बैठकें मोल्दो में एलएसी पर चीन की तरफ हुई थीं.
ये भी पढ़ें- PoK में स्कार्दू एयरबेस पर दिखा चीनी फाइटर एयरक्राफ्ट, भारत के खिलाफ बड़ी साजिश की आशंका
ये भी देखें…