Israel Iran War: इधर खामेनेई ने इजरायल पर हमले तेज कर दिए. तो उधर ट्रंप ने ईरान पर हमले की तारीख दे दी. कुछ अमेरिकी अखबारों ने दावा किया है कि इस हफ्ते के अंत तक ईरान पर अमेरिकी हमला शुरु हो सकता है. ये दावे क्यों किए जा रहे हैं, ये समझने के लिए आपको अमेरिका की सैन्य हलचल देखनी चाहिए. अमेरिकी मीडिया और पश्चिमी देशों की मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से कहा जा रहा है कि ट्रंप दो हफ्तों के भीतर अपनी सेना को युद्ध का आदेश दे सकते हैं.
अमेरिकी एयरफोर्स और नेवी की पोजिशनिंग समझिए
अमेरिकी नौसेना ने भूमध्य सागर में अपना एक स्ट्राइक ग्रुप भेज दिया है. जिसकी अगुवाई एक विमानवाहक पोत कर रहा है. लाल सागर में पहले से अमेरिका का एक स्ट्राइक ग्रुप तैनात है. वहीं अरब के सागर में भी अमेरिका ने विमानवाहक पोत तैनात कर रखा है. यानी अमेरिका ने समंदर में ईरान की घेराबंदी शुरु कर दी है. हमने 18 जून को DNA में दिखाया था किस तरह अमेरिका ने 36 फाइटर जेट्स और 30 से ज्यादा ईंधन भरने वाले विमान मिडिल ईस्ट के लिए रवाना हुए थे.
ट्रंप ने चुना अपना ‘कटप्पा’ बस आदेश देने की देरी
अब अमेरिकी सेना के स्ट्राइक ग्रुप का मूवमेंट बताता है कि हमले से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ईरान को चारों तरफ से घेरना चाहते हैं ताकि युद्ध में ईरान को किसी किस्म की विदेशी मदद ना मिल सके. मीडिया रिपोर्ट्स में ये भी दावा किया जा रहा है कि ईरान पर हमले के लिए ट्रंप ने अपना सेनापति यानी कमांडर भी चुन लिया है. इन दावों के मुताबिक अमेरिकी फौज की सेंट्रल कमांड के चीफ जनरल माइकल कुरिल्ला और ट्रंप की मुलाकात हुई है. मुलाकात में कुरिल्ला ने संभावित हमले का पूरा प्लान ट्रंप के सामने रखा. जिससे ट्रंप ने स्वीकार कर लिया है और बहुत मुमकिन है कि कुरिल्ला को ही ईरान पर हमले की जिम्मेदारी दी जाए. आखिर कुरिल्ला पर ट्रंप को इतना भरोसा क्यों है ये जानने के लिए आपको इस अमेरिकी कमांडर का कैरियर रिकॉर्ड बेहद गौर से पढ़ना चाहिए.
कुरिल्ला का करियर
1988 में माइकल कुरिल्ला अमेरिकी फौज में भर्ती हुए. सैन्य सेवा के शुरुआती काल में कुरिल्ला ने पहले खाड़ी युद्ध और यूगोस्लाविया के शांति मिशन में हिस्सा लिया. 2004 से 2014 के बीच जनरल कुरिल्ला ने इराक, अफगानिस्तान और सीरिया में अमेरिकी अभियानों में हिस्सा लिया था. मोसुल की लड़ाई में कुरिल्ला को 3 गोलियां लगी थीं फिर भी वो अपनी सैन्य टुकड़ी को लेकर आगे बढ़ते रहे. इस वीरता के लिए उन्हें अमेरिकी सेना के BRONZE MEDAL से भी सम्मानित किया गया था. यूक्रेन युद्ध के दौरान भी उन्होंने जर्मनी से यूक्रेन को हथियारों की सप्लाई की जिम्मेदारी संभाली थी.
यानी पिछले 35 सालों में कुरिल्ला अमेरिकी फौज के हर बड़े सैन्य अभियान का हिस्सा रहे हैं और इसी वजह से माना जा रहा है. अगर ट्रंप ने ईरान पर हमले का फैसला किया तो इस हमले की कमान जनरल माइकल कुरिल्ला को ही मिलेगी. फौज और सैन्य संसाधनों की तैनाती कर दी गई है. सेनापति भी चुन लिया गया है और अब ईरान के साथ ट्रंप MIND GAME खेल रहे हैं. यानी वो ईरान पर मनोवैज्ञानिक प्रहार कर रहे हैं.
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— Zee News (@ZeeNews) June 19, 2025
ट्रंप ने बार-बार ईरान पर हमले का इशारा दिया. लेकिन उनकी जुबान से जो आखिरी बात निकली वो गौर करने लायक है. ट्रंप ने कहा कि ईरान के पास परमाणु हथियार नहीं हो सकते. यानी अपने बयान में परमाणु हथियारों का जिक्र करके ट्रंप ने शायद ईरान को विकल्प दिया है. विकल्प ये कि अगऱ खामेनेई परमाणु डील को शर्त स्वीकार कर लें तो बड़ा युद्ध टाला जा सकता है. जेनेवा में ईरानी प्रतिनिधि यूरोपीयन यूनियन के सदस्यों से मिलेंगे. अगर ईरान ने जेनेवा में भी जिद न छोड़ी तो 14 साल बाद एक बार फिर मिडिल ईस्ट में बारूदी धमाकों की गूंज सुनाई देगी.