नई दिल्ली: साउथ चाइना सी (South China Sea) के मुद्दे पर चीन और अमेरिका के बीच विवाद गहराता जा रहा है. चीन और अमेरिका (China and America) के बीच हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं. चीन चारों तरफ से घिर चुका है. चीन को घेरने की सबसे बड़ी तैयारी समंदर में की जा रही है. यही वजह है कि अब चीन भी अपनी तरफ से अमेरिका समेत ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया का सामना करने की तैयारी कर रहा है.
अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने चीन को लेकर बड़ा बयान दिया है. पोम्पियो ने ट्वीट कर कहा, ‘दक्षिण चीन सागर चीन का समुद्री साम्राज्य नहीं है और अब स्वतंत्र राष्ट्रों को एक साथ आना होगा.’
दरअसल, कोरोना (Coronavirus) से शुरुआत हुई चीन-अमेरिका की कोल्डवॉर अब ऐसे मोड़ पर आ चुकी है जहां दोनों देशों के बीच हालात युद्ध जैसे हो चुके हैं. अमेरिका तैयारी कर चुका है. देशों के साथ सहयोग हो या फिर युद्धपोत की तैनाती या कॉन्सुलेट बंद करने का ऐलान, चीन की घेराबंदी चारों तरफ से है. वहीं एक जगह जहां सबसे ज्यादा तनावपूर्ण हालात हैं, वो है साउथ चाइना सी.
साउथ चाइना सी में अमेरिका के युद्धपोत तैनात है. लगातार युद्धाभ्यास किए जा रहे हैं. अमेरिका के अलावा जापान, ऑस्ट्रेलिया भी अपनी समुद्री ताकत चीन को दिखा चुके हैं. और अब असर ये है कि चीन भी बड़ी तैयारी करने में जुट गया है.
खबर ये है कि चीन दो नए एडवांस्ड एयरक्राफ्ट कैरियर्स बनाने में लगा है. चीन के दो नए एयरक्राफ्ट कैरियर्स अत्याधुनिक तकनीकों से लैस होंगे.
बता दें कि साउथ चाइना सी में अमेरिका के दो एयरक्राफ्ट कैरियर पहले से तैनात हैं.
चीन के 2 नए एयरक्राफ्ट कैरियर अगले साल तक तैयार
चीन के 2 नए एयरक्राफ्ट कैरियर अगले साल तक तैयार होंगे. साउथ चाइना सी में अमेरिका और जापान की बढ़ती दखलअंदाजी को रोकने के लिए चीन इस समय नेक्स्ट जेनरेशन के दो एयरक्राफ्ट कैरियर्स का निर्माण कर रहा है. टाइप 002 क्लास का यह एयरक्राफ्ट कैरियर चीन का अपनी तरह का तीसरा जंगी जहाज होगा. इन जहाजों को बनाने का काम तेजी से चल रहा है.
माना जा रहा है कि अगले साल के आखिरी तक चीन इन दोनों एयरक्राफ्ट कैरियर्स को पानी में उतार सकता है.
चीन ये जान और समझ चुका है कि अगर विश्व युद्ध तो हुआ तो समंदर उसमें कितना अहम हो सकता है और उसे सबसे ज्यादा चुनौती फिलहाल समंदर से ही मिल रही है.
भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान, ब्रिटेन, ताइवान, अमेरिका समेत कई देशों ने अपनी तैयारी पूरी की हुई है जिसके जवाब में अब चीन ये कदम उठाने की सोच रहा है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दोनों एयरक्राफ्ट कैरियर्स की असेंबलिंग की प्रक्रिया तेजी से चल रही है और चीन इन एयरक्राफ्ट कैरियर्स को आधुनिक तकनीक से लैस करने में लगा है.
टाइप 002 क्लास के नए एयरक्राफ्ट कैरियर में दुनिया का सबसे एडवांस इलेक्ट्रो मैग्नेटिक एयरक्राफ्ट लॉन्च सिस्टम लगा होगा. ये सिस्टम यूएस नेवी के नई पीढ़ी की यूएसएस गेराल्ड आर फोर्ड क्लास के एयरक्राफ्ट कैरियर में लगी तकनीक के जैसा है. इसी की मदद से भारी भरकम जहाजों को छोटे से रनवे से टेकऑफ के दौरान हवा में प्रक्षेपित किया जाता है.
अमेरिका ने पहले ही ताइवान के पास अपने तीन न्यूक्लियर एयरक्राफ्ट कैरियर को तैनात किया है जिसमें से दो ताइवान और बाकी मित्र देशों के साथ युद्धाभ्यास कर रहे हैं, वहीं तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर जापान के द्वीपों के पास गश्त लगा है.
चीन जानता है कि उसका सामना कितनी बड़ी ताकत से है. अमेरिका के इन युद्दपोतों के सिर्फ युद्दाभ्यास से ही चीन को इनकी ताकत का अंदाजा हो गया था.
अगर अमेरिका की बात करें तो अमेरिका के पास दुनिया की सबसे आधुनिक सेना और हथियार हैं. 137 देशों की सूची में आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के मामले में अमेरिका दुनिया के बाकी देशों से बहुत आगे है. अमेरिका के दुनिया में 800 सैन्य ठिकाने हैं.
और अमेरिका नौसेना दुनिया की सबसे ताकतवर नौसेना मानी जाती है. चीन इन्हीं खतरों को देखते हुए अब अपनी तैयारी करने में लगा है.
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चीन को ना सिर्फ साउथ चाइना सी बल्कि हिंद महासागर में भारत और ईस्ट चाइना सी में जापान से खतरा है. क्योंकि यहां भी चीन का अतिक्रमण रोकने के लिए बड़ी तैयारी की गई है. वहीं ब्रिटेन भी अब साउथ चाइना सी में आ चुका है. जापान में अमेरिका की तीन सेनाएं मौजूद हैं.
यही वजह है कि चीन बेचैन हो उठा है और अब उसके इन कदमों से ये बैचेनी देखी जा सकती है.
एयरक्राफ्ट कैरियर क्या होते हैं ?
समंदर में मौजूद अस्थाई युद्धपोत को एयरक्राफ्ट कैरियर कहते हैं. इनमें लड़ाकू विमानों को उड़ाने और उतारने की क्षमता होती है. 60 से 90 लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर्स को इनमें आसानी से उतारा जा सकता है. इनमें हवा में मार करनेवाली मिसाइलों के साथ-साथ रडार भी मौजूद होते हैं. ये एयरक्राफ्ट कैरियर समंदर पर तैरते किसी छोटे शहर के तरह लगते हैं. किसी भी हालात में समंदर में कई महीनों तक तैनात रहने की इनमें क्षमता होती है. किसी भी देश की सबसे बड़ी रणनीतिक ताकत का सबसे अहम हिस्सा होते हैं एयरक्राफ्ट कैरियर.