नई दिल्ली: Corona Virus ने दुनिया के बड़े बड़े देशों को घुटनों पर ला दिया है. पूरी दुनिया में अब तक इस वायरस से 8 लाख 75 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं जबकि मरने वालों की संख्या 43 हजार से ज्यादा है.
पिछले कुछ वर्षों में जब भी महामारियां फैली, तो उससे ज्यादातर गरीब और विकास शील देश ही प्रभावित हुए , लेकिन पहली बार दुनिया की बड़ी-बड़ी महाशक्तियां एक वायरस के सामने हथियार डाल रही हैं.
अमेरिका Corona Virus का नया केंद्र बन चुका है. जहां करीब-करीब 2 लाख लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं और 4 हजार से ज्यादा की जान जा चुकी है.
आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन 9/11 के हमले में भी अमेरिका में इतने लोगों की जान नहीं गई थी. 9/11 के हमले में तीन हजार लोग मारे गए थे, जबकि इस Virus ने 4 हजार अमेरिकियों की जान ले ली है.
अमेरिका का न्यूयॉर्क शहर इस महामारी का केंद्र बन गया है. न्यूयॉर्क में संक्रमण के 1 लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं और दुनिया के इस सबसे अमीर शहर में 2 हजार लोगों की मौत हो चुकी है.
न्यूयॉर्क में स्थिति ये है कि लाशों को क्रेन की मदद से उठाकर ट्रकों में भरा जा रहा है. न्यूयॉर्क में सड़कों पर ही अस्थाई शव गृह बना दिए गए हैं और इन शव गृहों में आने वाली लाशों की संख्या हर दिन बढ़ती जा रही है.
अमेरिका में पिछले 24 घंटों में ही 800 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. स्थिति ये हो गई है कि न्यूयॉर्क के मशहूर सेंट्रल पार्क को फील्ड हॉस्पिटल में बदल दिया गया. इस पार्क में Tents लगाकर 68 बिस्तरों वाला एक अस्थाई अस्पताल तैयार किया गया है.
अमेरिका का एक परमाणु युद्धपोत भी Corona Virus का शिकार हो गया है. इस युद्ध पोत का नाम है USS Theodore Roosevelt. इस पोत पर 4 हजार नौसैनिक सवार हैं और इनमें से करीब 100 में Corona Virus की पुष्टि हो चुकी है. सैन्य अधिकारियों का मानना है कि आने वाले दिनों में हजारों की संख्या में नौसैनिक इससे संक्रमित हो सकते हैं.
जहाज के कैप्टन ने अमेरिका के रक्षा मंत्रालय से मदद की अपील की है. और अब सैनिकों को इस युद्ध पोत से निकालने का प्रयास किया जा रहा है.
लेकिन ये सब देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कैसे परमाणु शक्ति संपन्न देश अमेरिका आज एक वायरस के खिलाफ जंग नहीं जीत पा रहा है. अमेरिका के राष्ट्रपति कह चुके हैं इस वायरस से करीब 1 से 2 लाख अमेरिकियों की जान जाना तय है. डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि अगर मरने वालों की संख्या इतनी ही रही तो ये भी अपने आप में एक उपलब्धि होगी. यानी दुनिया का सबसे शक्तिशाली और अमीर देश भी मौत के सच को स्वीकार कर चुका है.