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Thursday, December 18, 2025
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J-K में जल्द हटे पाबंदी, शांति-रोजगार-इंटरनेट चाहते हैं लोग, बोले विदेशी राजनयिक – Exclusive details envoys urge lifting of internet restrictions in kashmir

  • विदेशी राजदूतों ने घाटी से पाबंदी हटाने की दी सलाह
  • 25 राजनयिकों ने 12-13 फरवरी को घाटी का किया दौरा

जम्मू-कश्मीर में मौजूदा हालात का जायजा लेने भारत पहुंचे 25 विदेशी राजनयिकों का दो दिवसीय दौरा शुक्रवार को संपन्न हो गया. दौरे के समापन पर  विदेशी राजदूतों ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल से मुलाकात की. एनएसए प्रमुख ने सभी राजदूतों के लिए एक स्वागत सामारोह रखा था. इस दौरान उनके साथ विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला, विदेश मंत्रालय प्रवक्ता रवीश कुमार, राज्य सभा सांसद एमजे अकबर भी मौजूद थे. 

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यूरोपीय यूनियन के प्रवक्ता वर्जिनी बट्टू हेनरिक्स्सन ने आजतक को ईमेल पर दौरे के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि घाटी में संचार पर लगी पाबंदी को जल्दी हटाने की जरूरत है.  उन्होंने कहा, ‘इस दौरे से एक बात स्पष्ट हो गया है कि भारत सरकार ने सामान्य हालात बहाल करने के लिए कई सकारात्मक कदम उठाए हैं. लेकिन कुछ पाबंदी अभी भी जारी है जैसे कि इंटरनेट और मोबाइल सेवा पर. इसके अलावा कुछ नेताओं को अब भी नजरबंद कर रखा गया है. घाटी में जहां एक तरफ गंभीर सुरक्षा व्यवस्था की जरूरत है वहीं इस तरह की पाबंदियों को तेजी से हटाने की भी आवश्यकता है.’  

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भारत स्थित यूरोपीय यूनियन राजदूत उगो अस्तुतो भी जम्मू-कश्मीर गए प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे. उन्होंने कहा कि दौरे के दौरान हमने देखा कि वहां पर नेताओं को नजरबंद कर रखना, इंटरनेट और मोबाइल पर लगी पाबंदी आदि की समस्या तो है लेकिन सरकार हालात को बेहतर बनाने के लिए कई अन्य सकारात्मक प्रयास भी कर रहे हैं.    

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भारत स्थित जर्मनी के राजदूत वाल्टर जे लिंडनर ने आजतक से बात करते हुए कहा, ‘हालात को सामान्य बनाने के लिए सरकार द्वारा कई सकारात्मक कदम उठाए गए हैं. लेकिन अभी भी कई पाबंदियां जारी है. हमने कई लोगों से बात की, सबने घाटी में संचार व्यवस्था को बहाल करने की मांग की है. इंटरनेट सुविधा बंद किए जाने से वहां के व्यवसाय पर बुरा असर पड़ रहा है. अगर मुझसे पूछें कि वहां के लोग क्या चाहते हैं तो मैं यही कहूंगा- इंटरनेट सुविधा, शांति और व्यवसाय की संभावना.’

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25 देशों के राजनयिकों ने किया दौरा

बता दें, 25 देशों के राजनयिकों ने 12-13 फरवरी को जम्मू-कश्मीर का दौरा किया. इन देशों में यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी, गिनी, हंगरी, इटली, अफगानिस्तान, बुल्गारिया, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, चेक गणराज्य, डेनमार्क, डोमिनिक गणराज्य, केन्या, किर्गिस्तान, मेक्सिको, नामिबिया, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, पोलैंड, रवांडा, स्लोवाकिया, ताजिकिस्तान, यूगांडा और उज्बेकिस्तान शामिल हैं.

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