छतरपुर। सिद्ध पीठ बागेश्वर धाम में इन दिनों धार्मिक आयोजन हो रहे हैं। बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री 9 दिनों तक मंदिर में कुटिया बनाकर साधना कर रहे हैं साथ ही दोपहर में लोगों को देवी माता की महिमा सुना रहे हैं। कथा क्रम के चौथे दिन महाराज श्री ने कुष्मांडा माता की कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि कुष्मांडा माता प्रकाश की देवी है, इस जगत को प्रकाशित करने के लिए ही माता ने अवतार लिया था।
बागेश्वर महाराज कुटिया में रहकर श्री हनुमान मंत्र का जाप कर रहे हैं। सुबह उन्होंने विश्व कल्याण और सुख समृद्धि तथा भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए हवन किया, दोपहर में नंगे पैर तपती दुपहरी में बालाजी और भगवान महादेव की तीन परिक्रमा लगायी। कथा क्रम में महराज श्री ने कुष्मांडा माता की कथा का विस्तार करते हुए कहा कि ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की लेकिन चारों तरफ अंधेरा था। ब्रह्मा जी ने अंधेरे में संसार कैसे चलेगा यह सवाल विष्णु भगवान के समक्ष रखा और उनसे प्रार्थना की कि कोई उपाय बताएं, श्री हरि ने योग माया शक्ति के आह्वान की बात कही जिनके आह्वान से अष्टभुजा देवी कुष्मांडा प्रकट हुई। माता रानी के मुस्कुराते ही यह जगत प्रकाशमय हो गया।
पदयात्रा की व्यवस्थाओं के लिए आयोजित हुई समन्वय बैठकबीती शाम बागेश्वर महाराज की उपस्थिति में दिल्ली से वृंदावन तक होने वाली महाराज श्री की पदयात्रा के संबंध में स्थानीय प्रभारी से लेकर मुख्य प्रभारी और बागेश्वर धाम के प्रभारियों के साथ समन्वय बैठक आयोजित हुई। संपूर्ण यात्रा के प्रभारी एडवोकेट धीरेंद्र गौर ने बताया कि शिष्य मंडलों और यात्रा से जुड़े प्रभारी के बीच समन्वय स्थापित करने हेतु विगत रोज बैठक हुई। बागेश्वर महाराज ने सभी प्रभारियों से चर्चा की और उन्हें सौंपे गए दायित्व को सफलतापूर्वक निर्वहन करने के लिए कहा।
श्री गौर ने बताया कि महाराज श्री के आदेशानुसार 9 दिन और 9 रात्रि विश्राम के लिए अलग-अलग प्रभारी बनाए गए हैं। अन्नपूर्णा व्यवस्था के लिए कुल 40 प्रभारियों को दायित्व सौंपे गए हैं। वहीं जल व्यवस्था के लिए 40 तथा स्थानीय स्तर पर भी 40 लोगों का सहयोग लिया जाएगा। डेढ़ लाख लोगों के दिन में और इतने ही लोगों के रात में भोजन की व्यवस्था की गई है। महाराज जी का संकल्प है कि कोई भी भक्त भंडारे से अछूता न रहे। उन्होंने बताया कि संपूर्ण भंडारे की व्यवस्था का दायित्व कपिल साहू को सोपा गया है।
दिन में विराम और रात्रि के विश्राम के प्रभारी अलग-अलग बनाए गए हैं। धाम के माध्यम से तैयार किए गए प्रभारी और स्थानीय स्तर पर आए लोगों का आपस में समन्वय हुआ। जहां यात्रा रुकनी है वहां के लोग भी बैठक में शामिल हुए। श्री गौर ने बताया कि करीब डेढ़ सौ किमी की इस पदयात्रा में 15 किमी दिल्ली का क्षेत्र रहेगा। 82 किमी हरियाणा और 53 किमी उत्तर प्रदेश का क्षेत्र यात्रा में शामिल होगा। उन्होंने कहा कि पिछली यात्रा के दौरान जो कमियां देखने को मिली थी उन कमियों को दुरुस्त करने का इस यात्रा में प्रयास किया जाएगा।