धमतरी, छत्तीसगढ़: छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले का वनांचल इलाका आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। सिहावा विधानसभा क्षेत्र का नाथूकोन्हा गांव इसका जीता-जागता उदाहरण है, जहां के ग्रामीण पिछले 25 सालों से सड़क की मांग को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। अजीत जोगी के शासनकाल से लेकर आज तक, कई सरकारें आईं और गईं, लेकिन इन ग्रामीणों की सुनने वाला कोई नहीं मिला।
जान जोखिम में डालकर जंगली रास्तों से सफरग्राम पंचायत केरेगांव का आश्रित गांव नाथूकोन्हा, जिसकी आबादी करीब 150 है, चारों तरफ से नदी-नालों और घने जंगलों से घिरा हुआ है। गांव के सरपंच अकबर मांडवी बताते हैं कि नाथूकोन्हा से केरेगांव मेन रोड की दूरी 5 किलोमीटर है, और ग्रामीण इसी कच्चे, जंगली रास्ते से होकर गुजरते हैं। राशन, दवा, स्कूल जाने वाले बच्चे या अन्य सामान लाने के लिए ग्रामीणों को इन्हीं फिसलन भरे रास्तों का सहारा लेना पड़ता है।तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि घाटी होने की वजह से लोगों का चलना कितना मुश्किल है। बारिश के दिनों में तो ये रास्ते और भी खतरनाक हो जाते हैं, जहां लोग जान हथेली पर लेकर चलते हैं। ग्रामीण इन रास्तों को “गौरथ पथ” बनाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन 25 साल बाद भी इस मांग का कोई हल नहीं निकला है, जिससे ग्रामीण शासन-प्रशासन को कोसने पर मजबूर हैं।
जनप्रतिनिधि और प्रशासन का आश्वासननाथूकोन्हा गांव के ग्रामीणों की मांग को लेकर सिहावा विधानसभा क्षेत्र की विधायिका अंबिका मरकाम ने सरकार पर ठीकरा फोड़ा है। उनका कहना है कि उनके विधानसभा क्षेत्र की सड़कों का हाल बेहद खराब है और उन्हें खुद भी चलने में दिक्कतें होती हैं। उन्होंने भाजपा सरकार पर सड़कों के विकास के लिए कोई प्रयास न करने का आरोप लगाया।वहीं, धमतरी कलेक्टर अविनाश मिश्रा ने ग्रामीणों की मांग को गंभीरता से लिया है। उन्होंने कहा कि उनकी मांग आई है और उसका बजट बनाकर राज्य शासन को भेजने की बात की जा रही है।
बहरहाल, नाथूकोन्हा के ग्रामीण 25 साल से सड़क की मांग कर रहे हैं। प्रशासन की तरफ से अब आश्वासन तो मिल गया है, लेकिन सड़क कब बनेगी और लोगों की इस समस्या का कब हल मिलेगा, यह एक बड़ा सवाल है। फिलहाल, इस बारिश में ग्रामीणों को इन्हीं कच्ची और जंगली रास्तों से होकर गुजरना पड़ेगा।