फ़िलिस्तीन के समर्थन में मुखर रहने वाला पाकिस्तान एक बार फिर अपनी ‘डबल गेम’ की नीति के चलते अंतरराष्ट्रीय मंच पर उलझ गया है। वह एक ओर अमेरिका को खुश करने और दूसरी ओर इस्लामिक देशों का साथ देने की कोशिश में बुरी तरह फंसा है।ताज़ा मामला अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रस्तावित गाजा शांति प्रस्ताव से जुड़ा है। सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने पहले अमेरिका को साधने के प्रयास में इस प्रस्ताव का खुलकर समर्थन कर दिया था। हालाँकि, अब मुस्लिम जगत की नाराज़गी मोल लेने के डर से पाकिस्तान इस रुख से पलटने की कोशिश कर रहा है।
विदेश मंत्री इशाक डार ने संसद में दी सफाई
इस उलझन को स्पष्ट करते हुए, पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने शुक्रवार को देश की संसद में एक महत्वपूर्ण बयान दिया। डार ने अपने पुराने रुख को दोहराते हुए कहा कि गाजा में इजरायल-हमास युद्ध को खत्म करने के लिए पेश किया गया अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का 20-सूत्रीय प्रस्ताव उन शर्तों से मेल नहीं खाता जो मुस्लिम बहुल देशों के समूह (Organisation of Islamic Cooperation – OIC) द्वारा पेश किए गए मसौदे में शामिल हैं।
विदेश मंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि जिस प्रस्ताव का समर्थन करने की बात कही जा रही है, वह योजना “हमारी नहीं है।” इस बयान को सीधे तौर पर ट्रंप के प्रस्ताव पर पाकिस्तान द्वारा समर्थन से पीछे हटने (यू-टर्न) के रूप में देखा जा रहा है।
‘गरम निवाला’ बना गाजा प्रस्ताव
विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप का गाजा शांति प्रस्ताव पाकिस्तान के लिए एक “गरम निवाला” बन गया है, जिसे वह न तो निगल पा रहा है और न ही उगल पा रहा है। पाकिस्तान की सरकार अब अमेरिका और शक्तिशाली इस्लामिक ब्लॉक, दोनों के बीच संतुलन स्थापित करने की जद्दोजहद में है। समर्थन वापस लेने की यह कोशिश दर्शाती है कि घरेलू और इस्लामिक देशों के दबाव के आगे पाकिस्तान को अपनी विदेश नीति में जल्दबाजी में बदलाव करना पड़ा है, जिसने एक बार फिर उसकी फजीहत करा दी है।