भोपाल। आम आदमी पार्टी को मध्य प्रदेश में राजनीतिक एंट्री दिलवाने वाली सिंगरौली की महापौर रानी अग्रवाल (Rani Agrawal) अब सिंगरौली से विधायक का चुनाव लड़ेंगी। आम आदमी पार्टी ने उन्हें सोमवार को यहां से प्रत्याशी घोषित कर दिया है। भले ही मध्य प्रदेश में पूर्व से ही भाजपा और कांग्रेस का दबदबा रहा हो, लेकिन रानी अग्रवाल को कमजोर आंकना सही नहीं होगा। रानी अग्रवाल ने पिछले साल हुए निकाय चुनाव में सिंगरौली (Singraul Assembly MP) में भारी जीत हासिल की थी और मेयर पद संभाला था। अब वे विधानसभा के लिए मैदान में हैं। रानी अग्रवाल आम आदमी पार्टी से चुनाव भले लड़ रही हों, लेकिन वे ‘आम’ महिला नहीं हैं। आईए हम आपको उनके बारे में पूरी जानकारी देते हैं।
तब बहुत कम अंतर से हारी थीं चुनाव
रानी अग्रवाल आम आदमी पार्टी के टिकट से वर्ष 2018 का विधानसभा चुनाव भी लड़ चुकी हैं। तब वे महज 4,539 मतों से भाजपा के रामलल्लू वैश्य से पराजित हो गई थीं। राम लल्लू को 24.63 प्रतिशत मत हासिल हुए थे। वहीं, कांग्रेस की रेनू शाह 22.13 प्रतिशत वोट पाकर दूसरे नंबर पर रही थीं। रानी अग्रवाल 21.59 प्रतिशत वोट पाकर तीसरे नंबर पर आई थीं, लेकिन यह हार बेहद नजदीक की थी। इसके बाद उनकी मेहनत जारी रही। वर्ष 2022 के निकाय चुनाव में 9 हजार ज्यादा मतों से जीतने वाली रानी अग्रवाल महापौर बनी हैं।
इसलिए दिलचस्प है सिंगरौली सीट
अब यह सिंगरौली सीट इसलिए भी और दिलचस्प हो गई है क्योंकि भाजपा ने यहां से सत्तारूढ़ विधायक रामलल्लू वैश्य का टिकट काटकर रामनिवास शाह (Ramnivas Shah) को टिकट दिया है। वहीं, कांग्रेस ने यहां से पिछली बार दूसरी नंबर पर ही रहीं महिला रेनू शाह (Renu Shah) को मैदान में उतारा है। अब इस बार फिर रानी मैदान में हैं। आपको बता दें कि प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से आप अब तक 70 उम्मीदवार उतार चुकी है।
आप का बड़ा चेहरा हैं रानी
रानी अग्रवाल आम आदमी पार्टी का मध्य प्रदेश में सबसे बड़ा चेहरा हैं। वे सरपंच, जिला पंचायत सदस्य रही हैं। वर्तमान में महापौर और आप की प्रदेश अध्यक्ष हैं। मूल रूप से सिंगरौली जिले के बरगवां की निवासी रानी अग्रवाल का लकड़ी का कारोबार है।
पांच साल पहले भाजपा छोड़कर आप में आईं
रानी अग्रवाल 5 साल पहले तक बीजेपी के लिए काम करती थीं। वर्ष 2018 में वे भाजपा से टिकट मांग रही थीं, लेकिन पार्टी ने उन्हें दरकिनार कर दिया। इस वजह से उन्होंने भाजपा का दामन छोड़कर आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया था।