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Seetaphal Benefits: बिलासपुर के मंगला चौक पर सड़क किनारे देसी सीताफल बेचने वाले माधव दास हर रोज 500 से 1000 रुपये तक की कमाई कर लेते हैं. वह बरसों से सीताफल बेचकर आजीविका चला रहे हैं.
बिलासपुर. छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के बाजारों में इन दिनों देसी सीताफल (शरीफा) की मांग लगातार बढ़ रही है. शहर के मंगला चौक पर सड़क किनारे यह फल बड़े पैमाने पर बिक रहा है, जहां मंगला निवासी माधव दास पिछले कई सालों से देसी सीताफल बेचकर अच्छी-खासी कमाई कर रहे हैं. रोजाना 500 से 1000 रुपये तक की बिक्री करने वाले माधव दास लोकल 18 को बताते हैं कि यह फल गौरेला, पेंड्रा, और मरवाही के बागानों से आता है, जहां हर सीजन में इसकी भरपूर पैदावार होती है. 50 से 80 रुपये किलो तक बिकने वाला यह देसी सीताफल अपने मीठे स्वाद, देसीपन और उच्च पोषण मूल्य के कारण लोगों की पहली पसंद बन चुका है. नवरात्रि के दौरान लोग इसे प्रसाद के रूप में खरीदते हैं और मंदिरों में चढ़ाते हैं. हाइब्रिड किस्म की तुलना में यह फल स्वाद और पोषण दोनों में ज्यादा बेहतर होता है.
बिलासपुर के मंगला चौक पर सड़क किनारे देसी शरीफा बेचने वाले माधव दास रोजाना 500 से 1000 रुपये तक की कमाई कर लेते हैं. वह वर्षों से इसी फल की बिक्री कर अपनी आजीविका चला रहे हैं. वर्तमान में मंगला चौक शहर में देसी सीताफल का प्रमुख ठिकाना बन चुका है.
सीधे बिलासपुर पहुंचता ताजा और देसी सीताफल
देसी सीताफल गौरेला, पेंड्रा और मरवाही जिले के बागानों से बड़े पैमाने पर लाया जाता है, जहां हर सीजन में इसकी अच्छी पैदावार होती है. नवरात्रि के दौरान देसी सीताफल लोगों की पहली पसंद बन जाता है. इसे न केवल घरों में खाया जा रहा है बल्कि मंदिरों में प्रसाद के रूप में भी चढ़ाया जाता है.
स्वाद और पोषण में हाइब्रिड फल से कहीं आगे
देसी सीताफल हाइब्रिड किस्मों की तुलना में स्वाद, मिठास और पोषण में ज्यादा बेहतर माना जाता है, जो इसे ग्राहकों की खास पसंद बना रहा है. बताते चलें कि शरीफा सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है. सीताफल में विटामिन सी, मैग्नीशियम, विटामिन B6 और आयरन आदि भरपूर मात्रा में होता है. यह हार्ट और शुगर दोनों के लिए अच्छा फल है. सीताफल रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी मददगार है.
राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.
राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.
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