नई दिल्ली:
धनशोधन (Money laundering) और आतंकवाद के वित्तपोषण (Financing Terrorism) के खिलाफ वैश्विक निकाय एफएटीएफ (FATF) ने ”ग्रे लिस्ट” में शामिल रहने की यथास्थिति का संकेत देते हुए गुरुवार को कहा कि पाकिस्तान बढ़ी हुई निगरानी सूची में बना रहेगा क्योंकि उनके द्वारा आतंकवाद का वित्तपोषण रोकने में ‘‘गंभीर खामियां” हैं और देश में इससे निपटने के लिए प्रभावी व्यवस्था की कमी है. पेरिस स्थित वित्तीय कार्रवाई बल (FATF) के अध्यक्ष मार्कस प्यलेर ने इसकी बैठक के बाद कहा कि पाकिस्तान को दी गई समयसीमा पहले ही समाप्त हो गई है. उन्होंने इस्लामाबाद से एफएटीएफ की चिंताओं को ‘‘जितनी जल्दी हो सके” दूर करने के लिए कहा.
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प्यलेर ने पेरिस में एफएटीएफ (FATF) के पूर्ण सत्र के समापन के बाद कहा, ‘‘अभी तक, पाकिस्तान ने सभी कार्रवाई योजनाओं में प्रगति की है और अब तक 27 में से 24 कार्रवाई पूरी कर ली है. पूरी कार्रवाई योजना के लिए समयसीमा पूरी हो चुकी है.” उन्होंने कहा कि आतंक के वित्तपोषण पर रोक लगाने में पाकिस्तान की ओर से गंभीर खामी है और संयुक्त राष्ट्र द्वारा सूचीबद्ध आतंकवादियों और उनके सहयोगियों के खिलाफ कार्रवाई करना अभी बाकी है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की अदालतों को आतंकवाद में शामिल लोगों को प्रभावी, निर्णायक और समानुपातिक सजा देनी चाहिए.
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यह बयान ऐसे समय आया है जब पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने अमेरिकी पत्रकार डैनियल पर्ल की 2002 में हुई हत्या के मुख्य आरोपी आतंकवादी उमर सईद शेख को हाल में बरी किया है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को तीन अधूरे कार्यों को पूरा करना होगा और एक बार यह पूरा हो जाने के बाद, एफएटीएफ जून में होने वाले अपने पूर्ण सत्र में उसके वर्तमान दर्जे पर निर्णय करेगा.
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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