भोपाल। मध्य प्रदेश में पुरानी पेंशन (Old Pension System) की मांग ने जोर पकड़ लिया है। मध्य प्रदेश में जहां कांग्रेस ने सरकार बनने पर कर्मचारियों को पुरानी पेंशन देने का वादा किया है, वहीं भाजपा पेंशन के मामले में कर्मचारियों को साधने में लगभग नाकाम रही। प्रदेश के चुनाव में कर्मचारियों ने किसका साथ दिया, यह तो 3 दिसंबर को आने वाले परिणामों में ही साफ हो पाएगा, लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले कर्मचारियों का ‘हल्ला बोल’ सरकार के लिए सिर दर्द साबित हो सकता है। अधिकारियों का कहना है कि राजनीतिक दल भले ही पुरानी पेंशन को राज्य से जोड़ रहे हों, लेकिन यह मुद्दा पूरे देश का है। पुरानी पेंशन के प्रावधानों के अनुसार जब कोई कर्मचारी सेवानिवृत्त होता था, तब उसका वेतन जितना होता था, उससे करीब आधी राशि पेंशन के रूप में मिलती थी। उदाहरण के तौर पर समझें तो अगर सेवानिवृत्ति के समय किसी कर्मचारी का वेतन 50 हजार रुपये है तो उसे पेंशन के रूप में 25 हजार रुपये महीने मिलते थे। कर्मचारी पति या पत्नी की मौत के बाद भी उसके पत्नी या पति को वह पेंशन मिलना जारी रहती थी। पुरानी पेंशन साल में दो बार महंगाई राहत जुड़ती थी। इससे सरकारी कर्मचारी सेवानिवृत्ति के बाद आसानी से जीवन यापन कर पाता था। लेकिन नई पेंशन एनपीएस में कर्मचारियों के हक मारे गए हैं। नई पेंशन में कर्मचारी के वेतन से 10% राशि और सरकार की ओर से 14 प्रतिशत राशि एनपीएस में जमा की जाती है। जब कर्मचारी रिटायर होता है तो यह 24% राशि जितनी जमा होगी। उसमें से 60% कर्मचारियों को एकमुश्त दे दी जाती है। बाकी बची 40% राशि में से हर महीने पेंशन दी जाती है। नई पेंशन को उदाहरण के तौर पर समझें तो अगर किसी कर्मचारी का रिटायरमेंट के समय वेत 36 हजार रुपये है तो उसे पेंशन सिर्फ 2700 महीने ही मिलेगी। जबकि पुरानी पेंशन में यह राशि करीब 18 हजार रुपये महीने होगी। राज्य कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय महामंत्री विष्णु वर्मा ने बताया कि वर्ष 2018 में नई दिल्ली में अटल समाधि पर नई पेंशन स्कीम में सुधार करने की मांग रखी थी, लेकिन आज तक कोई समाधान नहीं निकला।
OPS : पुरानी पेंशन को लेकर क्यों मच गया हंगामा, जिसके लिए कर्मचारी दिल्ली में कर रहे प्रदर्शन
![Strike in Delhi for Old Pension Strike in Delhi for Old Pension](https://www.no2politics.com/wp-content/uploads/2023/11/old-696x432.jpeg)