छतरपुर, मध्य प्रदेश: बक्सवाहा विकासखंड के छोटे से गांव पौंड़ी की नेहा लोधी ने संघर्ष, साहस और दृढ़ संकल्प से अपने परिवार और गांव की आर्थिक तस्वीर बदल दी है। एक साधारण पृष्ठभूमि से आने वाली नेहा ने प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्योग उन्नयन योजना (PMFME) से ऋण लेकर आटा चक्की स्थापित की, जिससे वह आर्थिक सशक्तिकरण का एक प्रेरणादायक उदाहरण बन गई हैं।
चाय की दुकान से आटा चक्की तक का सफर
नेहा का परिवार पहले केवल खेती और मजदूरी पर निर्भर था, जिससे पर्याप्त आमदनी नहीं हो पाती थी। इसी बीच, आजीविका मिशन की टीम उनके गांव पहुंची और महिलाओं को स्व-सहायता समूहों (SHG) के बारे में जानकारी दी। परिवार और समाज की प्रारंभिक झिझक के बावजूद, नेहा ने समूह से जुड़ने का फैसला किया।
समूह का सफर और आत्मनिर्भरता की शुरुआत
नेहा ने अन्य महिलाओं को प्रेरित कर नादन स्व-सहायता समूह की स्थापना की और उसकी पहली सदस्य बनीं। उन्हें शुरुआती तौर पर 1000 रुपये का लघु ऋण मिला, जिसका उपयोग उन्होंने बच्चों की पढ़ाई जैसी छोटी जरूरतों के लिए किया। इस सफलता ने उनके आत्मविश्वास को बढ़ाया। कुछ समय बाद, उन्हें 12,000 रुपये का ऋण मिला, जिससे उन्होंने अपने पति पप्पू लोधी के साथ बक्सवाहा में एक चाय की दुकान खोली। इस दुकान से उन्हें प्रतिदिन 250-400 रुपये की आमदनी होने लगी।
हौसले की ऊँचाई:
बैंक ऋण से लगाई आटा चक्कीनेहा यहीं नहीं रुकीं। उन्होंने समूह के सहयोग से PMFME योजना से 1,50,000 रुपये का ऋण लिया। गांव में आटा चक्की की कमी को देखते हुए, उन्होंने अपनी गली के कोने पर एक आधुनिक आटा चक्की लगाई। गुणवत्ता और सुविधा के कारण चक्की की मांग बढ़ने लगी और प्रतिदिन 200-300 रुपये तक की आय होने लगी।
अब नेहा केवल अपने घर की पहचान नहीं, बल्कि पूरे गांव की प्रेरणा बन चुकी हैं। महिलाएं उनसे प्रेरित होकर समूह से जुड़ने लगी हैं। नेहा हर हफ्ते “सखी संगिनी” को बचत, बैंकिंग, ऋण प्रबंधन और व्यावसायिक योजनाओं के बारे में सिखाती हैं। उनकी मेहनत और दूरदर्शिता से आज उनके परिवार की मासिक आय 15,000 से 18,000 रुपये हो गई है। नेहा की यह कहानी दर्शाती है कि सही मार्गदर्शन, सरकारी योजनाएं, सामूहिक सहयोग और आत्म-विश्वास की शक्ति से कोई भी अपने जीवन की दिशा बदल सकता है और महिला सशक्तिकरण का सच्चा उदाहरण बन सकता है।