छतरपुर, मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले से सरकारी स्कूलों की बदहाली का एक भावुक कर देने वाला वीडियो सामने आया है, जो प्रशासन की घोर अनदेखी को उजागर करता है. छतरपुर शहर से करीब 100 किलोमीटर दूर लुकापुरवा गांव में स्थित एक सरकारी प्राथमिक स्कूल में बच्चों के पास न तो क्लासरूम है, न ब्लैकबोर्ड और न ही बैठने के लिए सीटें. यहां बच्चे खुदी हुई पथरीली जमीन पर बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं, जो किसी भी संवेदनशील व्यक्ति को दुखी कर देगा.
स्कूल व्यवस्था पर सवाल
लुकापुरवा प्राथमिक शाला का यह वीडियो सामने आने के बाद छतरपुर जिले के सरकारी स्कूलों की व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं. यहां टपरे में प्राइमरी स्कूल संचालित हो रहा है और शिक्षक बच्चों को खुले में बैठाकर पढ़ाने को मजबूर हैं, क्योंकि उनके पास एक सुव्यवस्थित भवन नहीं है.पुराना भवन गिराया गया,
नया नहीं बना
दरअसल, प्राथमिक शाला लुकापुरवा का पुराना भवन क्षतिग्रस्त हो गया था, जिसे किसी अनहोनी से बचने के लिए करीब 9 महीने पहले प्रशासन ने गिरवा दिया था. शिक्षकों को किराए के भवन में स्कूल चलाने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी के कारण शिक्षकों को वहीं टपरे में व्यवस्था कर बच्चों को पढ़ाना पड़ा.100 से अधिक भवन ढहाए गए,
कई स्कूलों को इंतजार
प्रशासन ने सरकारी स्कूलों के जर्जर भवनों को जमींदोज करने का अभियान चलाया ताकि कोई दुर्घटना न हो. हालांकि, जिन विद्यालयों में केवल एक ही भवन था, उन्हें भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा. लुकापुरवा प्राथमिक विद्यालय भी उन्हीं में से एक है, जहां कक्षा 1 से 5वीं तक के 31 बच्चे एक छप्पर के नीचे पढ़ाई करने को मजबूर हैं.सितंबर 2024 में शुरू हुए इस अभियान के तहत जिले में करीब 100 स्कूलों के जर्जर भवन गिराए गए थे. इनमें से 17 स्कूल ऐसे थे जिनके पास कोई अतिरिक्त भवन नहीं था. 9 स्कूलों को सार्वजनिक या शासकीय भवनों में स्थानांतरित किया गया, जबकि 8 स्कूलों को गांव में निजी मकान किराए पर लेकर संचालित किया जा रहा है. ये स्कूल करीब एक साल से इसी तरह चल रहे हैं और उनका अभी तक कोई स्थायी समाधान नहीं हो सका है.
अधिकारियों की प्रतिक्रिया
इस मामले पर जिला पंचायत सीईओ तपस्या परिहार ने कहा कि अभी बजट नहीं आया है, जैसे ही बजट आएगा नया भवन बनवाया जाएगा. उन्होंने बताया कि फिलहाल लुकापुरवा स्कूल को आंगनबाड़ी केंद्र में शिफ्ट कर दिया गया है. जिला शिक्षा केंद्र अधिकारी अरुण शंकर पांडे ने कहा कि जानकारी मिलते ही स्कूल को आंगनबाड़ी में शिफ्ट कर दिया गया.
उन्होंने बताया कि पिछले साल 102 जर्जर भवन गिराए गए थे, जिनमें से 90 भवन बन चुके हैं. शेष 12-13 स्कूलों के भवनों के लिए बजट आने वाला है और उनका निर्माण भी जल्द ही शुरू होगा.यह स्थिति छतरपुर जिले में शिक्षा के बुनियादी ढांचे की गंभीर चुनौतियों को दर्शाती है, जहां बच्चों को बेहतर भविष्य के लिए न्यूनतम सुविधाओं से भी वंचित होना पड़ रहा है.