मुरैना: सरकारी एंबुलेंस के कुछ ड्राइवर, जो लोगों को मुफ्त और समय पर स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान करने के लिए हैं, अब मरीजों को निजी अस्पतालों में ले जाकर लाखों रुपये का बिल बनाने में मदद कर रहे हैं। इस तरह के कई मामले सामने आए हैं, जिसमें एक पीड़ित परिवार ने आरोप लगाया है कि एक एंबुलेंस ड्राइवर ने उन्हें डराकर एक निजी अस्पताल में भर्ती करा दिया, जिससे उन्हें 1.89 लाख रुपये का नुकसान हुआ।

पीड़ित परिवार का आरोप: बरेठा गाँव के निवासी बलराम सिंह परमार ने बताया कि उनके बेटे पवन सिंह का 26 अगस्त को मुरैना रेलवे स्टेशन पर एक दुर्घटना हुई थी। घायल पवन को जिला अस्पताल से ग्वालियर मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया। जिला अस्पताल से रेड क्रॉस की एंबुलेंस भेजी गई, जिसे बसंत नाम का ड्राइवर चला रहा था।बलराम सिंह के मुताबिक, ड्राइवर बसंत ने रास्ते भर उन्हें ग्वालियर के सरकारी अस्पताल के बारे में गलत बातें बताकर डराया। उसने कहा कि सरकारी अस्पताल में इलाज ठीक से नहीं होता और गलत इलाज से मरीज की जान तक जा सकती है। इसके बाद, उसने आयुष्मान कार्ड से मुफ्त इलाज कराने का झांसा देकर पवन को ग्वालियर के रेनबो मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में भर्ती करवा दिया।
लाखों का बिल, नहीं मिला आराम: रेनबो अस्पताल में पवन का ₹1,89,530 का बिल बना दिया गया, लेकिन उनकी सेहत में कोई सुधार नहीं हुआ। इसके बाद, पीड़ित परिवार ने बेटे को सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया, जहाँ के इलाज से उसकी हालत में सुधार हुआ। बलराम सिंह ने एंबुलेंस ड्राइवर को “गद्दार” बताते हुए उस पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।इस तरह की घटनाएँ सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़ा करती हैं। यह भी आरोप है कि एंबुलेंस ड्राइवर निजी अस्पतालों से मोटा कमीशन लेते हैं, जिसकी वजह से वे मरीजों को सरकारी अस्पतालों में जाने से रोकते हैं। प्रशासन को ऐसे ड्राइवरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि गरीबों को मुफ्त और सही इलाज मिल सके।