केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि समान नागरिक संहिता (UCC) के प्रस्तावित दायरे से पूर्वोत्तर और देश के अन्य हिस्सों के आदिवासियों को बाहर रखा जाएगा।
आदिवासियों को छूट क्यों?
रिजिजू ने स्पष्ट किया कि यह फैसला इसलिए लिया गया है ताकि आदिवासी समुदाय अपनी परंपराओं और रीति-रिवाजों के अनुसार अपना जीवन जी सकें। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि UCC को लेकर सरकार के खिलाफ सोशल मीडिया पर जो माहौल बनाया जा रहा है, वह गलत है।
क्या है सरकार का रुख?
रिजिजू के मुताबिक, भाजपा संविधान के तहत UCC लाने पर विचार कर रही है। उनका तर्क है कि जब देश में फौजदारी (आपराधिक) कानून सभी के लिए समान है, तो नागरिक कानून भी समान होना चाहिए। यह बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि सरकार UCC के मसौदे को तैयार करते समय विभिन्न समुदायों की चिंताओं को ध्यान में रख रही है, खासकर उन समुदायों की, जिनकी अपनी विशेष परंपराएं हैं।