Sunday, December 8, 2024
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उमा का वारिस क्यों बन गया प्रहलाद पटेल के लिए खतरा

मध्यप्रदेश के साथ देश की लोधी राजनीति में नए तारे का उदय है राहुल


मनीष पाठक, भोपाल। मध्य प्रदेश की ओबीसी राजनीति में एक नए चेहरे का उदय हो रहा है यह चेहरा फिलहाल तो केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल किसी सियासी धरातल पर खतरा बनकर उभरा है,लेकिन आगे चलकर प्रदेश में ओबीसी वर्ग के बड़े नेता और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तथा उनके उत्तराधिकारी के लिए भी यह युवा नेता ग्रहण लगा सकता।
मध्य प्रदेश में प्रभावशाली भूमिका में रहने वाले लोधी समाज से नया नेतृत्व उभर रहा है यह हैं पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के भतीजे राहुल सिंह लोधी। बुंदेलखंड की खरगापुर विधानसभा सीट से पहली बार के विधायक राहुल को शनिवार को शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल में राज्य मंत्री के तौर पर शपथ दिलाई गई। लोधी को मंत्री बनाने में उमा भारती की खासी अहम भूमिका मानी जा रही है। उमा भारती ने खामोशी से अपनी चाल चली और शिवराज को राहुल को अपनी टीम में शामिल करना पड़ गया। प्रदेश भाजपा की हालिया राजनीति में यह समीकरण शिवराज सिंह के मुफीद दिखाई देता है, लेकिन इस नए ध्रुव तारा के उदय के साथ केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल और उनके छोटे भाई जालम सिंह पटेल की लोधी समाज की प्रभावशाली नेता बनने की अभिलाषा पर पानी फिरता दिखाई दे रहा है। उमा भारती को मध्यप्रदेश से बाहर कर उत्तरप्रदेश भेजना और उनकी जगह प्रहलाद पटेल को केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्थान देने के बाद माना जाने लगा था कि स्वर्गीय कल्याण सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती द्वारा खाली की गई लोधी क्षत्रप की जगह प्रहलाद पटेल स्थापित हो जाएंगे, लेकिन पटेल इस भूमिका में खुद को फिट नहीं कर पाए। वह अपने निर्वाचन क्षेत्र दमोह और निवास क्षेत्र जबलपुर की राजनीति में उलझ कर रह गए। मौके का फायदा उठाकर उमा भारती फिर मध्यप्रदेश में सक्रिय हुई और उन्होंने शराबबंदी की तान छेड़ भाजपा केंद्रीय नेतृत्व को अपनी वजनदारी का अहसास कराया। अब जब शिवराज मंत्रिमंडल के विस्तार की बात आई तो मुख्यमंत्री शिवराज और भाजपा ने विंध्य के ब्राह्मण समीकरण को देखते हुए राजेंद्र शुक्ला को फिर मंत्री बनाने का निर्णय लिया। महाकौशल के पंवार नेता गौरीशंकर बिसेन को भी मंत्री पद से नवाजा गया। लोधी समाज को प्रतिनिधित्व देने के लिए जालम सिंह पटेल, प्रद्युमन सिंह लोधी और राहुल लोधी के नाम विचार में थे। उमा भारती के भतीजे राहुल के नाम पर राज्य मंत्री पद की लॉटरी खुल गई। युवा होने के साथ ही उच्च शिक्षित होना, लगातार सक्रिय रहना राहुल के लिए फायदेमंद साबित हुआ। अब भाजपा प्रदेश की लोधी बहुत क्षेत्र में राहुल के जरिए लोधी समाज के वोट बैंक को साधने का जतन करेगी। देखना होगा कि राहुल अपनी बुआ उमा भारती की तरह प्रदेश में अपनी अलग छवि बना पाते हैं या नहीं।
लोधी समाज को छुट्टा छोड़ दिया था उमा भारती ने
भाजपा और मध्य प्रदेश में अपने वर्चस्व को फिर स्थापित करने की नीयत से सक्रिय होने के बाद उमा भारती ने लोधी समाज के एक कार्यक्रम में साफ कर दिया था कि इस वर्ग के लोग अपनी मर्जी से वोट देने के लिए स्वतंत्र हैं। वे उमा भारती के बंधन में ना रहें और जिसे चाहे उस पार्टी की तरफ झुक सकते हैं। इस संदेश के जरिए उमा भारती ने लोधी समाज पर अपनी पकड़ का इजहार किया था। उनका यह दांव काम आ गया। यही वजह है कि वह भारती अपने खास नेता प्रीतम लोधी को न सिर्फ वापस बीजेपी में लाने में कामयाब हो पाईं, बल्कि भाजपा प्रत्याशियों की पहली सूची में उनका नाम भी शामिल करने को पार्टी को मजबूर कर लिया।
लोधी 13 लोकसभा और 64 विधानसभा में हैं प्रभावी
मध्य प्रदेश के के 29 लोकसभा क्षेत्र में से 13 क्षेत्र में लोधी समाज के मतदाता प्रभावी भूमिका में है। वह एकजुट हो गए तो जीत हार का समीकरण बदल सकते हैं यही स्थिति 230 विधानसभा क्षेत्र में से 64 विधानसभा क्षेत्र में उनकी है। ओबीसी वर्ग में आने वाले इस समाज को साधने के लिए ही राहुल लोधी को राज्य मंत्री बनाया गया है और उन्हें इस वोट बैंक को पुख्ता करने की जिम्मेदारी दी जाएगी। इसके पीछे पार्टी की सोच है कि राहुल के बहाने उमा भारती भी लोधी समाज को बीजेपी के पक्ष में लाने के लिए प्राण प्रण से जुट जाएंगी।
तो क्या भतीजे के लिए त्याग कर रही हैं उमा भारती
अपने दम पर भाजपा की राजनीति में अलग मुकाम बनाने वाली उमा भारती अब क्या अपने भतीजे राहुल को विरासत सौंप कर खुद मार्गदर्शक मंडल में जाने का रास्ता चुन रही है? यह सवाल राजनीतिक विश्लेषकों के बीच गूंज रहा है। कुछ विश्लेषक मानते हैं कि मध्य प्रदेश में उमा भारती की आने वाली चुनाव में विशेष भूमिका होगी और वे कभी भी गेम चेंज कर मुख्य भूमिका में आ सकती हैं। दूसरी तरफ उमा भारती के लिए मध्यप्रदेश में कोई स्थान न होने की बात कहने वाले भी कम नहीं हैं। बता दें कि 2003 में भाजपा की सरकार बनाने वाली उमा भारती बाद में मध्यप्रदेश से रुखसत कर दी गई और पहले उन्हें उत्तरप्रदेश से विधायक बनाया गया और फिर झांसी से सांसद बनाकर केंद्रीय मंत्री पद से नवाजा गया था। भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति में वैसे तो सभी पूर्व मुख्यमंत्री स्थाई आमंत्रित सदस्य होते हैं, लेकिन इस लिस्ट में उमा भारती का नाम शामिल नहीं किया गया। पिछले दिनों भोपाल में हुई एक प्रदेश कार्य समिति में जब पहुंची तो हड़कंप मच गया। बाद में पता चला कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के आमंत्रण पर भी कुछ देर के लिए बैठक में पहुंची थीं।

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