https://www.biskitjunkiehouston.com/menu

https://www.menuhartlepool.com/

slot server jepang

Wednesday, December 3, 2025
HomeThe WorldWhy turkiye is trying to lure bangladesh All you need to know...

Why turkiye is trying to lure bangladesh All you need to know | DNA: ‘खलीफा’ का मिशन बांग्लादेश होगा डीकोड; ढाका पहुंचे दूत, क्या पुरानी मार भूल गया तुर्किए?

Bangladesh-Turkiye Friendship: 8 जुलाई को ढाका में तुर्किए के रक्षा उद्योग के अध्यक्ष और बांग्लादेश के अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस की मुलाकात हुई थी. इस मीटिंग में बांग्लादेश के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी भी मौजूद थे. इस बातचीत में तुर्किए के प्रतिनिधिमंडल ने यूनुस और उनके सैन्य अधिकारियों के सामने तुर्किए के ड्रोंस, तोपखाने और मिसाइल सिस्टम से जुड़ी प्रेजेंटेशन रखी थी. बांग्लादेशी मीडिया में आई खबरों के मुताबिक इस मीटिंग में बांग्लादेश और तुर्किए ने सामरिक सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति जताई है.

इन बैठकों को लेकर सामरिक दुनिया के विशेषज्ञ आशंका जता रहे हैं कि ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान को मदद देने के बाद अब तुर्किए के राष्ट्रपति एर्दोआन बांग्लादेश की शक्ल में भारत के खिलाफ एक और सामरिक मोर्चा खोलना चाहते हैं. एक संभावना ये भी है कि बांग्लादेश से सामरिक सहयोग बढ़ाकर एर्दोआन एक तीर से दो शिकार करना चाहते हैं. 

पाकिस्तान के बाद बांग्लादेश को साधकर एर्दोआन इस्लामी दुनिया में संदेश देना चाहते हैं कि उनकी पहुंच दक्षिण एशिया तक हो गई है. दूसरी तरफ एर्दोआन का मकसद भारत पर दबाव बनाना भी हो सकता है ताकि तुर्किए के पड़ोसी देशों को भारत से सामरिक मदद ना मिल पाए.

तुर्किए के अखबारों में भारत और ग्रीस के बीच LACM मिसाइल की डील को लेकर चर्चा की जा रही थी. तुर्किए में छपी रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि तुर्किए के पारंपरिक विरोधियों साइप्रस और ग्रीस को भारत से मिसाइल और रॉकेट सिस्टम जैसे हथियार मिल सकते हैं.

एर्दोआन ने यूनुस से हाथ क्यों मिलाया, इसकी एक वजह कथित खलीफा की खिसियाहट भी हो सकती है क्योंकि हाल ही में हुए ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान एर्दोआन की प्लानिंग पर पानी फिर गया था.

अमेरिका की मैगजीन THE WEEK ने ब्रिक्स सम्मेलन को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2025 के सम्मेलन में तुर्किए ब्रिक्स की सदस्यता हासिल करना चाहता था. लेकिन भारत ने तुर्किए के प्रस्ताव का विरोध किया था, जिसके बाद तुर्किए की सदस्यता पर ब्रिक्स में कोई बातचीत नहीं हुई.

भले ही एर्दोआन शहबाज शरीफ और मोहम्मद यूनुस जैसे प्यादों के जरिए भारत पर दबाव बढ़ाने की कोशिश कर रहे हों. लेकिन उन्हें ये समझना चाहिए कि अगर भारत का एक कूटनीतिक कदम ब्रिक्स जैसी संस्था से तुर्किए को दूर कर सकता है तो भारत के सामरिक कदम तुर्किए के लिए बहुत भारी पड़ सकते हैं.




Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

RECENT COMMENTS

casino online slot depo 10k bonus new member slot bet 100 slot jepang
slot depo 10k slot gacor slot depo 10k slot bet 100 slot777 slot depo 5k slot online slot server jepang scatter hitam