Friday, March 29, 2024
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कोरोना के खिलाफ जंग में भारत को बड़ी कामयाबी, विकसित किए तीन तरह के टेस्ट – Corona virus ministry of health india three kind of test developed fourth in process

कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में भारत को बड़ी कामयाबी मिली है. देश में तीन तरह के टेस्ट विकसित हो चुके हैं, जबकि चौथी की भी पूरी तैयारी है. एक टेस्ट आईआईटी दिल्ली ने विकसित किया है और एक चित्रा इंस्टीट्यूट ने. गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में सरकार की ओर से इसकी जानकारी दी गई.

देश में 30 ग्रुप हैं जो कोरोना वैक्सीन बनाने की कोशिश कर रहे हैं. भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर के विजय राघवन ने कहा कि यह बहुत रिस्की प्रॉसेस है. दुनिया में बहुत सारे लोग वैक्सीन की बात कर रहे हैं लेकिन यह पता नहीं है कि किसकी वैक्सीन प्रभावी होगी. अगर वैक्सीन वेस्ट हो जाती है तो नुकसान भी होता है.

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उन्होंने कहा कि वैक्सीन हम नॉर्मल लोगों को देते हैं न कि बीमार और किसी भी अंतिम स्टेज के मरीज को इसलिए जरूरी है कि वैक्सीन की क्वालिटी और सेफ्टी को पूरी तरह से टेस्ट किया जाए. उन्होंने कहा कि वैक्सीन 10-15 साल में बनती है और इसकी लागत 200 मिलियन डॉलर के करीब होती है. हमारी कोशिश है कि इसे एक साल में बनाया जाए. इसलिए एक वैक्सीन पर काम करने की जगह हम लोग एक ही समय में 100 से अधिक वैक्सीन पर काम कर रहे हैं.

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के विजय राघवन ने कहा कि वैक्सीन बनाने की कोशिश तीन तरह से हो रही हैं. एक तो हम खुद कोशिश कर रहे हैं. दूसरा बाहर की कंपनियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं और तीसरा हम लीड कर रहे हैं और बाहर के लोग हमारे साथ काम कर रहे हैं. अभी आरटी-पीसीआर टेस्ट होता है. यह जेनेटिक मटीरियल टेस्ट है. दूसरी तरह भी टेस्ट हो सकता है जो अभी उपलब्ध नहीं है. दवा बनाने के लिए स्टूडेंट्स का हैकाथॉन किया जा रहा है. इसमें जल्दी दवा बनाने की होड़ होगी. इसके बाद ICMR इसकी जांच करेगी.

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‘विज्ञान और तकनीक से जीतेंगे लड़ाई’

कोरोना वायरस को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस में नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने कहा कि कोरोना वायरस के खिलाफ जो विश्व की लड़ाई है उसमें अंतिम लड़ाई जो जीती जाएगी वो विज्ञान और तकनीक के माध्यम से जीती जाएगी. ये लड़ाई वैक्सीन से जीती जाएगी.

उन्होंने कहा कि कितनी बीमारियां होती हैं और कारगर दवाई होती है तो हमें चिंता करने की जरूरत भी नहीं होती है. साइंस और तकनीक एक फाइनल फ्रंटियर है इस लड़ाई में. हमारे देश का विज्ञान और तकनीक का जो बेस है वो मजबूत है. सीमित संसाधनों के बावजूद हमने आधार बहुत मजबूत किया है. उन्होंने कहा कि देश की फार्मा इंडस्ट्री को फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड कहा जाता है. हमारे यहां बनाई गई कई वैक्सीन दवाएं सारे विश्व में जाती हैं और जान बचाती हैं.

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