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Friday, December 26, 2025
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बुखार उतारने का सदियों पुराना आयुर्वेदिक तरीका है पिप्पली


प्रकृति ने हमें ऐसी अनगिनत जड़ी-बूटियां दी हैं, जिनके जरिए हम अपने शरीर को निरोग रख सकते हैं। हालांकि अपने पूर्वजों की तुलना में हमारी आज की पीढ़ी को आयुर्वेद और जड़ी-बूटियों के बारे में कुछ कम ज्ञान है। लेकिन पिप्पली एक ऐसी आयुर्वेदिक औषधि है, जो आज भी बुखार उतारने के देसी तरीकों में बहुत अधिक प्रचलित है। आइए, जानते हैं बुखार में इसका सेवन कैसे करना चाहिए और कितने प्रकार का ज्वर (बुखार) उतारने में यह औषधि कारगर है…

कितने प्रकार के बुखार में उपयोगी?
-बुखार कई तरह का होता है। इनमें खांसी-जुकाम के कारण होनेवाला बुखार, किसी अन्य वजह से होनेवाला गंभीर बुखार और गर्भवती महिलाओं को होनेवाला बुखार। गर्भवती महिलाओं को होनेवाले बुखार को सूतिका ज्वर कहते हैं। इन सभी तरह के बुखार में पिप्पली बहुत अधिक लाभकारी होती है।

-पिप्पली के गुणों और प्रभावों के बारे में जानकर आपको इसलिए भी हैरानी हो सकती है क्योंकि आयुर्वेदिक तरीके से कोरोना ज्वार का निदान ढूंढनेवाले चिकित्सकों को इस दिशा में भी पिप्पली ने निराश नहीं किया है। फिलहाल आयुर्वेदिक तरीके से कोरोना से मुक्ति पाने की दिशा में शोधकार्य जारी है।

किस प्रकार करें पिप्पली का उपयोग?
-ज्वर उतारने के लिए आप तीन ग्राम पिप्पली जड़ के चूर्ण को 5 ग्राम शहद और करीब 2 ग्राम शुद्ध देसी घी में मिलाकर, दिन के तीनों प्रहर में इसका सेवन करें। इसे चाटकर खाने पर अधिक और शीघ्र लाभ मिलता है। खासतौर पर यदि किसी व्यक्ति को खांसी और जुकाम के साथ बुखार हो तो यह गले के दर्द इत्यादि से राहत दिलाने में बहुत अधिक प्रभावी है।

-इस तरह पिप्पली जड़ चूर्ण का सेवन करने के बाद आप गाय के दूध का सेवन करें। यदि तीनों समय गाय के दूध का सेवन संभव ना हो तो कम से कम सुबह और शाम के समय इस तरह पिप्पली चूर्ण खाने के बाद गाय का दूध जरूर पिएं। बेहतर होगा यदि आप गाय के दूध का उपयोग शहद मिलाकर करेंगे। ध्यान रखें शहद मिलाते समय दूध बहुत तेज गर्म नहीं होना चाहिए।

-यदि आपको पिप्पली चूर्ण चाटकर खाने में समस्या हो तो आप घर पर इसका देसी टॉनिक भी तैयार कर सकते हैं। इसके लिए आपको 3 ग्राम पिप्पली चूर्ण एक गिलास (सामान्य आकार) पानी में उबालना है। जब यह पानी पकते-पकते गिलास का 1/4 रह जाए तब आप इस पानी को छान लें। हल्का ठंडा होने पर इसमें शहद मिलाएं और फिर घूंट-घूंट करके पी लें। यह खांसी, जुकाम, बुखार, गले में दर्द, खराश आदि सभी समस्याओं से आपको मुक्ति दिलाएगा।

इतना ध्यान रखें
-हर औषधि का सेवन एक निश्चित और सीमित मात्रा में करने पर ही लाभ देता है। इसी तरह यदि आप पिप्पली चूर्ण की ओवरडोज लेंगे तो यह शरीर में पित्त बढ़ाने का काम करेगी। साथ ही खांसी से राहत दिलानेवाली पिप्पली को यदि आवश्यकता से अधिक मात्रा में ले लिया जाए तो यह खांसी बढ़ाने का काम करती है।

-इसलिए बेहतर यही होगा कि घर पर इस तरह उपचार करते समय एक बार अच्छे वैद्य और आयुर्वेदिक डॉक्टर से इसकी सही मात्रा नापना सीख लें। उन्हें यह भी बताएं कि आप इसका सेवन क्यों करना चाहते हैं, ताकि आपकी स्थिति को देखते हुए चिकित्सक आपको यह बता सकें कि आपको पिप्पली का सेवन कितने दिनों तक करना है।


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