भोपाल। मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति नरेन्द्र कुमार जैन ने मानव अधिकार हनन से जुड़े दो मामलों में संज्ञान लेकर संबंधितों से प्रतिवेदन मांगा है। इसमें प्रमुख रूप से 7 माह से ज्यादा समय से रिटायर शासकीय सेवकों की पेंशन शुरू नहीं होने का मामला शामिल है।
प्रदेश में 1 अप्रैल से 31 अक्टूबर तक 20 हजार से ज्यादा अधिकारी कर्मचारी रिटायर हो चुके है, लेकिन अब तक उनकी पेंशन शुरू नहीं हो पाई हैं। रिटायरमेंट के बाद होने वाले भुगतान भी नहीं हो पाए है। इसमें शासकीय सेवकों को सेवानिवृत्त होने पर साढ़े सोलह महीने की तनख्वाह या 20 लाख रुपए जो भी ज्यादा हो भुगतान होता है। कोरोना महामारी की वजह से मार्च से जुलाई के बीच सरकार की आय पर खासा असर पड़ा था, जो घटकर 40 प्रतिशत रह गई थी। पहला मौका है, जब रिटायर हो रहे कर्मचारियों को पीपीओ के नाम पर खाली लिफाफे मिल रहे है। वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह मामला पेंशन संचालनालय स्तर का है। वहीं से इस पर रोक है। इस मामले में आयोग ने मुख्य सचिव, म.प्र. शासन, प्रमुख सचिव, म.प्र. शासन, वित्त विभाग, संचालक, पेंशन संचालनालय, भोपाल से एक माह में प्रतिवेदन मांगा है।
12 महिलाओं को इंजेक्शन देकर बिना आपरेशन अर्धबेहोशी में घर लौटाया
सतना जिले में नसबंदी आॅपरेशन को लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र रामपुर बाघेलान में विगत बुधवार को रामपुर अस्पताल में नसबंदी शिविर का आयोजन किया गया। यहां 22 महिलाओं को बुलाया था। सभी को एंटीबायोटिक और अर्धबेहोशी का इंजेक्शन दिया गया। नसबंदी करने आए सर्जन ने कोविड-19 का हवाला देकर 10 से अधिक नसबंदी आॅपरेशन करने से इनकार कर दिया। ऐसे में 12 महिलाओं को अर्धबेहोशी की हालत में घर भेज दिया गया। दो की तबीयत बिगड़ गई। इधर सर्जन एसएम पाण्डेय ने आरोप लगाया कि कोविड-19 प्रोटोकाॅल के विपरीत सभी आॅपरेशन करने का दबाव बनाया जा रहा था। आॅपरेशन नहीं करने पर दरवाजा बाहर से बंद करा दिया गया। सीएमएचओ डाॅ अशोक कुमार अवधिया ने डाॅ पाण्डेय को नोटिस जारी किया है। डीएचओ डाॅ चरण सिंह ने नेतृत्व में जांच टीम गठित की गई है। इस मामले में आयोग ने कलेक्टर सतना, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, सतना एवं संचालक, लोक स्वास्थ्य संचालनालय, भोपाल से तीन सप्ताह में प्रतिवेदन मांगा है।