बारिश से मंगलवार को भी राहत के आसार नहीं हैं। मौसम विभाग के अनुसार रायगढ़ समेत उत्तरी छत्तीसगढ़ में काले बादल रहेंगे। ज्यादातर जगहों पर हल्की बारिश का भी अनुमान है। इसके प्रभाव से दिन और रात के तापमान में भी बहुत ज्यादा परिवर्तन नहीं होगा। सोमवार को दिन का तापमान 26 और रात का तापमान 17 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया।
मौसम विभाग के अनुसार इस बार एक साथ चार चक्रीय चक्रवाती घेरा सक्रिय है। इनके प्रभाव से रायगढ़ समेत प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में बारिश हो रही है। मौसम विशेषज्ञ डॉ एचपी चंद्रा बताते है कि वर्तमान में एक चक्रीय चक्रवाती घेरा दक्षिण छग के ऊपर 0.9 किलोमीटर पर स्थित है। दूसरा चक्रीय चक्रवाती घेरा दक्षिण पश्चिम एमपी के ऊपर 1.5 किमी तक तो तीसरा चक्रवाती घेरा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ऊपर 3.1 व पूर्वी उत्तर प्रदेश के ऊपर 0.9 किमी पर स्थित है।
शार्टेज की भरपाई का दबाव बनाया तो होगा विरोध
समितियां उठाव में देरी को लेकर परेशान हैं। सदस्यों का कहना है कि उन्होंने पहले समय पर उठाव नहीं होने पर शार्टेज की भरपाई करने से इनकार किया था। इस बात पर कलेक्टर ने परिवहन व्यवस्था बेहतर होने की बात कही थी, लेकिन खरीदी समाप्त होने के बाद भी समितियों में बफर लिमिट से ज्यादा धान मौजूद है। उठाव में देरी से शार्टेज होना तय है, ऐसे में यदि उनपर भरपाई का दबाव बनाया गया तो वे एकजुट होकर विरोध करने की बात कह रहे हैं।
संग्रहण केंद्र देरी से खोले गए, इसलिए उठाव धीमा
अब तक रिपोर्ट नहीं आई
आज भी काले बादल और बारिश, दिन और रात के तापमान परिवर्तन के आसार नहीं
भास्कर संवाददाता | रायगढ़-छाल
धान खरीदी खत्म हो गई लेकिन उपार्जन केंद्रों से उठाव धीमा है। समितियों में अभी 20 लाख क्विंटल से ज्यादा धान खुले में पड़ा हुआ है। लगातार हो रही बारिश से करोड़ों के धान के खराब होने की आशंका है।
सोमवार को भी बारिश की वजह से धान का उठाव रुका रहा। केप कवर भी फटे पुराने और पर्याप्त नहीं होने के कारण धान भीग रहा है। दैनिक भास्कर ने बारिश में धान के रखरखाव देखने छाल, छातामुड़ा समेत अन्य केंद्रों का जायजा लिया। अधिकांश समितियों में फटे पुराने केप कवर से धान ढका मिला। छातामुड़ा समिति में अभी भी 10 हजार क्विंटल से ज्यादा धान रखा हुआ है। इन्हें ढकने के लिए समिति सदस्यों ने प्लास्टिक के टुकड़े और बोरियों का इस्तेमाल कर रहे हैं। केप कवर फटे होने के कारण पानी धान की बोरियों के बीच प्रवेश कर रहा है। इसी तरह तमनार और छाल में खरीदी समाप्त होने के कारण धान पर्याप्त है।
इन केंद्रों में बफर लिमिट से तीन गुना ज्यादा धान रखा हुआ है। बारिश से बचाना कड़ी चुनौती है। किसी तरह समिति सदस्य धान को भीगने से बचाने का प्रयास कर रहे हैं। समिति सदस्यों का आरोप है कि उठाव में देरी के कारण यदि धान का शार्टेज हुआ तो इसकी भरपाई वे नहीं करेंगे। पूर्व में कलेक्टर द्वारा आयोजित बैठक में उन्होंने उठाव में देरी की वजह से शार्टेज की भरपाई नहीं करने की बात कह चुके हैं।
धरमजयगढ़ और घरघोड़ा में ज्यादा बारिश
रविवार की रात जिले में कुल 62 मिमी बारिश रिकार्ड की गई है। सबसे ज्यादा धरमजयगढ़ में 14 मिमी और घरघोड़ा में 11 मिमी बारिश हुई है। जबकि वहीं रायगढ़, तमनार, पुसौर, बरमकेला, खरसिया में हल्की से मध्यम वर्षा रिकार्ड की गई है। सोमवार को इन इलाकों में बारिश अधिक होने की बात कही जा रही है।
टीओ जारी होने के 72 घंटे के भीतर उठाव जरूरी
}इन कारणों से देरी
1. संग्रहण केंद्र खुलने में देरी- धान खरीदी 1 दिसंबर से शुरू हो गई थी, लेकिन 26 जनवरी को लोहरसिंग और 4 फरवरी को खरसिया, धरमजयगढ़, बरमकेला, हरदी में संग्रहण केंद्र खोले गए। इसकी वजह से उठाव में देरी हुई।
2. खराब मौसम- दिसंबर जनवरी और फरवरी में 11 बार खराब मौसम के कारण परिवहन व्यवस्था ठप रही। इसकी वजह से समय पर धान का उठाव नहीं हुआ। और समितियों में धान की मात्रा बढ़ते गई।
3. मिलर्स के लक्ष्य बढ़ाने की तैयारी- वर्तमान में 20 लाख क्विंटल धान समितियों में रखा हुआ है। इसमें से 14 लाख क्विंटल धान का उठाव के लिए मिलर्स और ट्रांसपोर्टरों से कहा गया है। परिवहन खर्च बचाने के लिए मिलर्स के लक्ष्य में बढ़ोतरी की तैयारी है।
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