- रामानुजगंज के अंतरराज्यीय मंडी बैरियर में चल रहे खेल का बड़ा खुलासा
- ओडिशा बार्डर पर तमाम सख्ती, इसलिए तस्कर दूसरी सीमाओं पर सक्रिय
Dainik Bhaskar
Feb 06, 2020, 01:50 AM IST
रामानुजगंज (मनोज व्यास/ भूपेश केशरवानी ) . प्रदेश सरकार की सख्ती से दूसरे राज्यों से धान की खुलेअाम तस्करी रुकी, लेकिन चोरी-छिपे जारी है। ओडिशा, झारखंड और मध्यप्रदेश की सीमा से रात के अंधेरे में धान के ट्रक प्रदेश में अाने की सूचनाएं फिर मिल रही हैं। प्रशासनिक अमले ने धान तस्करी रोकने के लिए महीनेभर पहले ताबड़तोड़ छापे मारे, लेकिन ध्यान हटते ही तस्करों का काम शुरू हो गया है। धान तस्करों और कुछ कारोबारियों के गठजोड़ ने छोटे और बैरियर पर तैनात सरकारी कर्मचारियों को भी शामिल कर लिया है। भास्कर टीम ने रामानुजगंज स्थित मंडी बोर्ड के अंतरराज्यीय कन्हर बैरियर पर नजर रखी और पाया कि धान तस्करी बंद होते ही उत्तरप्रदेश, बिहार और झारखंड से बड़े पैमाने पर चावल लाया जाने लगा है। 10 पहियों वाले ट्रक से दो हजार से लेकर 16 चक्कों वाले ट्रक से 3000 तक लिए जा रहे हैं। 15 फरवरी के बाद धान खरीदी बंद हो जाएगी, इसलिए बैरियर के कर्मचारी ही एक-दो दिन बाद धान के ट्रक पार करवाने का वादा करने लगे हैं।
भास्कर के रिपोर्टर जब ब्रोकर बनकर मंडी बैरियर के एक कर्मचारी से मिले तो उसने दो हजार रुपए प्रति ट्रक लेकर मोटा चावल पार कराने का सौदा कर लिया। एक कर्मचारी वीरेंद्र ठाकुर ने रात से ही एक-दो ट्रक पार कराने की बात कही। इस कर्मचारी ने राजधानी रायपुर समेत प्रदेश के कई बड़े राइस मिलर का नाम लेकर कहा कि सभी इसी तरह धान और चावल के धंधे से जुड़कर बड़े कारोबारी बने हैं। उनका सबसे अच्छा संबंध है। जब रायपुर जाते हैं, तो कभी पैसे लेकर नहीं जाना पड़ा।
दूसरे राज्याें से इसलिए छत्तीसगढ़ लाकर बेचते हैं धान
केंद्र सरकार ने सामान्य धान का 1815 और ए ग्रेड धान का समर्थन मूल्य 1835 रुपए प्रति क्विंटल तय किया है। छत्तीसगढ़ में प्रति क्विंटल 2500 रुपए मिल रहे हैं, इसलिए तस्कर प्रति क्विंटल 2000 रुपए खर्च कर भी धान ला रहे हैं, क्योंकि कमीशन के बाद भी 5 रुपए का फायदा होता है।
सीमाओं पर ढील, पर गांवों में सख्ती से अपने ही त्रस्त
सरकार की सख्ती के कारण राज्य के किसानों को ही सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है। कुछ किसानों के धान खलिहान में ही जब्त कर दिए गए हैं। खलिहान से घर लेकर जाते समय भी किसानों के धान जब्त किए गए। ऐसे धान को तत्काल छोड़ने के निर्देश के बावजूद किसान भटक रहे हैं।
कटघोरा में 1010 क्विं. धान जब्त, इसी बार्डर से पार हुआ था
बैरियर के कर्मचारी ने बताया कि सरकार ने सुपर फाइन धान पर कोई बैन नहीं लगाया है। लेकिन यहां 2500 रुपए रेट मिल रहा है, इसलिए दूसरे राज्यों से धान आ रहा है। कटघोरा में तीन ट्रकों से 1010 क्विंटल सुपर फाइन धान जब्त किया गया था, जो इसी बॉर्डर से पार हुआ था। राइस मिलकर और ब्रोकर ऐसे किसानों के नाम पर धान खपाते हैं, जो क्षमता से कम धान बेचते हैं। इसके अलावा दूसरे राज्यों का सस्ता चावल खरीदकर पीडीएस में खपाया जाता है।
एक ट्रक निकालिए 3 हजार रुपए में, हो रही धांधली
एक कर्मचारी ने बताया कि दूसरे राज्य से सामान लाना या ले जाना हो, अलग से पैसे देने ही पड़ेंगे। पिकअप पार करनी हो तो 500 रुपए, 10 से 16 चक्का ट्रकों के लिए रेट 2 से 3 हजार रुपए तक फिक्स है। गड़बड़ी न हो, इसलिए वहां तीन-तीन महीने के लिए बिलासपुर से मंडी कर्मचारियों की ड्यूटी तय की जाती है, फिर भी गड़बड़ी हो रही है। बैरियर में प्राइवेट कर्मचारियों को काम पर रखा गया है। चर्चा अाम है कि पूरा हिस्सा ऊपर तक (मुख्यालय) भी जाता है।
बैरियर कर्मचारी से भास्कर टीम की बातचीत- नौकरी खतरे में डालकर धान पार करने की कहानी
भास्कर टीम ने मंडी बैरियर के कर्मचारियों से पहले ठेले-गुमटी वालों ने पहले बात की। गुमटीवालों का कहना था कि 15 दिन पहले तक बड़े पैमाने पर धान आता था। लंबी लाइन लगती थी। जब से कलेक्टर ने छापा मारा है, तब से काफी कम हो गया। कैमरे लग गए हैं। अभी चावल जा रहा है। बैरियर कर्मचारी वीरेंद्र ठाकुर ने भी बातचीत में यही बताया और कहा कि आजकल मीडिया वाले बहुत आ रहे हैं, इसलिए संभलकर हैं।
रिपोर्टर : धान लेकर आना है।
कर्मचारी : धान नहीं ला सकते। कलेक्टर साहब ने सस्पेंड कर दिया है कुछ दिन पहले ही। उससे पहले सोनम और रूपाली धान ऐसे ही जाने दे रहे थे।
रिपोर्टर : फिर क्या हो सकता है।
कर्मचारी : अभी रुक जाइए, कुछ दिन में व्यवस्था करेंगे।
रिपोर्टर : चावल का भी सौदा किया है चंदौली में।
कर्मचारी : ठीक है, एक-दो ट्रक ऐसे ही ले जाइए।
रिपोर्टर : 50 ट्रक मोटा चावल है।
कर्मचारी : (पहले साफ मना किया, फिर कुछ नरमी) आप काम करना चाहते हैं तो कीजिए, हम मदद करेंगे। रायपुर के बहुत से मिलर (कुछ नाम भी बताए) ऐसे ही धान और चावल के धंधे में बड़े बन गए। हम अापकी भी मदद कर देंगे।
रिपोर्टर : क्या खर्चा-पानी आएगा।
कर्मचारी : एक ट्रक लेकर आइए सब समझ में आ जाएगा। जो सबके लिए होगा, वही आपके लिए भी। नए समझकर नहीं लूटेंगे।
रिपोर्टर : फिर भी आप बता देते, ट्रक पीछे कितना देना होगा।
कर्मचारी : आप ले आइए न ट्रक। नंबर बता दीजिए, ट्रक आज ही पार करवा देंगे।
रिपोर्टर : कितना लगेगा, यह बता देते तो गाड़ी भेजने को कह देते।
कर्मचारी : (कुछ रुककर) 10 चक्के (पहिए) के ट्रक का 2 हजार रुपए लगता है। ज्यादा चक्के होंगे तो ज्यादा पैसे।
रिपोर्टर : हम लोग रायपुर निकल जाएंगे आज।
कर्मचारी : फोन पर बात कर लीजिएगा। आने की जरूरत नहीं है। सब काम फोन पर हो जाता है।
सिंहदेव समेत कई मंत्री बोले-धान खरीदी का समय बढ़ाया जाए
रायपुर | धान खरीदी की समय सीमा 15 फरवरी से खत्म होने वाली है। इसे बढ़ाने को लेकर सरकार के मंत्रियों के साथ साथ विपक्ष के नेताओं ने भी दबाव बनाना शुरू कर दिया है। हालांकि खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने समय सीमा में ही सभी किसानों का धान खरीद लेने का दावा किया है। वहीं पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव का कहना है कि कई स्थानों पर किसान अपना धान नहीं बेच पाए हैं। सभी किसानों से खरीदी का वादा था, इसलिए सभी को अवसर देने खरीदी का समय बढ़ाना चाहिए।
सहकारिता मंत्री प्रेमसाय टेकाम ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो गंभीरता से विचार कर समय-सीमा बढ़ाई जानी चाहिए। इसके जवाब में अमरजीत भगत ने कहा कि तय समय सीमा में सभी किसानों का धान खरीद लिया जाएगा, इसलिए समय बढ़ाने की जरूरत नहीं। पूर्व मुख्यमंत्री डाॅक्टर रमन सिंह ने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा है कि सरकार ने अपने घोषणा पत्र में वादा किया था कि एक-एक दाना धान खरीदेंगे, लेकिन किसान दाना-दाना बेचने का मोहताज हो गया है। धान यदि सोसायटी नहीं खरीदेगा, तो व्यापारी खरीद लेगा, जहां किसानों को कोई रेट नहीं मिलेगा।
Source link